बुद्ध पूर्णिमा का महत्व
आचार्य अनुज के अनुसार, वैशाख पूर्णिमा का दिन भगवान गौतम बुद्ध की तीन प्रमुख घटनाओं—जन्म, बोधि प्राप्ति और महापरिनिर्वाण—का स्मरण कराता है। बौद्ध धर्म के अनुयायी इस दिन को शांति, करुणा और अहिंसा के संदेशों के प्रचार-प्रसार के रूप में मनाते हैं। बिहार के बोधगया, उत्तर प्रदेश के सारनाथ और कुशीनगर जैसे प्रमुख बौद्ध तीर्थस्थलों पर विशेष प्रार्थनाएँ और ध्यान सत्र आयोजित किए जा रहे हैं।
हिंदू धर्म में वैशाख पूर्णिमा का महत्व
हिंदू धर्म में वैशाख मास को भगवान विष्णु का प्रिय मास माना गया है। इस दिन भगवान विष्णु और सत्यनारायण की पूजा, व्रत, भजन-कीर्तन और कथा का आयोजन कई घरों और मंदिरों में हो रहा है। स्कंद पुराण के अनुसार, इस दिन गंगा स्नान, दान, उपवास और पीपल वृक्ष की पूजा से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
विशेष अनुष्ठान:
गंगा स्नान और दान: हरिद्वार, वाराणसी और प्रयागराज में गंगा तट पर लाखों श्रद्धालु स्नान और दान-पुण्य के लिए एकत्र हुए हैं। अन्न, वस्त्र, जल, घी और स्वर्ण का दान इस दिन विशेष पुण्यकारी माना जाता है।
पीपल पूजा: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पीपल वृक्ष में भगवान विष्णु का वास होता है। श्रद्धालु इस दिन पीपल की जड़ में जल चढ़ाकर, धूप-दीप प्रज्वलित कर पूजा कर रहे हैं।
सत्यनारायण कथा: कई परिवारों में सत्यनारायण भगवान की कथा और व्रत का आयोजन किया जा रहा है।
मंत्र जाप: गायत्री मंत्र, विष्णु सहस्रनाम और अन्य वैदिक मंत्रों का जाप इस दिन विशेष रूप से किया जा रहा है।
स्कंद पुराण और पद्म पुराण में वैशाख पूर्णिमा के धार्मिक महत्व का उल्लेख है। आचार्य अनुज ने बताया, "वैशाख पूर्णिमा का व्रत और दान आत्मशुद्धि और लोक कल्याण के लिए सर्वोत्तम है।"
देशभर में उत्सव
बिहार: बोधगया के महाबोधि मंदिर में विशेष प्रार्थना सभा और दीपदान का आयोजन किया गया।
उत्तर प्रदेश: सारनाथ में बौद्ध भिक्षुओं द्वारा धम्मचक्र प्रवर्तन सूत्र का पाठ और ध्यान सत्र आयोजित किए गए।
दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी में लाल किले के पास बौद्ध विहार में सामूहिक प्रार्थना और करुणा दीक्षा समारोह आयोजित हुआ।
हरिद्वार और वाराणसी: गंगा घाटों पर स्नान और दान के लिए भारी भीड़ देखी गई।
आध्यात्मिक संदेश
आचार्य अनुज ने अपने संदेश में कहा, "व्रत, दान और सेवा से बढ़कर कोई धर्म नहीं। वैशाख पूर्णिमा का दिन आत्मशुद्धि, शांति और लोक कल्याण के लिए उपयुक्त अवसर है।" बौद्ध गुरु लामा टेंजिन ने भी लोगों से बुद्ध के अहिंसा और करुणा के मार्ग पर चलने का आह्वान किया।
वैशाख पूर्णिमा और बुद्ध पूर्णिमा का यह पावन दिन हिंदू और बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए आध्यात्मिक उत्थान और सामाजिक सद्भाव का प्रतीक है। यह दिन हमें शांति, करुणा और दान के महत्व को याद दिलाता है।