इस अवसर पर अपने संबोधन में केंद्रीय मंत्री ने कहा, "राजनीति तोड़ने का काम करती है, जबकि धर्म जोड़ने का। पीड़ित मानवता की सेवा ही असली पूजा है।" उन्होंने कहा कि मठ वर्षों से सामाजिक सेवा, शिक्षा, स्वास्थ्य और मानवता के उत्थान के लिए अनुकरणीय कार्य कर रहा है।
किसान हैं अन्नदाता, कृषि है अर्थव्यवस्था की रीढ़
अपने भाषण में श्री चौहान ने कृषि क्षेत्र और किसानों के महत्व पर विशेष बल देते हुए कहा, "प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मुझे कृषि मंत्री बनने का सौभाग्य मिला है। मैं मानता हूं कि किसान इस देश के प्राण हैं, अन्नदाता हैं, और जीवनदाता हैं। किसानों की सेवा करना मेरे लिए सबसे बड़ी साधना है।"
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार खेती को लाभकारी बनाने के लिए लगातार प्रयासरत है। “हमारी योजनाएं लागत घटाने, उत्पादन बढ़ाने और किसानों को उचित मूल्य दिलाने पर केंद्रित हैं। साथ ही फसल नुकसान पर त्वरित मुआवजा और कृषि का विविधीकरण भी हमारी प्राथमिकता है,” उन्होंने कहा।
भारत को बनना है मानवता का मार्गदर्शक
श्री चौहान ने अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में भारत की भूमिका पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा, "कुछ देश अधिनायकवाद की राह पर हैं, जो वैश्विक संकट का कारण बन सकते हैं। ऐसे समय में भारत को विश्व मानवता को शाश्वत शांति का मार्ग दिखाना होगा।"
उन्होंने जोर दिया कि सभी राजनीतिक मतभेदों को दरकिनार कर राष्ट्रहित में एकजुट होने का समय है।
स्वदेशी वस्तुओं को अपनाने का किया आह्वान
अपने वक्तव्य के अंत में केंद्रीय मंत्री ने देशवासियों से स्वदेशी उत्पादों को अपनाने का आह्वान करते हुए कहा, "हम सबको यह संकल्प लेना चाहिए कि अपने दैनिक जीवन में उन्हीं वस्तुओं का उपयोग करें जो हमारे देश में बनी हो। इससे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी और आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार होगा।"
उन्होंने विश्वास जताया कि देशवासी स्वदेशी को अपनाकर एक नया इतिहास रचेंगे।