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Monday, October 13, 2025

कला-साहित्य

तेरी दासी: समर्पण और नारी शक्ति का अद्भुत चित्रण

डॉ. नवलपाल प्रभाकर दिनकर की कविता “तेरी दासी” प्रेम, समर्पण और नारी की आंतरिक शक्ति का अनूठा संगम है। यह कविता न केवल भावनात्मक रूप से गहराई लिए हुए है, बल्कि पाठक को सोचने और महसूस करने पर मजबूर करती है।

कला-साहित्य / September 23, 2025
साहित्यिक शिक्षक: राष्ट्रनिर्माण के असली शिल्पी - डॉ. चंद्रदत्त शर्मा चंद्रकवि

शिक्षक कभी साधारण नहीं होता। प्रलय और निर्माण दोनों ही उसकी गोद में पलते हैं। आचार्य चाणक्य के यह शब्द आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने तक्षशिला के समय थे। इतिहास गवाह है कि किस तरह आचार्य चाणक्य ने अपनी शिक्षा और ज्ञान से पूरे भारत की दिशा बदल दी थी।

कला-साहित्य / September 23, 2025
डॉ. नवलपाल प्रभाकर दिनकर की कविता 'पृथ्वी': प्रकृति के प्रति प्रेम और कृतज्ञता की भावना

डॉ. नवलपाल प्रभाकर दिनकर की कविता 'पृथ्वी' प्रकृति के प्रति गहरे प्रेम और कृतज्ञता को व्यक्त करती है। यह कविता पृथ्वी को एक माँ के रूप में चित्रित करती है, जो अपनी संतानों को सूरज की तपती किरणों से बचाती है और उन्हें प्रेम, शीतलता और सौंदर्य प्रदान करती है। सरल और भावपूर्ण शब्दों में लिखी गई यह कविता पाठकों को प्रकृति के महत्व को समझाने के साथ-साथ इसके संरक्षण का संदेश भी देती है।

कला-साहित्य / September 19, 2025
डॉ. नवलपाल प्रभाकर दिनकर की कविता "मोम के पंख" ने जीता पाठकों का दिल

कवि और लेखक डॉ. नवलपाल प्रभाकर दिनकर की कविता "मोम के पंख", जिसने साहित्य प्रेमियों के बीच खासी चर्चा बटोरी है। यह कविता मानव जीवन की महत्वाकांक्षाओं, आंतरिक संघर्षों और चुनौतियों को गहरे और भावनात्मक अंदाज में प्रस्तुत करती है।

कला-साहित्य / September 19, 2025
हरियाणवी को भाषा का दर्जा दिलाने की मुहिम में जुटे साहित्यकार डॉ. चंद्रदत्त शर्मा - डॉ. नवलपाल प्रभाकर दिनकर

लेखक डॉ. नवलपाल प्रभाकर दिनकरअपने इस लेख के माध्यम से बताते है कि हर व्यक्ति को अपनी मातृभाषा या बोली से गहरा लगाव होता है। बच्चा अपना पहला शब्द अपनी मातृभाषा में ही बोलता है। यही कारण है कि व्यक्ति चाहे कहीं भी जाए, अपनी बोली को कभी नहीं भूलता। हरियाणवी एक ऐसी बोली है, जो अपनी जीवंतता, सादगी और स्पष्टवादिता के कारण न केवल देश में, बल्कि विदेशों में भी लोकप्रिय हो रही है। फिल्मों से लेकर वैश्विक मंच तक, हरियाणवी अपनी धाक जमा रही है।

कॉरपोरेट मजदूर - एक युवती की कहानी जो उजागर करती है कॉरपोरेट दुनिया की कड़वी सच्चाई !

कॉरपोरेट जगत की चमक-दमक और ऊँची सैलरी के पीछे छिपा है एक कड़वा सच, जहाँ लाखों युवा अपने सपनों को साकार करने के लिए अपनी सेहत और निजी ज़िंदगी को दाँव पर लगा देते हैं। भावना कुंवर मानावत की मार्मिक कहानी "कॉरपोरेट मजदूर" स्नेहा नाम की एक युवती की ज़िंदगी के माध्यम से इस सच्चाई को बयां करती है। यह कहानी न केवल कॉरपोरेट दुनिया में काम के दबाव को दर्शाती है, बल्कि कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य और कार्य-जीवन संतुलन की अनदेखी पर भी सवाल उठाती है।

हिन्दी साहित्य में नवीन कृति: डॉ. नवलपाल प्रभाकर दिनकर की कहानी 'पृथ्वी भ्रमण'

हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में एक नया रत्न जुड़ा है, जिसका नाम है 'पृथ्वी भ्रमण'। यह कहानी साहित्यकार डॉ. नवलपाल प्रभाकर दिनकर द्वारा रचित है, जो अपने गहन चिंतन और सामाजिक यथार्थ को पौराणिक ढांचे में प्रस्तुत करने के लिए जाने जाते हैं। यह कहानी नारद मुनि के पृथ्वी भ्रमण के माध्यम से आधुनिक समाज की विसंगतियों और नैतिक पतन को उजागर करती है। पाठकों को इस कहानी का संपूर्ण पाठ नीचे प्रस्तुत किया जा रहा है, जो न केवल मनोरंजक है, बल्कि समाज को गहरा संदेश भी देती है।

माँ की ममता और पुनर्जनन की भावनात्मक कहानी

हिन्दी साहित्य के लेखक डॉ. नवलपाल प्रभाकर दिनकर की कहानी "माँ" पाठकों के दिलों को छू रही है। यह कहानी ममता, त्याग और पुनर्जनन की ऐसी भावनात्मक यात्रा है, जो पाठकों को न केवल गहरे तक प्रभावित करती है, बल्कि मानवीय रिश्तों की गहराई को भी उजागर करती है।

हिन्दी साहित्य की मार्मिक कहानी: धनसुखा का सपना, नैनसुखा की डिग्रियाँ

हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में डॉ. नवलपाल प्रभाकर दिनकर की कहानी "धनसुखा का सपना, नैनसुखा की डिग्रियाँ" एक ऐसी रचना है, जो सामाजिक और आर्थिक विषमताओं को उजागर करते हुए मानवीय संवेदनाओं को गहरे तक छूती है। यह कहानी एक किसान धनसुखा और उसके बेटे नैनसुख के जीवन के इर्द-गिर्द घूमती है, जो मेहनत, शिक्षा और सामाजिक व्यवस्था की कटु सच्चाइयों के बीच अपने सपनों को पूरा करने की जद्दोजहद में उलझ जाते हैं। यह रचना न केवल व्यक्तिगत बलिदान और पारिवारिक प्रेम को दर्शाती है, बल्कि समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार, दहेज प्रथा और आर्थिक असमानता जैसे गंभीर मुद्दों पर भी करारा प्रहार करती है।

"तुम्हारी खुशी" - एक कहानी जो समाज को आईना दिखाती है - भावना कुंवर मानावत

भावना कुंवर मानावत द्वारा लिखित कहानी "तुम्हारी खुशी" आज के युवाओं और माता-पिता के बीच बढ़ते भावनात्मक अंतर को उजागर करती है। यह कहानी चेतन नामक एक युवा इंजीनियर की जिंदगी के इर्द-गिर्द घूमती है, जो बाहर से देखने में सफल और सुखी दिखता है, लेकिन भीतर से अकेलेपन, तनाव और अवसाद से जूझ रहा है। यह कहानी न केवल चेतन के दर्द को बयां करती है, बल्कि समाज में माता-पिता और बच्चों के बीच संवाद की कमी और अपेक्षाओं के बोझ को भी रेखांकित करती है।

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