डॉ. नवलपाल प्रभाकर दिनकर की "बीती बातें": नॉस्टैल्जिया और बदलते गांव का मार्मिक चित्रण
हिंदी साहित्य के लेखक डॉ. नवलपाल प्रभाकर दिनकर की नवीनतम कहानी "बीती बातें" ने पाठकों के बीच गहरी छाप छोड़ी है। यह कहानी बचपन की स्मृतियों, ग्रामीण जीवन की सादगी, और आधुनिकता के प्रभाव में बदलते गांवों की वास्तविकता को संवेदनशीलता के साथ प्रस्तुत करती है। नॉस्टैल्जिया और शहरीकरण के टकराव को दर्शाती यह रचना समकालीन भारत के सामाजिक परिवर्तनों पर एक गहन चिंतन है।
"बीती बातें" एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है, जो पन्द्रह साल तक शहर की व्यस्तता में डूबा रहा, लेकिन एक दिन गांव की यादें उसे वापस अपनी जन्मभूमि खींच लाती हैं। वह अपने बचपन के जोहड़, स्कूल, और दोस्तों के साथ बिताए पलों को फिर से जीना चाहता है, लेकिन गांव का बदला हुआ स्वरूप उसे निराश करता है। कच्चे रास्तों की जगह पक्की सड़कें, हरियाली की जगह कंपनियां, और अपनत्व की जगह पैसे का बोलबाला—यह सब उसे एहसास दिलाता है कि उसका गांव अब केवल यादों में बचा है।