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Wednesday, July 2, 2025

कला-साहित्य

"तुम्हारी खुशी" - एक कहानी जो समाज को आईना दिखाती है - भावना कुंवर मानावत

भावना कुंवर मानावत द्वारा लिखित कहानी "तुम्हारी खुशी" आज के युवाओं और माता-पिता के बीच बढ़ते भावनात्मक अंतर को उजागर करती है। यह कहानी चेतन नामक एक युवा इंजीनियर की जिंदगी के इर्द-गिर्द घूमती है, जो बाहर से देखने में सफल और सुखी दिखता है, लेकिन भीतर से अकेलेपन, तनाव और अवसाद से जूझ रहा है। यह कहानी न केवल चेतन के दर्द को बयां करती है, बल्कि समाज में माता-पिता और बच्चों के बीच संवाद की कमी और अपेक्षाओं के बोझ को भी रेखांकित करती है।

मेघना वीरवाल की कविता ‘जीवन की डोर’ में जीवन की गहराई का चित्रण

राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले के गाडरियावास, आकोला की युवा कवयित्री मेघना वीरवाल की नवीनतम कविता ‘जीवन की डोर’ ने साहित्य प्रेमियों के बीच एक नई बहस छेड़ दी है। यह कविता जीवन की नाजुकता, मानव की अतृप्त इच्छाओं और सपनों के अनंत चक्र को बड़े ही संवेदनशील ढंग से उकेरती है। मेघना की यह मौलिक रचना, जो गहन दार्शनिकता और भावनात्मक गहराई से भरी है, पाठकों को आत्ममंथन के लिए प्रेरित करती है।

भावना कुंवर मानावत द्वारा लिखित कहानी ‘माँ’ - सपना की प्रेरणादायक यात्रा, दुखों से जीत तक का सफर

राजस्थान के उदयपुर जिले के फतहनगर, हीरावास की निवासी भावना कुंवर मानावत, जिनके पिता का नाम भंवर सिंह मानावत है, द्वारा लिखित कहानी ‘माँ’ एक ऐसी माँ की प्रेरणादायक गाथा है, जिसने सामाजिक बंधनों, पारिवारिक उपेक्षा और जीवन की कठिनाइयों को पार कर अपने बच्चों के लिए एक नया भविष्य गढ़ा। यह कहानी न केवल एक व्यक्तिगत संघर्ष को दर्शाती है, बल्कि समाज में महिलाओं की स्थिति और उनकी अटूट शक्ति को उजागर करती है।

"मौत खरीदता युवक" - डॉ. नवलपाल प्रभाकर दिनकर की भावनात्मक और रहस्यमयी कहानी

हिंदी साहित्य में अपनी संवेदनशील और सामाजिक मुद्दों पर आधारित रचनाओं के लिए प्रसिद्ध डॉ. नवलपाल प्रभाकर दिनकर की कहानी "मौत खरीदता युवक" एक बार फिर चर्चा का विषय बनी है। यह कहानी न केवल पाठकों के दिलों को छू रही है, बल्कि धन, नैतिकता, और आत्मिक शांति जैसे गहन विषयों पर विचार करने के लिए प्रेरित कर रही है।

डॉ० नवलपाल प्रभाकर दिनकर की रचना "सात पेंडिंग केस": सामाजिक मुद्दों पर एक सशक्त टिप्पणी

हिंदी साहित्य में सामाजिक मुद्दों को अपनी रचनाओं के माध्यम से उजागर करने वाले साहित्यकार डॉ० नवलपाल प्रभाकर दिनकर की रचना "सात पेंडिंग केस" ने आज साहित्यिक और सामाजिक हलकों में एक नई बहस को जन्म दिया है। यह रचना एक काल्पनिक कोर्ट रूम ड्रामा के रूप में लिखी गई है, जिसमें सात अलग-अलग पेंडिंग cases के माध्यम से समाज की विभिन्न समस्याओं—like dowry, environmental degradation, female foreticide, alcoholism, stigma around AIDS, child marriage, और love jihad—को संबोधित किया गया है। इस रचना की 10वीं anniversary (मानते हुए कि यह 2015 में लिखी गई थी) के अवसर पर साहित्यिक संगठनों ने इसे फिर से चर्चा में लाया है।

