मामला यह है कि ऑपरेशन के महज़ 24 घंटे के भीतर इस नाम को लेकर ‘ट्रेडमार्क’ दर्ज कराने की दौड़ शुरू हो गई। कई बड़ी कंपनियों और व्यक्तियों ने इस नाम को फिल्म, डॉक्यूमेंट्री, कॉन्सर्ट और वेब सीरीज़ बनाने के उद्देश्य से अपने नाम करवाने की कोशिश की।
कौन-कौन कर रहा है Trademark का दावा?
1. Reliance Industries Ltd:
क्लास: 41 (एंटरटेनमेंट, फिल्म प्रोडक्शन आदि)
स्टेटस: Formality Check Passed
उद्देश्य: "Provision of entertainment, production and distribution of audio-visual content, electronic publishing, and discussion forums."
स्थिति: Reliance ने बाद में अपना आवेदन वापस ले लिया, और स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा कि यह ट्रेडमार्क एक जूनियर स्टाफ मेंबर द्वारा बिना अनुमति के फाइल किया गया था।
2. मुकेश चेतराम अग्रवाल:
क्लास: 41
उद्देश्य: म्यूजिक फेस्टिवल्स, लाइव म्यूजिक, थिएटर इवेंट्स, कल्चरल प्रोग्राम आदि
खास बात: इन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के आधिकारिक लोगो को भी ट्रेडमार्क में शामिल किया — यानी सेना का लोगो तक अपने नाम करने की कोशिश।
3. ग्रुप कैप्टन कमल सिंह ओबेरॉय (रिटायर्ड):
क्लास: 41
उद्देश्य: वेब सीरीज़, फिल्म प्रोडक्शन और कल्चरल एक्टिविटीज
स्पेलिंग मिस्टेक तक एप्लीकेशन में दिखी — “Prodction”
4. आलोक कोठारी:
क्लास: 41
उद्देश्य: एजुकेशन, ट्रेनिंग, एंटरटेनमेंट व स्पोर्टिंग एक्टिविटीज
सरकारी वेबसाइट से क्या पता चला?
इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी इंडिया (ipindia.gov.in) की ट्रेडमार्क पब्लिक सर्च वेबसाइट पर जाकर की गई जांच में ये तथ्य सामने आए।
सभी आवेदन Class 41 में दर्ज किए गए हैं, जो मुख्य रूप से एंटरटेनमेंट, परफॉर्मिंग आर्ट्स और पब्लिशिंग से जुड़े कार्यों के लिए होती है। इनमें स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि यह नाम डॉक्यूमेंट्री, वेब सीरीज़, फिल्म, म्यूजिक कॉन्सर्ट्स आदि में उपयोग किया जाना है।
इस पूरे घटनाक्रम ने दो बड़े सवाल खड़े किए हैं:
क्या कोई व्यक्ति या प्राइवेट संस्था एक राष्ट्रीय सैन्य ऑपरेशन के नाम पर ट्रेडमार्क ले सकती है?
क्या ये संवेदनशील मुद्दा मुनाफाखोरी की नीयत को नहीं दर्शाता?
“हालांकि सरकार आमतौर पर ऐसे नामों को खुद ट्रेडमार्क नहीं कराती, लेकिन अगर कोई व्यक्ति सेना से जुड़े ऑपरेशन को कमर्शियल इस्तेमाल के लिए दर्ज कराता है, और वह जनभावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला या मिसलीडिंग है, तो ट्रेडमार्क अथॉरिटी उसे रोक सकती है।"
Reliance का बयान
Reliance Industries ने स्पष्ट किया है कि उनका ट्रेडमार्क आवेदन बिना अनुमति के एक जूनियर द्वारा फाइल किया गया था और उसे तत्काल प्रभाव से वापस ले लिया गया है। बयान में यह भी कहा गया:
“Operation Sindoor is now a part of the national consciousness as a symbol of Indian bravery, and we have no intention of trademarking it.”
'ऑपरेशन सिंदूर' सिर्फ एक मिलिट्री ऑपरेशन नहीं, राष्ट्र के गौरव का प्रतीक है। ऐसे नामों को निजी कंपनियों द्वारा ट्रेडमार्क कराने की कोशिश, भले ही कानूनन संभव हो, नैतिक रूप से गंभीर प्रश्न खड़े करती है। यह एक केस स्टडी बनता जा रहा है — प्राइड वर्सेज प्रॉफिट का।