श्री पाटिल ने उद्घाटन सत्र में कहा कि सरपंच संवाद डिजिटल प्लेटफॉर्म की मदद से ग्राम पंचायतों के सरपंचों को जोड़कर उन्हें एकजुट और सशक्त बनाने का अनूठा प्रयास है। उन्होंने यह भी बताया कि वर्तमान में 22 राज्यों के 75 प्रतिष्ठित सरपंच सम्मेलन में भाग ले रहे हैं, जो स्थानीय सतत विकास लक्ष्यों के पांच मुख्य विषयों पर चर्चा कर रहे हैं।
इस अवसर पर जल शक्ति मंत्रालय के पेयजल और स्वच्छता विभाग के सचिव श्री अशोक के.के. मीणा, पंचायती राज मंत्रालय के सचिव श्री विवेक भारद्वाज और क्यूसीआई के अध्यक्ष श्री जैक्सय शाह सहित कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।
पंचायती राज मंत्रालय के सचिव श्री विवेक भारद्वाज ने कहा कि मंत्रालय ई-गवर्नेंस और आईसीटी उपकरणों के जरिए ग्राम स्तर पर शासन को मजबूत कर रहा है। उन्होंने ग्राम जल एवं स्वच्छता समितियों को सशक्त बनाने तथा पारदर्शिता के लिए डिजिटल प्रणाली अपनाने पर जोर दिया।
जल शक्ति मंत्रालय के सचिव श्री अशोक के. के. मीणा ने सरपंच संवाद को सिर्फ एक डिजिटल प्लेटफॉर्म नहीं बल्कि एक आंदोलन बताया, जो गांवों को खुले में शौच मुक्त, स्वच्छ और सुजल बनाने में मदद कर रहा है। उन्होंने तकनीक और गुणवत्ता मूल्यांकन की भूमिका को अहम बताया।
क्यूसीआई के अध्यक्ष श्री जैक्सय शाह ने बताया कि अब तक 60,000 से अधिक सरपंचों को जोड़ा जा चुका है और अक्टूबर 2025 तक इस संख्या को 75,000 तथा दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिवस तक 1,00,000 सरपंचों तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है।
सम्मेलन में जल शक्ति मंत्रालय और क्यूसीआई के बीच जल और स्वच्छता आधारित विकास को बढ़ावा देने हेतु समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर भी हस्ताक्षर किए गए।
सम्मेलन में 17 सितंबर से 25 दिसंबर तक 100-दिवसीय ‘सुशासन चुनौती’ की भी घोषणा हुई, जिसका उद्देश्य देश भर में पंचायत नेतृत्व वाले अभियानों को गति देना और सुशासन को मजबूत बनाना है।
कार्यक्रम का समापन सरपंच संवाद मोबाइल ऐप के माध्यम से सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों के दस्तावेजीकरण और साझा करने के संकल्प के साथ हुआ, ताकि पंचायत स्तर पर सतत विकास और सीखने की प्रक्रिया जारी रह सके।
भारतीय गुणवत्ता परिषद (क्यूसीआई) एक स्वायत्त संस्था है, जो भारत सरकार के अधीन विभिन्न क्षेत्रों में गुणवत्ता मानकों को स्थापित और बढ़ावा देने का कार्य करती है। यह संस्था उत्पादों, सेवाओं और प्रक्रियाओं का तृतीय-पक्ष मूल्यांकन करती है, जिससे गुणवत्ता की संस्कृति विकसित होती है।