आज जब दुनिया के हर कोने में संघर्ष, तनाव और सैन्य टकराव की स्थिति बनी हुई है — यूक्रेन-रूस युद्ध, गाज़ा संघर्ष, चीन-ताइवान विवाद, रेड सी में नौसैनिक गतिरोध से लेकर अफ्रीका के सैन्य तख्तापलट तक — ऐसे माहौल में हर देश अपनी सैन्य शक्ति को और मज़बूत करने में जुटा है।
इसी कड़ी में, ग्लोबल फायरपावर (GFP) की ताज़ा रिपोर्ट 2025 के आंकड़े सामने आए हैं, जिसमें दुनिया की सबसे प्रभावशाली सेनाओं की रैंकिंग जारी की गई है।
क्या है ग्लोबल फायरपावर इंडेक्स (GFP)?
यह एक अंतरराष्ट्रीय सैन्य विश्लेषण संस्था है जो दुनिया के 145 देशों की सैन्य ताकत का तुलनात्मक अध्ययन करती है।
यह रैंकिंग 60+ पैरामीटर्स पर आधारित होती है जैसे:
सक्रिय सैनिकों की संख्या
रक्षा बजट
हथियारों का भंडार
वायुसेना की ताकत
नौसेना क्षमता
रसद आपूर्ति
भौगोलिक और तकनीकी क्षमताएं
टॉप 10 देश: GFP 2025 में कौन सबसे आगे?
रैंक देश पॉवर इंडेक्स स्कोर (PI)
1. संयुक्त राज्य अमेरिका 0.0699
2. रूस 0.0702
3. चीन 0.0706
4. भारत 0.1023
5. दक्षिण कोरिया 0.1416
6. ब्रिटेन 0.1443
7. जापान 0.1601
8. फ्रांस 0.1848
9. इटली 0.1973
10. पाकिस्तान 0.2289
(कम PI स्कोर, ज़्यादा ताकत को दर्शाता है)
भारत की सैन्य स्थिति: चौथे पायदान पर मजबूती से कायम
भारत एक बार फिर चौथे स्थान पर रहा, जो यह दर्शाता है कि भारत न केवल क्षेत्रीय शक्ति है, बल्कि एक वैश्विक सैन्य ताकत भी बन चुका है।
भारत की प्रमुख सैन्य विशेषताएं:
सक्रिय सैनिक: 14 लाख+
रक्षा बजट: $80+ अरब
लड़ाकू विमान: 600+
टैंक: 4,700+
पनडुब्बियाँ: 17
परमाणु हथियार: अनुमानित 160-170
स्वदेशी उत्पादन: तेजस, अर्जुन टैंक, अग्नि मिसाइलें
विशेष: भारत ने हाल ही में रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता की दिशा में तेज़ी दिखाई है, जिससे यह रैंकिंग और मजबूत हो सकती है।
पाकिस्तान को मिला 10वां स्थान
GFP 2025 की रिपोर्ट में पाकिस्तान 10वें स्थान पर है, जो आश्चर्यजनक माना जा रहा है। हालांकि यह कई विश्लेषकों की आलोचना का कारण भी बना है क्योंकि पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था और रक्षा संसाधन तुलनात्मक रूप से सीमित हैं। रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान को यह स्थान उसकी परमाणु शक्ति, सामरिक गहराई और चीन के साथ सैन्य सहयोग की वजह से मिला है।
रक्षा विशेषज्ञों की राय
रक्षा विश्लेषक लेफ्टिनेंट जनरल (से.नि.) डी.एस. हुड्डा के अनुसार:
“GFP जैसी रैंकिंग एक इंडिकेटर है, लेकिन वास्तविक युद्धक्षमता और रणनीतिक नेतृत्व ज़मीन पर तय होते हैं। भारत की आत्मनिर्भर नीति और अंतरिक्ष-साइबर क्षमताएं इसे और अधिक सामर्थ्यवान बना रही हैं।”
निष्कर्ष: सैन्य ताकत बनाम शांति का संतुलन
जहां एक ओर सभी देश सैन्य ताकत बढ़ाने में लगे हैं, वहीं दूसरी ओर यह भी आवश्यक है कि वैश्विक स्तर पर शांति और कूटनीतिक समाधान को प्राथमिकता दी जाए।
GFP जैसी रिपोर्ट दुनिया के लिए एक चेतावनी भी है कि संघर्ष और तनाव के बीच शक्ति प्रदर्शन का संतुलन बिगड़ना नहीं चाहिए।