भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव हाल ही में तब बढ़ा जब भारत ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत पाकिस्तान के छह वायुसेना ठिकानों—रफीकी, मुरिद, चकलाला, रहीम यार खान, सुक्कुर और चुनियां—पर सटीक हमले किए। ये हमले पाकिस्तान द्वारा जम्मू-कश्मीर, पंजाब और राजस्थान में भारतीय सैन्य ठिकानों पर मिसाइल और ड्रोन हमलों के जवाब में किए गए थे। दोनों देशों ने एक-दूसरे पर सीमा पार हमलों का आरोप लगाया, जिससे स्थिति युद्ध की ओर बढ़ती दिख रही थी।
पाकिस्तान ने शनिवार को अपनी हवाई सीमा को बंद कर दिया था, लेकिन युद्धविराम की घोषणा के बाद इसे फिर से खोल दिया गया। भारत ने भी अपने सैन्य ठिकानों पर सतर्कता बरतते हुए युद्धविराम का पालन करने की बात कही, लेकिन साथ ही कहा कि वह किसी भी खतरे से निपटने के लिए तैयार रहेगा
विदेश सचिव विक्रम मिश्री ने नई दिल्ली में एक संक्षिप्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि पाकिस्तान के डीजीएमओ ने शनिवार दोपहर 3:35 बजे अपने भारतीय समकक्ष से संपर्क किया। इसके बाद दोनों पक्षों ने सभी सैन्य गतिविधियों—जमीन, हवा और समुद्र—को तुरंत रोकने पर सहमति जताई। यह युद्धविराम शाम 5 बजे (भारतीय समयानुसार) से लागू हो गया। मिश्री ने स्पष्ट किया कि यह समझौता बिना किसी पूर्व या बाद की शर्त के हुआ और इसे दोनों देशों ने सीधे तौर पर तय किया।
पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने जियो न्यूज को बताया कि यह युद्धविराम "पूर्ण और व्यापक" है, जिसमें सऊदी अरब और तुर्की जैसे देशों ने भी कूटनीतिक भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि तीन दर्जन से अधिक देश इस प्रक्रिया में शामिल थे। डार ने अपने एक्स पोस्ट में लिखा, "पाकिस्तान और भारत ने तत्काल प्रभाव से युद्धविराम पर सहमति जताई है। पाकिस्तान हमेशा क्षेत्र में शांति और सुरक्षा के लिए प्रयासरत रहा है, बिना अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता से समझौता किए।"
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा, "लंबी रात की बातचीत के बाद, मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि भारत और पाकिस्तान ने अमेरिका की मध्यस्थता में पूर्ण और तत्काल युद्धविराम पर सहमति जताई है। दोनों देशों को बधाई।" अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भी दावा किया कि उन्होंने भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर से बातचीत की, जिसके बाद यह समझौता संभव हुआ।
हालांकि, भारत ने अमेरिकी मध्यस्थता के दावे को खारिज करते हुए कहा कि यह समझौता दोनों देशों के बीच सीधे बातचीत से हुआ। विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तान ने पहले संपर्क किया और किसी तीसरे पक्ष की कोई औपचारिक मध्यस्थता नहीं थी।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने युद्धविराम की पुष्टि करते हुए कहा, "भारत और पाकिस्तान ने आज गोलीबारी और सैन्य कार्रवाई रोकने पर समझौता किया है। भारत आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों के खिलाफ अपनी दृढ़ और अटल नीति पर कायम है।" मंत्रालय के सूत्रों ने यह भी स्पष्ट किया कि इंदुस जल संधि अभी भी निलंबित रहेगी और 23 अप्रैल को पाकिस्तान के खिलाफ घोषित सभी प्रतिबंध लागू रहेंगे।
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने युद्धविराम का स्वागत करते हुए कहा, "यह देर से लिया गया निर्णय है, लेकिन फिर भी स्वागत योग्य है। अगर यह दो दिन पहले हो जाता, तो हम खूनखराबे और कीमती जिंदगियों के नुकसान से बच सकते थे।" पूर्व डीजीपी एसपी वैद ने जम्मू में कहा, "यह एक अच्छा कदम है। मुझे लगता है कि भारत ने शर्त रखी होगी कि पाकिस्तान को आतंकवाद की गतिविधियाँ बंद करनी होंगी।"
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा, "शांति जरूरी है। भारत कभी लंबे युद्ध की इच्छा नहीं रखता था। हमने आतंकवादियों को सबक सिखाया और यह उद्देश्य पूरा हुआ।" हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक ने भी युद्धविराम का स्वागत किया और कहा कि बातचीत ही शांति और स्थिरता का रास्ता है।
दोनों देशों के डीजीएमओ 12 मई को दोपहर 12 बजे फिर से बातचीत करेंगे। भारत ने कहा है कि वह युद्धविराम का पालन करेगा, लेकिन किसी भी उकसावे के खिलाफ सतर्क रहेगा। दूसरी ओर, कुछ भारतीय रणनीतिक और राष्ट्रवादी हलकों में निराशा है। उनका मानना है कि भारत का सैन्य दबदबा था और युद्धविराम जल्दबाजी में किया गया।
यह युद्धविराम दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। हालांकि, भारत ने स्पष्ट किया है कि आतंकवाद के खिलाफ उसकी नीति में कोई बदलाव नहीं होगा। दोनों देशों के बीच 12 मई को होने वाली बातचीत से यह तय होगा कि क्या यह युद्धविराम स्थायी शांति की ओर ले जाएगा।