डॉ. नवलपाल प्रभाकर दिनकर की कहानी 'दूसरा जन्म' - सामाजिक कुरीतियों पर प्रेरणादायी प्रहार

डॉ. नवलपाल प्रभाकर दिनकर की नवीनतम कहानी 'दूसरा जन्म' ने सामाजिक जागरूकता और भावनात्मक गहराई के साथ साहित्य प्रेमियों का दिल जीत लिया है। यह कहानी कन्या भ्रूण हत्या, लैंगिक भेदभाव, और सामाजिक रूढ़ियों के खिलाफ एक शक्तिशाली संदेश देती है, जो पाठकों को आत्ममंथन और परिवर्तन के लिए प्रेरित करती है

डॉ. नवलपाल प्रभाकर दिनकर की "बीती बातें": नॉस्टैल्जिया और बदलते गांव का मार्मिक चित्रण

हिंदी साहित्य के लेखक डॉ. नवलपाल प्रभाकर दिनकर की नवीनतम कहानी "बीती बातें" ने पाठकों के बीच गहरी छाप छोड़ी है। यह कहानी बचपन की स्मृतियों, ग्रामीण जीवन की सादगी, और आधुनिकता के प्रभाव में बदलते गांवों की वास्तविकता को संवेदनशीलता के साथ प्रस्तुत करती है। नॉस्टैल्जिया और शहरीकरण के टकराव को दर्शाती यह रचना समकालीन भारत के सामाजिक परिवर्तनों पर एक गहन चिंतन है। "बीती बातें" एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है, जो पन्द्रह साल तक शहर की व्यस्तता में डूबा रहा, लेकिन एक दिन गांव की यादें उसे वापस अपनी जन्मभूमि खींच लाती हैं। वह अपने बचपन के जोहड़, स्कूल, और दोस्तों के साथ बिताए पलों को फिर से जीना चाहता है, लेकिन गांव का बदला हुआ स्वरूप उसे निराश करता है। कच्चे रास्तों की जगह पक्की सड़कें, हरियाली की जगह कंपनियां, और अपनत्व की जगह पैसे का बोलबाला—यह सब उसे एहसास दिलाता है कि उसका गांव अब केवल यादों में बचा है।

“एक बूंद जो मोती बन गई: डॉ० नवलपाल प्रभाकर दिनकर की कविता में जीवन का दर्शन”

कविता केवल भावनाओं की अभिव्यक्ति नहीं होती, वह समय, समाज और आत्मा की गहराइयों में उतरने वाली यात्रा होती है। हिंदी साहित्य की समकालीन धारा में एक ऐसी ही सशक्त रचना उभरकर सामने आई है — “एक बूंद”, जो कवि, चिंतक और शिक्षाविद डॉ० नवलपाल प्रभाकर दिनकर द्वारा रचित है।

कविता की आत्मा : डॉ. चंद्रदत्त शर्मा की रचना में सच्चे साहित्य की परिभाषा

हिंदी कविता की आत्मा को जब शब्दों में उतारने की कोशिश होती है, तब कलम से केवल रचना नहीं, बल्कि आत्मचिंतन की धारा बह निकलती है। ऐसी ही एक अनोखी साहित्यिक अभिव्यक्ति है डॉ. चंद्रदत्त शर्मा की कविता "कविता की आत्मा", जो न केवल एक रचना है, बल्कि हिंदी काव्य की गहराइयों में डूबकर निकाला गया एक जीवन-दर्शन है।

डॉ. नवलपाल प्रभाकर दिनकर की काव्य रचना:

पानी, जो हमारे जीवन का आधार है, और जिसे हम कभी नज़रअंदाज कर देते हैं, उस पानी की बूंद की ताकत को डॉ. नवलपाल प्रभाकर दिनकर ने अपनी कविता "पानी की बूंद" में बड़े ही सुंदर तरीके से व्यक्त किया है। यह कविता न केवल पानी की बूंद के शारीरिक रूप की चर्चा करती है, बल्कि जीवन, संघर्ष और परिवर्तन के गहरे अर्थों को भी उजागर करती है।

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