इस करार से भारत को वैश्विक दूरसंचार मानकों और अंतरराष्ट्रीय नीति मंचों पर मजबूत उपस्थिति दर्ज कराने में मदद मिलेगी। टीईसी की तकनीकी विशेषज्ञता और आईआईआईटी नया रायपुर की शैक्षणिक तथा शोध क्षमता मिलकर देश को डिजिटल युग में अग्रणी बनाने की दिशा में काम करेंगी।
सहयोग के प्रमुख बिंदु:
_ओपन आरएएन और नेटवर्क डिसएग्रीगेशन:
खुला इंटरफेस, मॉड्यूलर आर्किटेक्चर और वर्चुअलाइजेशन को बढ़ावा देने के लिए सहयोग।
_संज्ञानात्मक रेडियो एवं स्पेक्ट्रम साझाकरण:
वायरलेस संसाधनों के कुशल उपयोग के लिए डब्ल्यूआरसी-27 एजेंडा के अनुरूप अनुसंधान।
_5G, 6G और IoT फ्रेमवर्क:
अगली पीढ़ी के नेटवर्क के लिए उभरती तकनीकों पर संयुक्त अध्ययन और परीक्षण वातावरण का विकास।
_मानकीकरण में योगदान:
आईटीयू-टी और टीईसी के कार्य समूहों में भागीदारी के जरिए वैश्विक मानकों में भारत की भागीदारी बढ़ाना।
_भारत-केंद्रित परीक्षण ढांचा:
देश की डिजिटल ज़रूरतों के अनुरूप मानकों और अंतर-संचालनीय समाधानों का निर्माण।
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक और कदम
यह सहयोग भारत को दूरसंचार क्षेत्र में स्वदेशी नवाचार और आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर करेगा। देश की विविध जनसंख्या और भौगोलिक स्थितियों के अनुरूप सस्ती, इंटरऑपरेबल और विक्रेता-तटस्थ तकनीकों का विकास इस साझेदारी का प्रमुख उद्देश्य रहेगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह करार 6G नेटवर्क, उन्नत IoT एप्लिकेशंस और अन्य भविष्य की तकनीकों के लिए भारत को तैयार करने में सहायक सिद्ध होगा। साथ ही, इससे आयात पर निर्भरता घटेगी और घरेलू तकनीकी क्षमताओं को बढ़ावा मिलेगा।
टीईसी और आईआईआईटी नया रायपुर — दो संस्थाओं की भूमिका:
टीईसी (Telecommunication Engineering Centre):
भारत सरकार के दूरसंचार विभाग की यह तकनीकी शाखा देश में दूरसंचार उपकरणों और नेटवर्क के लिए मानक, स्पेसिफिकेशन और परीक्षण प्रक्रिया तय करती है।
आईआईआईटी नया रायपुर (IIIT-NR):
सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी में उत्कृष्टता के लिए समर्पित यह संस्थान उद्योग और सरकार के साथ मिलकर प्रौद्योगिकी विकास, शोध और कौशल निर्माण पर कार्य करता है।