डॉ. सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अंतरिक्ष क्षेत्र में ऐतिहासिक सुधार हुए हैं। उन्होंने बताया कि इस समय देश में 300 से अधिक स्टार्टअप सक्रिय हैं, जो प्रक्षेपण यान, उपग्रह और भू-प्रणालियों जैसे क्षेत्रों में नवाचार को गति दे रहे हैं।
चंद्रयान-3 से गगनयान तक, भारत की अंतरिक्ष गाथा
डॉ. सिंह ने चंद्रयान-3 की सफलता का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत पहला देश बना जिसने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट-लैंडिंग की। साथ ही उन्होंने भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की ऐतिहासिक उपलब्धि को भी रेखांकित किया, जो अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) का दौरा करने वाले पहले भारतीय बने।
उन्होंने कहा कि गगनयान मिशन के साथ-साथ भारत आने वाले वर्षों में मंगल, शुक्र और क्षुद्रग्रहों की खोज में भी अग्रसर रहेगा।
भारत बना वैश्विक सहयोग का केंद्र
भारत के बढ़ते अंतरिक्ष प्रभाव को रेखांकित करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने अमेरिका के साथ निसार मिशन और जापान के साथ चंद्रयान-5 जैसी साझेदारियों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष एक ऐसा मंच बन रहा है, जो वैश्विक सहयोग और समावेशिता को नया आयाम दे रहा है।
स्टार्टअप से सशक्त हो रहा है भारत का अंतरिक्ष भविष्य
डॉ. सिंह ने कहा कि आज भारत का अंतरिक्ष परिदृश्य केवल वैज्ञानिकों तक सीमित नहीं है, बल्कि युवा उद्यमियों, निजी कंपनियों और शैक्षणिक संस्थानों की भागीदारी भी इसमें अहम भूमिका निभा रही है। 300 से ज्यादा स्टार्टअप न केवल नई तकनीकों पर काम कर रहे हैं, बल्कि रोजगार, निवेश और अवसरों का भी निर्माण कर रहे हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का असली मूल्य इसके आम जनता के जीवन में उपयोग से है – चाहे वह कृषि हो, स्वास्थ्य, शिक्षा, शहरी नियोजन या ई-गवर्नेंस।
CIआई सम्मेलन में जुटे 500 से अधिक प्रतिनिधि
भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) द्वारा आयोजित इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में भारत और विदेशों से 500 से अधिक प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इनमें नीति-निर्माता, वैज्ञानिक, उद्योगपति, शिक्षाविद और स्टार्टअप प्रतिनिधि शामिल रहे।
डॉ. सिंह ने सम्मेलन को “वैश्विक प्रगति के लिए अंतरिक्ष उपयोग: नवाचार, नीति और विकास” जैसे विषय पर विमर्श का एक उपयुक्त मंच बताया।
कौशल विकास और अंतरिक्ष शिक्षा पर विशेष ज़ोर
उन्होंने इसरो के आउटरीच कार्यक्रमों, अकादमिक उत्कृष्टता केंद्रों और उद्योग-अकादमिक साझेदारी को भारत की अंतरिक्ष नीति का आधार बताते हुए कहा कि देश में उपग्रह डिजाइन, प्रोपल्शन, AI-आधारित अनुप्रयोग और अंतरिक्ष कानून जैसे क्षेत्रों में युवा प्रतिभाओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है।
"अंतरिक्ष को बनाएं एकता और प्रगति का साझा क्षितिज"
अपने संबोधन के अंत में डॉ. जितेंद्र सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी की उस दृष्टि को दोहराया कि 21वीं सदी भारत की होगी, और अंतरिक्ष भारत के वैश्विक नेतृत्व का केंद्र बनेगा।
उन्होंने कहा –
“भारत की अंतरिक्ष यात्रा दृढ़ता और नवाचार की यात्रा है। आइए, हम सभी मिलकर सपने देखें, नवाचार करें और निर्माण करें — ताकि अंतरिक्ष को एक सुदूर सीमा से बदलकर एकता और वैश्विक प्रगति का साझा क्षितिज बनाया जा सके।”