प्रदर्शनी में टोड आर्टिलरी गन सिस्टम, पिनाका रॉकेट सिस्टम, लाइट टैंक 'जोरावर', पहिएदार बख्तरबंद प्लेटफॉर्म, और आकाश-एनजी मिसाइल जैसी प्रमुख स्वदेशी तकनीकों को प्रस्तुत किया गया। इसके अलावा, समिति को रोबोटिक्स, हाई-एनर्जी प्रपल्शन, रेल गन, और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक एयरक्राफ्ट लॉन्च सिस्टम जैसी उन्नत तकनीकों पर हो रहे अनुसंधान की जानकारी भी दी गई।
रक्षा मंत्री ने उभरती तकनीकों को बताया "समय की मांग"
समारोह के दौरान रक्षा मंत्री ने ‘उभरती प्रौद्योगिकियां और डीआरडीओ’ विषय पर एक विशेष बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि:
“हमें केवल तकनीक का उपभोक्ता नहीं, उसका निर्माता बनना होगा। आत्मनिर्भरता केवल लक्ष्य नहीं, यह राष्ट्रीय सुरक्षा का सबसे सशक्त कवच है।”
श्री सिंह ने कहा कि तकनीक अब सिर्फ प्रयोगशालाओं की सीमा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह रणनीतिक नीतियों और निर्णयों का आधार बन चुकी है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि जो देश विज्ञान, अनुसंधान और नवाचार में निवेश करेगा, वही आने वाले समय में वैश्विक नेतृत्व करेगा।
“तकनीकी आत्मनिर्भरता अब विकल्प नहीं, आवश्यकता है”
रक्षा मंत्री ने इस बात पर बल दिया कि भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए वैश्विक निर्भरता से बाहर निकलना होगा। उन्होंने बताया कि कई बार कुछ देश अत्याधुनिक तकनीकों को लेकर संरक्षणवादी रुख अपनाते हैं और सहयोग से कतराते हैं, लेकिन भारत ने इस चुनौती को स्वीकार कर आत्मनिर्भरता की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं।
“आज भारत न केवल अपनी जरूरतें पूरी कर रहा है, बल्कि विश्व के लिए एक भरोसेमंद रक्षा साझेदार भी बन रहा है,” – श्री राजनाथ सिंह
डीआरडीओ की भूमिका की सराहना, निजी क्षेत्र से भी साझेदारी की अपील
रक्षा मंत्री ने डीआरडीओ की उन उपलब्धियों की सराहना की, जिन तकनीकों के लिए पहले देश को आयात पर निर्भर रहना पड़ता था। उन्होंने कहा कि आज डीआरडीओ, सार्वजनिक क्षेत्र, निजी उद्योग, स्टार्टअप्स और शैक्षणिक संस्थानों के सहयोग से एक नया रक्षा-तकनीकी पारिस्थितिकी तंत्र बना रहा है।
“यह अब केवल सरकारी प्रयास नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय मिशन बन चुका है जिसमें हर हितधारक की भूमिका अहम है।”
युवाओं के लिए नए अवसर खोल रही हैं रक्षा तकनीकें
श्री सिंह ने युवाओं को रक्षा क्षेत्र में नवाचार की ओर आकर्षित करते हुए कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर सुरक्षा, क्वांटम तकनीक और अंतरिक्ष अनुसंधान जैसे क्षेत्रों में भारत के युवा अभूतपूर्व सफलता हासिल कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ये तकनीकें सेनाओं के आधुनिकीकरण के साथ-साथ युवाओं के लिए नए करियर अवसर भी प्रदान कर रही हैं।
समिति के सदस्यों ने की डीआरडीओ की प्रशंसा, दिए अहम सुझाव
समिति के सदस्यों ने एसीई क्लस्टर की प्रगति पर संतोष जताते हुए, भविष्य की रक्षा नीति को और अधिक सुदृढ़ करने के लिए कई सुझाव दिए। रक्षा मंत्री ने आश्वासन दिया कि सभी सुझावों पर गंभीरता से विचार कर आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।
इस अवसर पर रक्षा राज्य मंत्री श्री संजय सेठ, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, रक्षा सचिव श्री राजेश कुमार सिंह, डीआरडीओ प्रमुख डॉ. समीर वी. कामत, तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी एवं वैज्ञानिक उपस्थित थे।