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Wednesday, July 2, 2025

Pawan Kumar / New Delhi /April 28, 2025

प्रसिद्ध कवि डॉ. नवलपाल प्रभाकर दिनकर की काव्य रचना "मधुर मिलन" एक अद्वितीय साहित्यिक रचनात्मकता का उदाहरण है। यह कविता प्रेम, प्रकृति और जीवन के सुंदर संगम को चित्रित करती है। इसमें कवि ने धरती और आकाश के बीच एक गहरी और रोमांटिक जुगलबंदी को प्रस्तुत किया है। कविता के शब्दों में जैसे कोई जादू है, जो पाठकों को एक अद्वितीय भावनात्मक अनुभव से जोड़ता है।

कला-साहित्य / डॉ. नवलपाल प्रभाकर दिनकर की साहित्यिक रचना "मधुर मिलन" का विश्लेषण: प्रेम, प्रकृति और जीवन के संगम का प्रतीक

कविता का विश्लेषण

कविता की शुरुआत होती है दूर-सूदूर क्षितिज पर हो रहे एक अद्भुत मिलन से, जहाँ धरती और आकाश बाहों में बाहें डालते हुए मिल रहे हैं। कवि ने इस दृश्य को प्रेम से ओत-प्रोत किया है। आकाश के बादल लाल रंग से रंगे हुए हैं और धरती हरे रंग की चुनरी ओढ़े हुए है, मानो उसने पूरी तरह से सज-धज कर प्रेम के इस मिलन को स्वीकार किया हो।

कविता में गोधूली बेला का वर्णन भी किया गया है, जो इस मिलन को और भी खास बना देता है। इस समय गाएं चारा चरकर वापस लौट रही हैं, और वृक्ष निढाल खड़े हुए हैं। यह दृश्य जीवन के संघर्ष और प्रेम की अभिव्यक्ति है। कविता का संदेश साफ है—प्रेम, सौंदर्य और शांति की ओर बढ़ना।

कविता | मधुर मिलन

दूर-सूदूर क्षितिज पर
मिल रहे गले में बाहें डाल
मतवाली धरती, ओर बादल लाल।
धरती सजी-संवरी हुई।
प्रेम से ओत-प्रोत हुई।
हरे रंग की चुनरी ओढे़
चल पड़ी सभी गहने डाल
दूर-सुदूर क्षितिज पर
मिल रहे गले में बाहें डाल
मतवाली धरती, ओर बादल लाल।
गोधूली का मिलन ये प्यारा
इस जगती में सबसे न्यारा
गऊएं चरकर लौटी चारा
तरूवर खडे़ हैं निढाल
दूर-सूदूर क्षितिज पर
मिल रहे गले में बाहें डाल
मतवाली धरती, ओर बादल लाल।
ऐसा मिलन सदा रहे
तन ओर हृदय में समाया
ऐसे ही रखना तुम अपनी
छत्रछाया और रक्षा ढ़ाल ।
दूर-सूदूर क्षितिज पर
मिल रहे गले में बाहें डाल
मतवाली धरती, ओर बादल लाल।

कविता में इस मिलन के दृश्य का वर्णन इस तरह किया गया है कि यह न केवल धरती और आकाश के मिलन को बल्कि प्रेम, सौंदर्य और शांति को भी प्रस्तुत करता है। कवि का यह संदेश है कि जैसे यह मिलन होता है, वैसे ही जीवन में प्रेम और सौंदर्य का सामंजस्य होना चाहिए।

प्राकृतिक सौंदर्य और प्रेम का संगम

कविता में प्रकृति का रूपांतरण और उसकी सुंदरता बहुत ही भावनात्मक रूप से दर्शाई गई है। कवि ने प्रेम और सौंदर्य को एक साथ बुनते हुए जीवन के उन सुंदर पहलुओं को उजागर किया है, जो हमें अपने आसपास दिखाई देते हैं। गोधूली बेला का समय, जहां गाएं लौट रही हैं और वृक्ष थक कर खड़े हैं, जीवन के संघर्ष और शांति के बीच संतुलन की ओर इशारा करता है।

डॉ. नवलपाल प्रभाकर दिनकर की काव्यशक्ति

डॉ. नवलपाल प्रभाकर दिनकर की लेखनी में गहरी संवेदनशीलता और समाज के प्रति एक विशेष दृष्टिकोण है। उनकी कविताएँ समाज और जीवन की सच्चाइयों को शास्त्र और दर्शन के माध्यम से व्यक्त करती हैं। "मधुर मिलन" उनकी लेखनी का एक और शानदार उदाहरण है, जिसमें उन्होंने न केवल प्रेम और सौंदर्य का वर्णन किया है, बल्कि जीवन की जटिलताओं और संघर्षों को भी संबोधित किया है।

निष्कर्ष

"मधुर मिलन" न केवल एक कविता है, बल्कि यह प्रेम और सौंदर्य के प्रति हमारे दृष्टिकोण को बदलने की शक्ति रखती है। यह कविता हमें अपने जीवन में प्रेम और शांति को अपनाने के लिए प्रेरित करती है। कवि का यह संदेश स्पष्ट है कि जीवन को सुंदर और संतुलित बनाने के लिए हमें अपने आसपास की सुंदरता और प्रेम का सम्मान करना चाहिए।

मधुर मिलन एक ऐसी रचना है जो हमारे दिलों में गहरी छाप छोड़ती है, और हमारे भीतर प्रेम, सौहार्द्र और प्रकृति के प्रति सम्मान को जागृत करती है।

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