रथ यात्रा की शुरुआत और अनुष्ठान
जगन्नाथ रथ यात्रा 27 जून 2025 को सुबह से शुरू हुई, जब भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को पुरी के जगन्नाथ मंदिर से बाहर लाया गया। श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के अनुसार, दिन की शुरुआत मंगल आरती और अन्य पारंपरिक अनुष्ठानों के साथ हुई। इसके बाद, पुरी के गजपति महाराजा दिव्यसिंह देब ने पारंपरिक "छेरा पहनरा" अनुष्ठान किया, जिसमें वे सोने के हैंडल वाली झाड़ू से रथों के आसपास की सफाई करते हैं। यह अनुष्ठान भगवान जगन्नाथ के प्रति उनकी नम्र सेवा को दर्शाता है।
तीनों देवताओं को उनके विशाल और सुसज्जित रथों—नंदीघोष (जगन्नाथ), तलध्वज (बलभद्र), और दर्पदलन (सुभद्रा)—पर विराजमान किया गया। भगवान जगन्नाथ का रथ नंदीघोष, जो 44 फीट ऊंचा है और जिसमें 16 पहिए हैं, लाल और पीले रंगों से सजा हुआ था। दोपहर 4 बजे से रथ खींचने की प्रक्रिया शुरू हुई, जिसमें लाखों भक्तों ने "हरिबोल" और "जय जगन्नाथ" के जयघोष के साथ रथों की रस्सियों को खींचा।
यात्रा का मार्ग और महत्व
यह यात्रा जगन्नाथ मंदिर से शुरू होकर लगभग 2.5 किलोमीटर दूर गुंडिचा मंदिर तक जाती है, जिसे भगवान की मौसी का निवास माना जाता है। यह यात्रा भक्ति, समानता और भगवान के प्रति समर्पण का प्रतीक है। नौ दिनों तक देवता गुंडिचा मंदिर में रहते हैं और फिर बहुदा यात्रा के दौरान वापस अपने मंदिर लौटते हैं, जो 5 जुलाई 2025 को समाप्त होगी।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान जगन्नाथ अपनी बहन सुभद्रा के अनुरोध पर नगर भ्रमण के लिए निकलते हैं। एक रोचक कथा यह भी है कि जब भगवान जगन्नाथ गुंडिचा मंदिर से लौटते हैं, तो उनकी पत्नी देवी लक्ष्मी, जो यात्रा में शामिल नहीं होतीं, नाराज हो जाती हैं। उन्हें मनाने के लिए भगवान रसगुल्ला अर्पित करते हैं, जो इस यात्रा का एक विशेष प्रसाद बन गया है।
अनूठे अनुष्ठान और परंपराएँ
रथ यात्रा से जुड़े कई अनुष्ठान इसे और भी खास बनाते हैं। "छेरा पहनरा" के अलावा, एक अन्य अनुष्ठान में भगवान जगन्नाथ को उनके लौटने पर "पोडा पिठा" नामक विशेष भोग अर्पित किया जाता है। सोने की झाड़ू से सफाई की परंपरा भी इस यात्रा की पवित्रता को दर्शाती है, क्योंकि सोना हिंदू धर्म में एक पवित्र धातु माना जाता है।
इसके अलावा, रथ की रस्सियों को खींचना और रथ को स्पर्श करना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है। भक्तों का मानना है कि यह कार्य मोक्ष की प्राप्ति में सहायक होता है। पुरी के जगन्नाथ मंदिर में प्रवेश के लिए 22 पवित्र सीढ़ियों को पार करना होता है, जिसमें तीसरी सीढ़ी का विशेष रहस्यमयी महत्व है, जिसे यमराज से जोड़ा जाता है।
सुरक्षा और प्रबंधन
इस वर्ष यात्रा में लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए व्यापक सुरक्षा इंतजाम किए गए। पुरी प्रशासन ने 10,000 से अधिक पुलिसकर्मियों, एआई-सक्षम सीसीटीवी कैमरों, एनएसजी स्नाइपर्स और विशेष टीमों को तैनात किया। हालांकि, तलध्वज रथ को खींचने के दौरान भीड़ के कारण हुए हादसे में 500 से अधिक श्रद्धालु घायल हो गए, जिसके बाद प्रशासन ने तुरंत राहत कार्य शुरू किए।
पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए इस बार बायोडिग्रेडेबल प्रसाद और अन्य पर्यावरण-अनुकूल पहलों को बढ़ावा दिया गया। यात्रा का सीधा प्रसारण प्रमुख टीवी चैनलों और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स जैसे यूट्यूब, टाइम्स नाउ ओडिशा, जी ओडिशा और न्यूज18 ओडिशा पर किया गया, ताकि देश-विदेश के भक्त इसे देख सकें।
अन्य शहरों में उत्सव
पुरी के अलावा, देश और दुनिया के कई हिस्सों में रथ यात्रा का आयोजन हुआ। अहमदाबाद में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगल आरती की, लेकिन एक हादसे में एक हाथी के बेकाबू होने से अफरा-तफरी मच गई, जिसे बाद में नियंत्रित किया गया। रांची, मुंबई, प्रयागराज, वाराणसी, लखनऊ और भुवनेश्वर में भी भव्य रथ यात्राएँ निकलीं।
अमेरिका में भी कई शहरों जैसे अल्फारेटा, ह्यूस्टन, जैक्सन और कोलोराडो में रथ यात्रा का आयोजन हुआ, जिसमें सांस्कृतिक कार्यक्रम, कीर्तन और सामुदायिक भोज शामिल थे।
नेताओं की शुभकामनाएँ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रथ यात्रा के अवसर पर शुभकामनाएँ दीं और इसे भक्ति और एकता का प्रतीक बताया। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी बधाई दी और दिघा में रथ खींचने की घोषणा की, यह कहते हुए कि "धर्म व्यक्तिगत है, लेकिन उत्सव सबके लिए है।"
भक्तों का उत्साह
पुरी की सड़कों पर "जय जगन्नाथ" और "हरिबोल" के नारे गूंज रहे थे। भक्तों ने रथों को खींचने और भगवान के दर्शन करने के लिए भारी उत्साह दिखाया। एक ओडिसी नर्तकी ने इसे "सेवा का एक रूप" बताया। इस उत्सव ने न केवल धार्मिक महत्व को दर्शाया, बल्कि सामाजिक समरसता और भक्ति की भावना को भी मजबूत किया।
जगन्नाथ रथ यात्रा 2025 ने एक बार फिर विश्व भर के भक्तों को एकजुट किया। यह उत्सव न केवल आध्यात्मिक महत्व रखता है, बल्कि सामाजिक एकता और पर्यावरण संरक्षण जैसे आधुनिक मूल्यों को भी बढ़ावा देता है। भक्तों का मानना है कि भगवान जगन्नाथ की कृपा से उनके जीवन में शांति, समृद्धि और सकारात्मकता आएगी।