यह उपलब्धि भारत को दुनिया का पांचवां देश बनाती है, जो अपना स्वदेशी टेलीकॉम उपकरण और तकनीक विकसित करके व्यावसायिक नेटवर्क चला रहा है। अन्य देशों में डेनमार्क, स्वीडन, दक्षिण कोरिया और चीन शामिल हैं। केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा, "यह न केवल तकनीकी सफलता है, बल्कि आत्मनिर्भर भारत का प्रमाण है। इससे रोजगार बढ़ेगा, निर्यात होगा और डिजिटल भारत का सपना साकार होगा।"
स्वदेशी 4जी स्टैक की खासियतें
बीएसएनएल का यह 4जी स्टैक पूरी तरह भारतीय कंपनियों द्वारा विकसित किया गया है:
- रेडियो एक्सेस नेटवर्क (RAN): तेजस नेटवर्क्स द्वारा बनाया गया।
- कोर नेटवर्क: सी-डॉट (सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ टेलीमैटिक्स) द्वारा विकसित।
- इंटीग्रेशन: टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) द्वारा किया गया।
इस स्टैक से 92,600 से अधिक साइट्स पर पहले से 22 मिलियन से ज्यादा ग्राहक जुड़े हैं। यह नेटवर्क सोलर-पावर्ड टावरों और क्लाउड सॉफ्टवेयर पर आधारित है, जो दूरदराज के इलाकों में भी मजबूत कनेक्टिविटी देगा। डिजिटल भारत निधि योजना के तहत 26,700 से अधिक गांवों को जोड़ा जाएगा, जहां पहले मोबाइल कवरेज नहीं था।
बीएसएनएल के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर ए. रॉबर्ट जे. रवि ने कहा, "बीएसएनएल के 25वें वर्ष में यह लॉन्च स्वदेशी 4जी युग की शुरुआत है। ग्राहकों को अब तेज और विश्वसनीय इंटरनेट मिलेगा।" कंपनी ने 25,000 करोड़ रुपये खर्च कर 1 लाख टावर लगाए हैं, और अगले चरण में 47,000 करोड़ रुपये से 5जी पर काम होगा।
प्रभाव और भविष्य की योजनाएं
इस लॉन्च से ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य, शिक्षा और डिजिटल सेवाओं को बढ़ावा मिलेगा। बीएसएनएल के 4जी यूजर्स पहले ही 20 मिलियन से अधिक हो चुके हैं। निजी कंपनियों जैसे रिलायंस जियो और भारती एयरटेल ने भी 4,700 से अधिक टावर लगाए हैं, जो पूरे नेटवर्क को मजबूत बनाएंगे।
मंत्री सिंधिया ने बताया कि 5जी पर काम तेज है, और 6जी की रूपरेखा भी तैयार हो रही है। 2030 तक भारत 6जी सेवाओं की शुरुआत कर सकता है।