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Tuesday, October 14, 2025

24JT NEWSDESK / Udaipur /September 24, 2025

पशुपालन एवं डेयरी विभाग (डीएएचडी), जो कि मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत है, ने आज 'जन-जन के लिए आयुर्वेद, धरती के लिए आयुर्वेद' थीम पर आधारित एक वर्चुअल जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया। यह कार्यक्रम 10वें आयुर्वेद दिवस के उपलक्ष्य में एथनो वेटरनरी मेडिसिन (EVM) यानी पारंपरिक पशु चिकित्सा पद्धतियों पर केंद्रित रहा।

"टिकाऊ पशुपालन के लिए आयुर्वेद आधारित पशु चिकित्सा पद्धतियों को अपनाना समय की आवश्यकता": नरेश पाल गंगवार" | Photo Source : PIB
देश / "टिकाऊ पशुपालन के लिए आयुर्वेद आधारित पशु चिकित्सा पद्धतियों को अपनाना समय की आवश्यकता": नरेश पाल गंगवार

डीएएचडी के सचिव श्री नरेश पाल गंगवार की अध्यक्षता में आयोजित इस वर्चुअल कार्यक्रम को देशभर के 23 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 2,000 से अधिक कॉमन सर्विस सेंटर्स (CSC) के माध्यम से सीधा प्रसारण किया गया। कार्यक्रम में एक लाख से अधिक किसानों व पशुपालकों की भागीदारी दर्ज की गई।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री गंगवार ने कहा,

"टिकाऊ पशुधन स्वास्थ्य प्रबंधन के लिए आयुर्वेद और आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों का समन्वय आज की आवश्यकता बन चुका है।"

उन्होंने पशुओं में एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस की बढ़ती समस्या की ओर इशारा करते हुए ईवीएम को पर्यावरण-अनुकूल और किफायती विकल्प बताया। श्री गंगवार ने पशुपालकों को पारंपरिक हर्बल उपचारों की जानकारी देने और उन्हें अपनाने हेतु जागरूकता फैलाने का आह्वान किया।

इस अवसर पर विभाग की अपर सचिव सुश्री वर्षा जोशी ने गोजातीय स्तनदाह (Bovine Mastitis) जैसी सामान्य पशु बीमारियों में ईवीएम के उपयोग पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि,

"पारंपरिक जड़ी-बूटियों से उपचार करने से न केवल एंटीबायोटिक दवाओं का प्रयोग घटता है, बल्कि यह रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR) की समस्या से निपटने में भी सहायक सिद्ध हो सकता है।"

कार्यक्रम में विशेषज्ञ सत्रों के माध्यम से आयुर्वेदिक पशु चिकित्सा, औषधीय पौधों, और जैव विविधता संरक्षण जैसे विषयों पर विस्तृत चर्चा हुई। यह पहल डीएएचडी द्वारा पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को बढ़ावा देने और किसानों को सुलभ, सस्ती व प्रभावी पशु चिकित्सा समाधान प्रदान करने के अभियान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

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