इस गुप्त ऑपरेशन के दौरान डीआरआई को मिली खुफिया जानकारी के आधार पर एक अंतरराष्ट्रीय सिंडिकेट के जाल को उजागर किया गया, जिसमें ट्रांजिट यात्री, एयरपोर्ट कर्मचारी, हैंडलर और मास्टरमाइंड शामिल थे। गिरफ्तार किए गए लोगों में दो बांग्लादेशी, छह श्रीलंकाई नागरिक, एयरपोर्ट की 'मीट एंड ग्रीट' सेवा से जुड़े दो कर्मचारी, दो लोकल हैंडलर और इस पूरे नेटवर्क का सरगना भी शामिल है।
दुबई से ट्रांजिट, फिर सोने की तस्करी
जांच में सामने आया है कि यह अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क दुबई से आने वाले ट्रांजिट यात्रियों का इस्तेमाल कर रहा था। यात्री अपने शरीर के अंदर मोम के अंडाकार कैप्सूल में 24 कैरेट सोना छिपाकर मुंबई पहुंचते थे। मुंबई में ये यात्री अंतरराष्ट्रीय प्रस्थान क्षेत्र में गुप्त रूप से एयरपोर्ट कर्मचारियों को सोना सौंप देते थे, जो आगे इसे तस्करी नेटवर्क के हैंडलरों तक पहुंचाते थे।
मास्टरमाइंड दुबई और मुंबई में सक्रिय
यह सिंडिकेट न सिर्फ भारत में बल्कि दुबई में भी ऑपरेट हो रहा था। वहां से सोने की आपूर्ति और भारत में डिलीवरी, दोनों की योजना बनाई जाती थी। एयरपोर्ट कर्मचारियों और यात्रियों की मिलीभगत से यह तस्करी का जाल कई स्तरों पर संचालित हो रहा था।
डीआरआई की चौकसी और तेज कार्रवाई
डीआरआई की यह कामयाबी न केवल उसकी खुफिया ताकत को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि तस्करी के नेटवर्क अब बेहद जटिल और खतरनाक रूप ले चुके हैं। इस ऑपरेशन ने एयरपोर्ट जैसे संवेदनशील स्थानों पर आंतरिक सुरक्षा खतरों की भी पोल खोल दी है।
राष्ट्रीय सुरक्षा पर DRI का सख्त पहरा
डीआरआई ने कहा है कि वह देश के आर्थिक हितों और राष्ट्रीय सुरक्षा को इस तरह के अंतरराष्ट्रीय अपराध सिंडिकेट्स से बचाने के अपने मिशन पर पूरी तरह प्रतिबद्ध है। इस मामले में आगे की जांच जारी है।