अपने संबोधन में राष्ट्रपति मुर्मु ने स्पष्ट किया कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम भारत को वर्ष 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के संकल्प की प्राप्ति में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने कहा कि स्कोप उत्कृष्टता पुरस्कार, उन प्रयासों की पहचान हैं जो उद्यम देश के सामाजिक, आर्थिक, पर्यावरणीय, तकनीकी और नैतिक क्षेत्रों में कर रहे हैं।
"समग्र दृष्टिकोण ही भविष्य का मार्ग है"
राष्ट्रपति ने सतत विकास, नवाचार, कॉर्पोरेट गवर्नेंस और सामाजिक उत्तरदायित्व जैसे विषयों पर CPSEs के प्रदर्शन की सराहना करते हुए कहा कि यह एक समग्र दृष्टिकोण को दर्शाता है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि स्वतंत्रता के बाद से CPSEs देश के औद्योगीकरण, सामाजिक उत्थान और क्षेत्रीय संतुलन में अहम भूमिका निभाते आए हैं।
"बदलते दौर में भी बना रखा है भरोसा"
राष्ट्रपति ने इस बात पर संतोष जताया कि समय के साथ बदलाव के बावजूद, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम आज भी आर्थिक प्रगति और राष्ट्रीय लक्ष्यों की पूर्ति में एक मजबूत स्तंभ बने हुए हैं। उन्होंने कहा कि इन संस्थानों ने न केवल आर्थिक योगदान दिया है, बल्कि समावेशी विकास को प्राथमिकता दी है।
"राष्ट्रीय सुरक्षा और आत्मनिर्भरता में भी अग्रणी भूमिका"
राष्ट्रपति मुर्मु ने ऑपरेशन सिंदूर का उल्लेख करते हुए बताया कि स्वदेशी वायु रक्षा प्रणाली 'आकाशतीर' की सफलता इस बात का प्रमाण है कि CPSEs रक्षा क्षेत्र में भी आत्मनिर्भर भारत के सपनों को साकार कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “यह सार्वजनिक क्षेत्र के लिए गर्व की बात है कि वे भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता में भी सहयोगी हैं।”
"2047 का संकल्प, CPSEs का दायित्व"
राष्ट्रपति ने दोहराया कि वर्ष 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य की दिशा में CPSEs की भूमिका निर्णायक होगी। उन्होंने अपेक्षा जताई कि ये उपक्रम राष्ट्र निर्माण, ईमानदार कार्य संस्कृति और सामाजिक सरोकारों को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ें।
अंत में, राष्ट्रपति ने स्कोप द्वारा दिए जा रहे इन पुरस्कारों को एक प्रेरणा स्रोत बताया और कहा कि ये मंच सार्वजनिक क्षेत्र की प्रतिबद्धता, क्षमता और परिवर्तनशीलता का प्रतीक हैं।