यह लेजर हथियार, जिसे 'सहस्र शक्ति' के नाम से भी जाना जा रहा है, 5 किलोमीटर की दूरी तक ड्रोन, हेलीकॉप्टर और मिसाइल जैसे हवाई खतरों को नष्ट कर सकता है। यह प्रकाश की गति से हमला करता है और बिना किसी गोला-बारूद के सटीक निशाना लगाता है। इसकी खासियत यह है कि यह न केवल लक्ष्य को निष्क्रिय करता है, बल्कि दुश्मन के संचार तंत्र और सैटेलाइट सिग्नल को भी जाम कर सकता है। यह हथियार जमीन और जहाज दोनों पर तैनात किया जा सकता है, जिससे इसकी उपयोगिता और भी बढ़ जाती है।
परीक्षण के दौरान इस हथियार ने फिक्स्ड-विंग ड्रोन, स्वार्म ड्रोन और निगरानी सेंसर को नष्ट करके अपनी ताकत का प्रदर्शन किया। इसकी लागत भी बेहद कम है—महज दो लीटर पेट्रोल के बराबर खर्च में यह दुश्मन के महंगे उपकरणों को राख में बदल सकता है। यह तकनीक लंबी चलने वाली लड़ाइयों में किफायती और प्रभावी साबित होगी, क्योंकि इसमें बार-बार गोला-बारूद की जरूरत नहीं पड़ती।
इसके अलावा, भारत और भी शक्तिशाली लेजर हथियार पर काम कर रहा है। 300 किलोवाट का 'सूर्या' लेजर हथियार 20 किलोमीटर की दूरी तक हाई-स्पीड मिसाइलों और ड्रोन को नष्ट करने में सक्षम होगा। यह भारत को आधुनिक युद्ध में रणनीतिक बढ़त देगा और सीमा सुरक्षा को अभेद्य बनाएगा।
यह हथियार पूरी तरह स्वदेशी है और इसे विभिन्न सैन्य मंचों पर तैनात करने की तैयारी चल रही है। इसकी 360 डिग्री सेंसर प्रणाली किसी भी दिशा से आने वाले खतरे को तुरंत भांप लेती है और लेजर बीम के जरिए उसे नष्ट कर देती है। यह बिना ध्वनि और धुएं के काम करता है, जिससे दुश्मन को जवाबी कार्रवाई का मौका ही नहीं मिलता।
इस उपलब्धि ने भारत की रक्षा क्षमताओं को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह तकनीक भविष्य के युद्धों को बदल सकती है, जहां ड्रोन और मिसाइल जैसे हथियारों का इस्तेमाल बढ़ रहा है। यह न केवल देश की सीमाओं को सुरक्षित करेगा, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की तकनीकी ताकत को भी प्रदर्शित करेगा।
अब भारत उन गिने-चुने देशों में शुमार हो गया है, जो 'स्टार वॉर्स' जैसी तकनीक से लैस हैं। यह उपलब्धि न केवल सैन्य दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि आत्मनिर्भर भारत के सपने को भी साकार करती है।