भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव 2025 में एक बार फिर सुर्खियों में है। 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले, जिसमें 26 लोग मारे गए, ने दोनों देशों के रिश्तों को तनावपूर्ण बना दिया। भारत ने इस हमले का ठीकरा पाकिस्तान पर फोड़ा और जवाब में कड़े कदम उठाए, जिनमें 1960 की सिंधु जल संधि का निलंबन, पाकिस्तान से सभी आयात पर प्रतिबंध और भारतीय हवाई क्षेत्र को पाकिस्तानी उड़ानों के लिए बंद करना शामिल है। इन कदमों ने पाकिस्तान की पहले से कमजोर अर्थव्यवस्था पर भारी दबाव डाला है। सवाल उठता है: क्या पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था इस तनाव या युद्ध का बोझ सह सकती है?
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था: गहराता संकट
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था लंबे समय से संकट में है। 2023 में देश की जीडीपी वृद्धि लगभग शून्य थी। इसके पीछे बढ़ता आयात बिल, घटता विदेशी मुद्रा भंडार और 30% से अधिक की महंगाई दर जैसे कारण थे। एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने अनुमान लगाया था कि 2024 में पाकिस्तान की जीडीपी वृद्धि 2.5% रही, और 2025 में यह 3% तक पहुंच सकती है।
हालांकि, भारत-पाकिस्तान तनाव 2025 ने इन अनुमानों को खतरे में डाल दिया। 6-7 मई 2025 की रात को भारत ने पाकिस्तान के बहावलपुर और मुरीदके में मरकज़-ए-तैयबा जैसे ठिकानों पर हवाई हमले किए। पाकिस्तान ने दावा किया कि इन हमलों में मस्जिद सहित नागरिक स्थानों को निशाना बनाया गया, जिससे तनाव और बढ़ गया।
भारत के कदम: आर्थिक और कूटनीतिक दबाव
पहलगाम हमले के बाद भारत ने कई आर्थिक और कूटनीतिक कदम उठाए। भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया, जो पाकिस्तान के पंजाब और सिंध प्रांतों में कृषि के लिए महत्वपूर्ण जल आपूर्ति सुनिश्चित करती है। संधि के रद्द होने से पाकिस्तान में खाद्य संकट और आर्थिक अस्थिरता का खतरा बढ़ सकता है।
इसके अलावा, भारत ने पाकिस्तान से सभी आयात पर प्रतिबंध लगा दिया। 2024 में भारत के कुल निर्यात में पाकिस्तान की हिस्सेदारी 0.5% से कम थी, जिसका मतलब है कि भारत की अर्थव्यवस्था पर इस प्रतिबंध का असर नगण्य होगा। लेकिन पाकिस्तान के लिए यह एक बड़ा झटका है, क्योंकि वह भारत से कई आवश्यक वस्तुओं का आयात करता है।
भारत ने आईएमएफ और एडीबी जैसे वैश्विक वित्तीय संस्थानों से पाकिस्तान को दी जाने वाली सहायता की समीक्षा की मांग भी की है। भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने 8 मई 2025 को कहा कि भारत आईएमएफ से पाकिस्तान को दी जाने वाली वित्तीय सहायता पर फिर से विचार करने का आग्रह करेगा।
आईएमएफ की समीक्षा: पाकिस्तान पर बढ़ता दबाव
9 मई 2025 को आईएमएफ का कार्यकारी बोर्ड पाकिस्तानी अधिकारियों से मुलाकात करेगा, जिसमें 7 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज की अगली किस्त और 1.3 अरब डॉलर के जलवायु परिवर्तन ऋण की समीक्षा होगी। भारत ने संकेत दिया है कि वह इस बैठक में पाकिस्तान को दी जाने वाली सहायता पर सवाल उठाएगा। यदि आईएमएफ भारत के दबाव में आता है, तो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए यह एक बड़ा झटका होगा।
मूडीज रेटिंग्स ने चेतावनी दी है कि भारत के साथ तनाव पाकिस्तान की बाहरी वित्तपोषण तक पहुंच को बाधित कर सकता है और विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव बढ़ा सकता है। मूडीज ने कहा कि यदि यह तनाव लंबा खिंचता है, तो पाकिस्तान की आर्थिक स्थिरता खतरे में पड़ सकती है।
पाकिस्तान का रक्षा खर्च: आर्थिक दबाव में इजाफा
भारत के साथ तनाव के बीच पाकिस्तान ने अपने रक्षा बजट में वृद्धि की है। 5 मई 2025 को पाकिस्तान ने अब्दाली मिसाइल का परीक्षण किया, जिसकी रेंज 450 किलोमीटर है। इस परीक्षण को पाकिस्तान की रक्षा क्षमता का प्रदर्शन बताया गया। हालांकि, इस तरह का सैन्य खर्च पाकिस्तान की पहले से कमजोर वित्तीय स्थिति को और दबाव में डाल सकता है।
निवेशकों में घबराहट: शेयर बाजार में गिरावट
पहलगाम हमले और भारत के जवाबी हमलों के बाद पाकिस्तान शेयर बाजार में भारी गिरावट देखी गई।डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपये की कीमत में भी कमी आई है। निवेशक युद्ध के खतरे को सबसे बड़ी बाधा मान रहे हैं और नए प्रोजेक्ट्स में निवेश से बच रहे हैं। भारत के हमलों के बाद पाकिस्तान के सीमावर्ती इलाकों में तनाव और अनिश्चितता बढ़ गई है, जिसने निवेशकों का भरोसा और कम किया है।
भारत की अर्थव्यवस्था: मजबूत लेकिन सतर्क
बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था इस तनाव से अपेक्षाकृत कम प्रभावित होगी। मूडीज ने भारत की मैक्रोइकनॉमिक स्थिति को स्थिर बताया है और 2025 के लिए भारत जीडीपी वृद्धि का अनुमान 6.3% रखा है। हालांकि, बीबीसी के विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि बढ़ता रक्षा खर्च और वैश्विक व्यापार अनिश्चितताएं भारत के लिए भी चुनौतियां खड़ी कर सकती हैं।
विशेषज्ञों की राय
विशेषज्ञों के हवाले से कहा कि भारत की इस बार की रणनीति पिछले हमलों से अलग है, क्योंकि इसका दायरा व्यापक और प्रभावी है। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था वर्तमान तनाव को लंबे समय तक झेलने में सक्षम नहीं है। यह पहले से ही आईएमएफ के सहारे चल रही है। यदि तनाव बढ़ता है, तो देश में आर्थिक संकट और गहरा सकता है।
निष्कर्ष: पाकिस्तान के सामने अनिश्चित भविष्य
भारत-पाकिस्तान तनाव 2025 ने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए एक नया संकट खड़ा कर दिया है। कर्ज, महंगाई और बेरोजगारी से जूझ रहा पाकिस्तान अब भारत के आर्थिक और कूटनीतिक दबाव का सामना कर रहा है। यदि यह तनाव लंबा खिंचता है, तो पाकिस्तान की आर्थिक स्थिरता को गंभीर खतरा हो सकता है। दूसरी ओर, भारत की अर्थव्यवस्था इस तनाव से अपेक्षाकृत सुरक्षित है, लेकिन बढ़ता रक्षा खर्च इसे भी सतर्क रहने को मजबूर कर रहा है।
आईएमएफ की 9 मई 2025 की बैठक और भारत के वैश्विक मंचों पर बढ़ते दबाव के बीच पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति और नाजुक हो सकती है। क्या पाकिस्तान इस ‘जंग’ के आर्थिक बोझ को झेल पाएगा? यह सवाल अभी अनुत्तरित है।