गडकरी ने यह बात आज राजधानी में आयोजित फिक्की सड़क सुरक्षा पुरस्कार एवं संगोष्ठी 2025 के सातवें संस्करण में कही। इस वर्ष का विषय था — “विज़न ज़ीरो: लाइफ फर्स्ट, ऑलवेज”।
राष्ट्रीय स्तर पर क्षेत्रीय भाषाओं में सड़क सुरक्षा शिक्षा की शुरुआत
मंत्री ने बताया कि सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान के सहयोग से, अब सभी क्षेत्रीय भाषाओं में स्कूल और कॉलेज के पाठ्यक्रम में सड़क सुरक्षा को शामिल कर रहा है। इस पहल का आधिकारिक उद्घाटन एक केंद्रीय विद्यालय में आयोजित कार्यक्रम के माध्यम से हुआ। इसका उद्देश्य है देश भर के छात्रों को प्रारंभिक स्तर से ही सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूक और शिक्षित करना।
“तकनीकी विकास से ज्यादा ज़रूरी है मानवीय व्यवहार में सुधार”
गडकरी ने कहा, “भले ही हम सड़कों की गुणवत्ता, नियमों के प्रवर्तन और तकनीकी नवाचारों में सुधार कर रहे हैं, लेकिन सबसे बड़ी चुनौती है लोगों के व्यवहार में बदलाव लाना। यह तभी संभव है जब हम बच्चों को छोटी उम्र से ही सड़क सुरक्षा की समझ दें।”
कार्यक्रम में घोषित प्रमुख पहलें:
1. भारत एनसीएपी (New Car Assessment Programme) को लागू कर वाहनों की सुरक्षा का मूल्यांकन।
2. बस बॉडी कोड और सड़क सुरक्षा ऑडिट का प्रवर्तन।
3. ट्रक चालकों के लिए एसी केबिन और थकान का पता लगाने वाली तकनीक का उपयोग।
4. शंकर महादेवन के संगीत और अमिताभ बच्चन की आवाज में तैयार 22 भाषाओं में जागरूकता अभियान।
5. राह-वीर योजना के तहत सड़क हादसों में मदद करने वाले लोगों को ₹25,000 तक का इनाम।
6. पैदल यात्रियों के लिए फुट ओवरब्रिज में लिफ्ट, स्कूटर-सुलभ ढांचा आदि बुनियादी सुधार।
7. डेटा-आधारित सड़क सुरक्षा ऑडिट द्वारा खतरनाक क्षेत्रों की पहचान और सुधार।
8. सेवानिवृत्त पेशेवरों और नागरिकों को स्कूलों में स्वयंसेवक के तौर पर जोड़ने का आह्वान।
“सड़क सुरक्षा सरकार की नहीं, हर नागरिक की जिम्मेदारी”
अपने संबोधन के अंत में गडकरी ने दोहराया, “सरकार सुरक्षा बढ़ाने के लिए लगातार नीतियां और ढांचा बना रही है, लेकिन जब तक नागरिक खुद यातायात नियमों का पालन नहीं करेंगे, तब तक सड़कें सुरक्षित नहीं बन सकतीं। सड़क सुरक्षा एक साझी जिम्मेदारी है।”
सड़क सुरक्षा में उत्कृष्ट योगदान देने वालों को मिला सम्मान
फिक्की द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में बेहतर काम करने वाली कंपनियों और संस्थानों को सम्मानित किया गया। इनमें शीर्ष वाहन निर्माता, टेक्नोलॉजी कंपनियां और सुरक्षा-उन्मुख संगठन शामिल थे, जिन्हें उनके उल्लेखनीय नवाचारों और पहलों के लिए सराहा गया।