हिन्दी साहित्य की मार्मिक कहानी: धनसुखा का सपना, नैनसुखा की डिग्रियाँ
हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में डॉ. नवलपाल प्रभाकर दिनकर की कहानी "धनसुखा का सपना, नैनसुखा की डिग्रियाँ" एक ऐसी रचना है, जो सामाजिक और आर्थिक विषमताओं को उजागर करते हुए मानवीय संवेदनाओं को गहरे तक छूती है। यह कहानी एक किसान धनसुखा और उसके बेटे नैनसुख के जीवन के इर्द-गिर्द घूमती है, जो मेहनत, शिक्षा और सामाजिक व्यवस्था की कटु सच्चाइयों के बीच अपने सपनों को पूरा करने की जद्दोजहद में उलझ जाते हैं। यह रचना न केवल व्यक्तिगत बलिदान और पारिवारिक प्रेम को दर्शाती है, बल्कि समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार, दहेज प्रथा और आर्थिक असमानता जैसे गंभीर मुद्दों पर भी करारा प्रहार करती है।