यह बहुप्रतीक्षित द्विपक्षीय युद्धाभ्यास भारत और थाईलैंड के बीच बढ़ते रक्षा सहयोग और सैन्य तालमेल का प्रतीक है। अभ्यास का मुख्य उद्देश्य दोनों सेनाओं के बीच संयुक्त अभियानों की क्षमता, आपसी समझ, और सहयोग को और मजबूत करना है। गौरतलब है कि इसका पिछला संस्करण थाईलैंड के टाक प्रांत स्थित फोर्ट वाचिराप्राकन में आयोजित हुआ था।
सेनाओं की भागीदारी
इस अभ्यास में भारत की ओर से मद्रास रेजिमेंट की एक बटालियन के 120 सैन्य कर्मी भाग ले रहे हैं, जबकि थाईलैंड की ओर से रॉयल थाई आर्मी की 53 सदस्यीय टुकड़ी, जिसमें प्रथम इन्फैंट्री बटालियन, 14वीं इन्फैंट्री ब्रिगेड के सैनिक शामिल हैं, इसमें हिस्सा ले रही है।
अभ्यास का फोकस: आतंकवाद-रोधी अभियान
अभ्यास ‘मैत्री-XIV’ संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अध्याय VII के तहत अर्ध-शहरी क्षेत्रों में कंपनी-स्तर के आतंकवाद-रोधी अभियानों पर केंद्रित रहेगा। दो सप्ताह चलने वाले इस अभ्यास में सैनिक सामरिक युद्धाभ्यास, संयुक्त कार्य योजना निर्माण, विशेष हथियार संचालन कौशल, शारीरिक क्षमता विकास, और छापामार कार्रवाई जैसी जटिल गतिविधियों में भाग लेंगे।
समापन में यथार्थवादी ऑपरेशन का अनुकरण
इस अभ्यास का समापन एक 48 घंटे के प्रमाणीकरण युद्धाभ्यास के साथ होगा, जिसमें वास्तविक परिस्थितियों का अनुकरण कर संयुक्त अभियानों की प्रभावशीलता को परखा जाएगा।
2006 से चल रहा सहयोग
भारत और थाईलैंड के बीच यह सैन्य अभ्यास पहली बार वर्ष 2006 में शुरू हुआ था और तब से यह दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग का एक अहम स्तंभ बन चुका है। मौजूदा संस्करण इस रिश्ते को नई मजबूती देता है और क्षेत्रीय शांति, स्थिरता एवं सुरक्षा को लेकर दोनों देशों की साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है।