मुख्य अतिथि के रूप में भारतीय कॉर्पोरेट कार्य संस्थान (IICA) के महानिदेशक एवं सीईओ श्री ज्ञानेश्वर कुमार सिंह ने शिरकत की। उन्होंने उद्घाटन सत्र में ESG (पर्यावरण, समाज और शासन) की अवधारणा और इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) 3.0 के संभावित बदलावों पर विस्तार से प्रकाश डाला।
उद्घाटन सत्र सार्क लॉ हॉल में आयोजित हुआ, जिसकी अध्यक्षता नालसार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. श्रीकृष्ण देव राव ने की। सत्र की शुरुआत दीप प्रज्वलन और ICSI के आदर्श वाक्य "सत्यम वद, धर्मं चर" के गायन से हुई।
ईएसजी और कॉर्पोरेट कानून का मेल
श्री ज्ञानेश्वर कुमार सिंह ने अपने संबोधन में ESG को
कॉर्पोरेट कानून से जोड़ने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। उन्होंने
हितधारक आधारित दृष्टिकोण की प्रासंगिकता,
IBC की मध्यस्थता भूमिका और
प्रस्तावित IBC 3.0 सुधारों की व्यापक व्याख्या की। उनका मानना था कि विश्वास निर्माण और साझा उत्तरदायित्व की भावना, भविष्य के कॉर्पोरेट संचालन की नींव बनेगी।
कुलपति ने दिलाया न्यायिक उदाहरणों का हवाला
अपने उद्घाटन भाषण में
कुलपति प्रो. राव ने
आत्मनिर्भर भारत, पर्यावरणीय स्थिरता और ESG मूल्यों के सामाजिक एवं
कानूनी प्रभाव पर प्रकाश डाला। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसलों जैसे एम.सी. मेहता बनाम भारत सरकार (1985) और टी.एन. गोदावर्मन केस का हवाला देते हुए
ESG सिद्धांतों की उपयोगिता को रेखांकित किया। उन्होंने यह भी बताया कि सम्मेलन में प्रस्तुत चयनित शोध पत्रों को प्रकाशित किया जाएगा।
विचारोत्तेजक सत्र और विशेषज्ञों की भागीदारी
सम्मेलन में कई विशिष्ट वक्ताओं ने अपने विचार रखे।
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मुख्य सचिव पी. एस. राव ने अधिग्रहण, विलय, दिवालियापन और पुनर्गठन से जुड़े अपने अनुभव साझा करते हुए ESG के कार्यान्वयन में आने वाली
व्यवहारिक चुनौतियों की ओर ध्यान आकर्षित किया।
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श्री इंद्रजीत शॉ ने दैनिक जीवन में स्थिरता को अपनाने, ESG शिक्षा, और हितधारकों की भागीदारी को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने
टाटा, इंफोसिस और महिन्द्रा जैसी कंपनियों की ESG नीतियों के उदाहरण भी साझा किए।
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मुख्य सचिव रंजीत पांडे ने ESG को विकल्प नहीं, बल्कि आवश्यकता बताते हुए इसे
CSR (कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व) से अलग दृष्टिकोण में रखने की मांग की। उन्होंने इसके लिए आवश्यक संस्थागत एवं कानूनी ढाँचों पर भी बात की।
सम्मेलन का समापन
सम्मेलन का समापन स्मृति चिन्ह भेंट करने और प्रोफेसर
पी. श्रीनिवास सुब्बा राव के औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। उन्होंने आयोजन से जुड़े सभी प्रतिभागियों, विशेषज्ञों और आयोजकों के योगदान की सराहना की।