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Monday, October 13, 2025

24JT News Desk / Lucknow /May 12, 2025

छह मई की रात पुंछ, जम्मू-कश्मीर के ज़ैन अली और उर्वा फ़ातिमा के लिए ज़िंदगी की आखिरी रात साबित हुई। 12 वर्षीय ये जुड़वां भाई-बहन हर रोज़ की तरह स्कूल से लौटे, होमवर्क किया, खेल-कूद में समय बिताया, खाना खाया और अपने बिस्तर पर सो गए। लेकिन उन्हें क्या मालूम था कि सुबह की रौशनी उन्हें फिर कभी नसीब नहीं होगी।

मारिया की बहन उरूसा और जीजा रमीज़ अपने बच्चों के साथ | Photo Source : BBC
देश / पुंछ हमले में मारे गए जुड़वां बच्चों की दर्दनाक कहानी

रात के अंधेरे में अचानक नियंत्रण रेखा (LoC) के उस पार से हुई भारी गोलाबारी ने उनका सुकून छीन लिया। ये गोलाबारी भारत द्वारा शुरू किए गए 'ऑपरेशन सिंदूर' के जवाब में पाकिस्तानी सेना की तरफ़ से की जा रही थी। इस हमले में ज़ैन और उर्वा की जान चली गई।

उनकी मौसी मारिया ख़ान अपने आंसू नहीं रोक पाईं। वे कहती हैं, "बच्चों को क्या पता था कि ऐसा कुछ हो जाएगा। दोनों बहुत समझदार और होनहार थे। काश... एक तो बच जाता।"

गोलाबारी की आवाज़ से डरे-सहमे परिवार ने रातभर अपने घर में सहम कर वक्त बिताया। सुबह करीब 6:30 बजे बच्चों के मामा उन्हें सुरक्षित निकालने के लिए घर पहुंचे। उन्होंने परिवार को फ़ोन कर बाहर निकलने को कहा, लेकिन इससे पहले कि वे निकल पाते, तबाही हो चुकी थी।

यहां दफ़न हैं बारह साल के ये जुड़वां भाई-बहन ज़ैन अली और उर्वा फ़ातिमा | Photo Source : BBC

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