मेडटेक में आत्मनिर्भरता की ओर ऐतिहासिक कदम
श्री अग्रवाल ने बताया कि कोविड के बाद भारत ने MRI, CT स्कैन, मैमोग्राफी यूनिट्स, वेंटिलेटर्स, स्टेंट्स, हार्ट वाल्व, डायलिसिस मशीनों जैसे उच्चस्तरीय चिकित्सा उपकरणों के स्थानीय निर्माण में उल्लेखनीय प्रगति की है।
“जो उपकरण कभी पूरी तरह आयात-निर्भर थे, आज वे भारत में बनाए जा रहे हैं – यह देश की नवाचार शक्ति और निर्माण क्षमता का प्रमाण है।” – श्री अग्रवाल
नीतियां और प्रोत्साहन: मेडटेक को मिल रही नई गति
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने मेडटेक सेक्टर को सशक्त बनाने के लिए कई अहम पहल की हैं, जैसे:
* तीन नए मेडिकल डिवाइस पार्क्स की स्थापना
* PLI (उत्पादन आधारित प्रोत्साहन) योजना
* ₹5,000 करोड़ की PRIP योजना – फार्मा-मेडटेक क्षेत्र में अनुसंधान व नवाचार को बढ़ावा देने के लिए
* सीमांत निवेश योजनाएं, जो पिछड़े एकीकरण को बढ़ावा देंगी
इन प्रयासों से भारत घरेलू मूल्य श्रृंखला को गहराई देने, उत्पादन लागत घटाने और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अपनी स्थिति मजबूत करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
‘मेक इन इंडिया’ से ‘मेक फॉर द वर्ल्ड’ की ओर
इस वर्ष सम्मेलन की थीम थी –
“स्वस्थ भविष्य के लिए नवाचार - वैश्विक प्रभाव के लिए मेडटेक को आगे बढ़ाना: मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड”
इस पर टिप्पणी करते हुए श्री अग्रवाल ने कहा:
“अब समय आ गया है कि भारत न केवल अपने लिए, बल्कि दुनिया भर के देशों — वैश्विक उत्तर और दक्षिण दोनों — को सुलभ और अभिनव स्वास्थ्य सेवा समाधान प्रदान करे।”
सरकार-उद्योग साझेदारी का आह्वान
श्री अग्रवाल ने नवप्रवर्तकों, उद्यमियों और निवेशकों से प्रयोगशाला से बाज़ार तक की यात्रा को तेज़ करने के लिए आपसी सहयोग की अपील की।
उन्होंने कहा कि मेडटेक सेक्टर लाखों लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करेगा और 2047 के विकसित भारत के विजन को साकार करने में अहम भूमिका निभाएगा।
“भारत को अब केवल एक बाजार नहीं, बल्कि वैश्विक स्वास्थ्य नवाचार के केंद्र के रूप में देखा जा रहा है। हमें इस भूमिका को स्वीकार करना होगा और आगे बढ़ना होगा।”