राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय संस्कृति 'ईशावास्यम् इदं सर्वम्' के सिद्धांत पर आधारित है, जो सभी जीवों में ईश्वर की उपस्थिति को मानता है। उन्होंने वनों और वन्य जीवों के साथ मनुष्य के सह-अस्तित्व के महत्व को रेखांकित किया और कई प्रजातियों के विलुप्त होने या खतरे में होने पर चिंता जताई। उन्होंने कहा, "जैव विविधता और पृथ्वी के स्वास्थ्य के लिए इन प्रजातियों का संरक्षण अत्यंत आवश्यक है।"
राष्ट्रपति ने 'वन हेल्थ' अवधारणा की चर्चा करते हुए कहा कि मनुष्य, पशु, वनस्पति और पर्यावरण एक-दूसरे से जुड़े हैं। उन्होंने IVRI से जूनोटिक बीमारियों की रोकथाम और नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की अपील की। साथ ही, उन्होंने प्रौद्योगिकी के उपयोग, जैसे जीनोम एडिटिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और बिग डेटा एनालिटिक्स, को पशु चिकित्सा में क्रांति लाने वाला बताया। उन्होंने संस्थान से स्वदेशी, कम लागत वाले उपचार और पोषण समाधान विकसित करने का आग्रह किया, जो पशुओं, मनुष्यों और पर्यावरण के लिए सुरक्षित हों।
छात्रों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने उनकी बेजुबान जानवरों के कल्याण के प्रति समर्पण की सराहना की। उन्होंने छात्रों को उद्यमी बनने और पशु विज्ञान में स्टार्ट-अप शुरू करने की सलाह दी, जिससे रोजगार सृजन और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिले। उन्होंने कहा, "किसी दुविधा में, उन बेजुबान जानवरों के बारे में सोचें, वे आपको सही रास्ता दिखाएंगे।"
इस समारोह में IVRI के वैज्ञानिकों, शिक्षकों और छात्रों ने राष्ट्रपति के विचारों का स्वागत किया। यह कार्यक्रम पशु चिकित्सा और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में भारत के बढ़ते योगदान को दर्शाता है।