बैठक के बाद श्री चौहान ने बातचीत करते हुए बताया,
“हमारी बातचीत अत्यंत सौहार्दपूर्ण और सार्थक रही। हमने कृषि और खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की दिशा में सकारात्मक पहल की है।”
कृषि व्यापार और तकनीकी साझेदारी पर जोर
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय कृषि व्यापार को संतुलित करने और फाइटो-सेनेटरी व नॉन टैरिफ बाधाओं को दूर करने पर चर्चा हुई।
“भारत के आलू, अनाज, पोल्ट्री और मत्स्य उत्पादों को रूस के बाजारों तक पहुंचाने की संभावनाओं पर गंभीरता से बातचीत हुई है।” – श्री चौहान
उन्होंने यह भी बताया कि आईसीएआर और रूस की समकक्ष संस्थाओं के बीच शोध व नवाचार को लेकर सहयोग को और सशक्त किया जाएगा।
शैक्षणिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को मिलेगा बढ़ावा
इस उच्च स्तरीय बैठक में शैक्षणिक साझेदारी भी प्रमुख विषय रहा। श्री चौहान ने बताया,
“रूस ने चार भारतीय छात्रों को मुफ्त शिक्षा देने का प्रस्ताव दिया है। इसके बदले भारत भी रूसी छात्रों को फेलोशिप देगा।”
अब भारत और रूस के कृषि छात्र एक-दूसरे के देशों में जाकर पढ़ाई कर सकेंगे, जिससे न केवल अकादमिक बल्कि संस्कृति और तकनीक का आदान-प्रदान भी संभव होगा।
‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की भावना से आगे बढ़ेगा सहयोग
श्री चौहान ने यह भी कहा कि भारत रूस के साथ ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की भावना के तहत सहयोग को और मजबूत करेगा।
“हम राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखते हुए वैश्विक परिवार की भावना के साथ खाद्य सुरक्षा, तकनीक, शिक्षा और नवाचार के क्षेत्र में रूस के साथ मिलकर काम करेंगे।”
व्यापारिक मुद्दों के समाधान की उम्मीद
बैठक के अंत में केंद्रीय कृषि मंत्री ने विश्वास जताया कि रूस के सहयोग से व्यापार से जुड़े लंबित मुद्दों का समाधान निकलेगा, जिससे किसानों, उपभोक्ताओं और दोनों देशों के नागरिकों को लाभ मिलेगा।
“भारत और रूस की मित्रता वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए भी अत्यंत आवश्यक है।”