क्या है विश्वकर्मा जयंती का महत्व?
विश्वकर्मा जयंती को भारतीय संस्कृति में श्रम की पूजा के रूप में देखा जाता है। यह दिन उन सभी इंजीनियरों, कारीगरों, तकनीशियनों, वास्तुकारों और श्रमिकों के सम्मान का दिन है, जो अपने परिश्रम से समाज का निर्माण करते हैं।
ऐसी मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा ने ही स्वर्गलोक, पुष्पक विमान, द्वारका नगरी और भगवान शिव का त्रिशूल जैसे अद्भुत रचनाओं का निर्माण किया था।
देशभर में आयोजन
_कारखानों और कार्यस्थलों में मशीनों की पूजा की गई।
_प्रवेश द्वारों को सजाया गया, फूलों और रंगोली से परिसर को सजाया गया।
_विशेष पूजा अनुष्ठान का आयोजन कर कर्मचारियों ने भगवान विश्वकर्मा से अपने औजारों और यंत्रों की सुरक्षा और सफलता की कामना की।
_कई स्थानों पर सामूहिक भोज और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन हुआ।
बदलते दौर में विश्वकर्मा की प्रासंगिकता
डिजिटल और टेक्नोलॉजी के युग में, विश्वकर्मा अब सिर्फ औजारों तक सीमित नहीं रहे। आज के इंजीनियर, सॉफ्टवेयर डेवलपर, आर्किटेक्ट्स और इनोवेटर्स भी भगवान विश्वकर्मा के आधुनिक रूप माने जा सकते हैं। इसी सोच के तहत, कई कॉरपोरेट कंपनियों और आईटी फर्म्स ने भी अपने कर्मचारियों के लिए आज विशेष पूजा कार्यक्रम आयोजित किए।
प्रधानमंत्री का संदेश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस अवसर पर देशवासियों को शुभकामनाएं दीं और कहा,
"विश्वकर्मा जयंती हमें परिश्रम, नवाचार और सृजनशीलता का सम्मान करने की प्रेरणा देती है। देश के हर श्रमिक और निर्माता को मेरा नमन।"
विश्वकर्मा जयंती न केवल एक धार्मिक पर्व है, बल्कि यह श्रम की महत्ता, तकनीकी सृजन और मानवीय प्रतिभा का उत्सव भी है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि हर निर्माण के पीछे एक अदृश्य हाथ होता है – श्रमिक का, शिल्पकार का और सृजनकर्ता का।