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Monday, October 13, 2025

24JT News Desk / New Delhi /September 8, 2025

सीए ज्योति तोरानी - सितंबर 22, 2025 से लागू जीएसटी काउंसिल के नए नियम मध्यम वर्ग के घरों में चर्चा का विषय बन गए हैं, जहां छोटे-छोटे खर्चों में बदलाव भी जल्दी महसूस होता है। सीए ज्योति तोरानी के अनुसार, सरकार इन बदलावों को दक्षता और निष्पक्षता की दिशा में कदम बता रही है, लेकिन हकीकत में यह राह आसान नहीं है। स्वास्थ्य और environment-friendly उत्पादों पर कम टैक्स से कुछ राहत मिली है, लेकिन किराने का सामान, रेस्तरां में खाना और घरेलू उपकरणों पर बढ़ा टैक्स मध्यम वर्ग के बजट पर नया दबाव डाल रहा है। मध्यम वर्ग के लिए ये नए जीएसटी नियम बड़े सुधारों से ज्यादा रोज़मर्रा की चुनौतियों और छोटी राहतों का मिश्रण हैं।

देश / GST दरों में बदलाव सितंबर 2025: Middle Class के लिए क्या मायने रखता है - सीए ज्योति तोरानी

सकारात्मक बदलाव: स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए राहत:


सीए ज्योति तोरानी बताती हैं कि सबसे अच्छी खबर यह है कि जीवन रक्षक दवाओं, जरूरी दवाइयों और डायग्नोस्टिक किट्स पर जीएसटी 12% से घटाकर 5% कर दिया गया है। डायबिटीज या हाइपरटेंशन जैसी बीमारियों से जूझ रहे परिवारों के लिए यह हर महीने बचत का मौका है। उदाहरण के लिए, एक ग्लूकोज मॉनिटरिंग किट, जो पहले ₹500 + ₹60 टैक्स यानी ₹560 की पड़ती थी, अब करीब ₹525 में मिलेगी।

इसके अलावा, सोलर पैनल और ऊर्जा-बचत वाले उपकरणों पर जीएसटी 12% से घटाकर 5% किया गया है, जिससे घरों को सौर ऊर्जा अपनाने में मदद मिलेगी। मध्यम वर्ग के परिवार, जो छत पर सोलर पैनल लगाना चाहते हैं, अब टैक्स में हजारों रुपये बचा सकते हैं। सीए ज्योति तोरानी के अनुसार, माता-पिता के लिए यह भी राहत की बात है कि ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म्स पर कोई टैक्स नहीं लगेगा, जिससे बच्चों की पढ़ाई और प्रोफेशनल स्किल्स बढ़ाने के खर्चे काबू में रहेंगे।

नकारात्मक बदलाव: रसोई और जेब पर बोझ:


सीए ज्योति तोरानी के मुताबिक, दूसरी ओर, FMCG प्रोडक्ट्स जैसे पैकेटबंद अनाज, रेडी-टू-ईट खाना और ब्रांडेड घरेलू सफाई सामान पर जीएसटी 5% से बढ़ाकर 12% कर दिया गया है। इससे किराने का बिल बढ़ गया है। मिसाल के तौर पर, 5 किलो ब्रांडेड चावल, जो पहले ₹300 + ₹15 टैक्स यानी ₹315 का पड़ता था, अब ₹336 में मिलेगा। हफ्ते की खरीदारी अब पहले से ज्यादा महंगी हो गई है।

रेस्तरां में खाना भी अब जेब पर भारी पड़ रहा है। रेस्तरां सेवाओं पर जीएसटी 12% से बढ़ाकर 18% कर दिया गया है। पहले ₹2,000 + ₹240 टैक्स यानी ₹2,240 का पारिवारिक डिनर अब ₹2,360 का हो गया है। सीए ज्योति तोरानी कहती हैं कि मध्यम वर्ग के लिए, वीकेंड पर बाहर खाना अब आम आदत से ज्यादा खास मौके की बात बन गया है।

लाइफस्टाइल से जुड़े सपने भी प्रभावित हुए हैं। स्मार्टफोन, टीवी और फ्रिज जैसे उपभोक्ता सामान पर जीएसटी 12% से बढ़ाकर 18% कर दिया गया है। उदाहरण के लिए, ₹20,000 का स्मार्टफोन अब ₹1,200 अतिरिक्त टैक्स के साथ आएगा, जिससे नौकरीपेशा लोगों के लिए नई खरीदारी मुश्किल हो जाएगी।

लंबे समय का असर: खर्चों में बदलाव:


सीए ज्योति तोरानी का कहना है कि ये जीएसटी बदलाव परिवारों को अपने खर्चों पर फिर से सोचने के लिए मजबूर कर रहे हैं। कुछ लोग रेस्तरां में जाना और पैकेटबंद खाना कम कर रहे हैं, तो कुछ नए उपकरण खरीदने की योजना टाल रहे हैं। दूसरी ओर, स्वास्थ्य और सौर ऊर्जा पर कम टैक्स से लोग निवारक स्वास्थ्य और environment -friendly जीवनशैली में निवेश कर सकते हैं। बड़े नजरिए से, उपभोक्ता सामान पर बढ़े टैक्स से सरकार को ज्यादा राजस्व मिलेगा, जिससे कल्याण योजनाएं और बुनियादी ढांचा परियोजनाएं चल सकती हैं। लेकिन सीए ज्योति तोरानी के अनुसार, मध्यम वर्ग को इसका फायदा तभी महसूस होगा, जब यह पैसा बेहतर सार्वजनिक सेवाओं, किफायती आवास और शहरों में सुविधाओं में बदले।

अंतिम बात: छोटी जीत, रोज़ की चुनौतियां:


सीए ज्योति तोरानी बताती हैं कि 22 सितंबर, 2025 से लागू जीएसटी बदलाव दिखाते हैं कि सुधार अक्सर राहत और दबाव दोनों लेकर आते हैं। मध्यम वर्ग के लिए सस्ती दवाएं और environment-friendly प्रोडक्ट्स पर छूट स्वागत योग्य कदम हैं, लेकिन किराने, रेस्तरां और उपभोक्ता सामान की बढ़ती कीमतें रोज़ की चुनौती बनी हुई हैं। EMI, पढ़ाई के खर्चे और बढ़ती लागत के बीच पहले से जूझ रहे परिवारों को अब बजट और सावधानी से खर्च करना होगा। ये बदलाव स्मार्ट खपत और बेहतर जीवनशैली को बढ़ावा दे सकते हैं, लेकिन सीए ज्योति तोरानी के अनुसार, इनका असली असर इस बात पर निर्भर करेगा कि सरकार बढ़े राजस्व को रोज़मर्रा की ज़िंदगी आसान बनाने में कैसे इस्तेमाल करती है। तब तक, मध्यम वर्ग अपनी जद्दोजहद जारी रखेगा—छोटी जीत के साथ रोज़ की चुनौतियों का सामना करते हुए।

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