समापन समारोह को संबोधित करते हुए, दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग की उप महानिदेशक सुश्री ऋचा शंकर ने कहा कि, "समाज को समावेशी बनाना और दिव्यांगजनों को समुदाय का समान भागीदार मानना, समय की माँग है। हमें स्कूलों, कार्यस्थलों और सार्वजनिक स्थानों पर समावेशिता सुनिश्चित करनी चाहिए।" उन्होंने बधिर व्यक्तियों के संघर्षों और उपलब्धियों की सराहना करते हुए पर्पल फेस्ट को ‘समावेशिता का उत्सव’ बताया।
समारोह के दौरान एमिटी विश्वविद्यालय की डॉ. जयंती पुजारी ने फेस्ट से संबंधित एक रिपोर्ट प्रस्तुत की, वहीं प्रो-वाइस चांसलर प्रो. संजीव बंसल ने बताया कि महोत्सव के सभी उद्देश्य पूरी तरह से सफलतापूर्वक प्राप्त किए गए।
खेल, संस्कृति और समावेशिता का मेल
फेस्ट का अंतिम दिन विभिन्न
सांस्कृतिक व खेल प्रतियोगिताओं से सराबोर रहा। खेल खंड में क्रिकेट, बैडमिंटन, शतरंज, कैरम और टेबल टेनिस जैसे इनडोर और आउटडोर खेलों का आयोजन किया गया। खिलाड़ियों की जोशपूर्ण भागीदारी ने प्रतियोगिताओं को बेहद रोमांचक बना दिया।
इस दौरान आयोजित समावेशी क्रिकेट मैच कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण बना, जिसमें
एमिटी विश्वविद्यालय के छात्रों ने
आईएसएलआरटीसी (ISLRTC) के बधिर विद्यार्थियों के साथ खेलते हुए सौहार्द और समावेशिता की मिसाल पेश की।
संस्थानों और प्रतिभाओं की भागीदारी
‘अमर ज्योति’, ‘अक्षय प्रतिष्ठान’,
एनआईईपीआईडी, और
एवाईजेएनआईएसएचडी नोएडा जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों ने भी फेस्ट में भाग लिया, जिससे यह मंच दिव्यांगजन प्रतिभाओं के लिए बहुआयामी प्रस्तुति का केंद्र बन गया।
फेस्ट के अंतर्गत
सतत पुनर्वास शिक्षा (सीआरई) कार्यक्रम का आयोजन भी किया गया। साथ ही,
22 उद्यमिता स्टॉल लगाए गए, जिनमें अमर ज्योति, DFDW, और आर्ट बाय हार्ट जैसे संगठनों ने भाग लिया। इन स्टॉलों को दर्शकों से जबरदस्त प्रतिसाद मिला, जिससे दिव्यांग उद्यमियों को आर्थिक सशक्तिकरण व सामाजिक मान्यता प्राप्त हुई।
नेशनल बुक ट्रस्ट (NBT) द्वारा ISLRTC स्टॉल पर 200 सुलभ
'वीरगाथा' पुस्तकें भी वितरित की गईं, जो कि दिव्यांगजनों के लिए
शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
सम्मान और समापन
समारोह में
श्री एसके श्रीवास्तव की गरिमामयी उपस्थिति रही।
ISLRTC के निदेशक
श्री कुमार राजू ने समापन संबोधन में आयोजन से जुड़े सभी टीमों के समर्पण और प्रतिभागियों के उत्साह की सराहना की।
इस अवसर पर
मोबाइल रिपेयरिंग कोर्स सफलतापूर्वक पूर्ण करने वाले
16 प्रशिक्षुओं को प्रशंसा प्रमाण पत्र प्रदान किए गए, जो कौशल विकास की दिशा में एक सराहनीय पहल रही।