वक्फ कानून में किए गए संशोधनों को लेकर कई संगठनों और राजनीतिक दलों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। याचिकाकर्ताओं का दावा है कि यह कानून समानता और धार्मिक स्वतंत्रता जैसे मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। इस बीच, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस कानून को अपने राज्य में लागू न करने की घोषणा की है, जिस पर रिजिजू ने कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने ममता बनर्जी के बयान पर सवाल उठाते हुए कहा कि ऐसा रवैया संविधान के प्रति अविश्वास को दर्शाता है। रिजिजू ने यह भी कहा कि जो लोग संसद से पारित कानून को लागू करने से इनकार करते हैं, उनके पास पद पर बने रहने का कोई नैतिक या संवैधानिक अधिकार नहीं है।
रिजिजू ने इस कानून के समर्थन में कहा कि इसे बनाने से पहले व्यापक विचार-विमर्श किया गया। उन्होंने दावा किया कि इस विधेयक पर एक करोड़ से अधिक लोगों ने अपनी राय दी और संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) ने रिकॉर्ड संख्या में बैठकें कीं। साथ ही, राज्यसभा में भी इस पर व्यापक बहस हुई। उन्होंने यह भी दोहराया कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि वह विधायिका के क्षेत्र में हस्तक्षेप नहीं करेगा, लेकिन संवैधानिक मुद्दों पर याचिकाओं को सुनने के लिए तैयार है।
वक्फ कानून को लेकर देश के कई हिस्सों में विरोध-प्रदर्शन भी देखने को मिले हैं। खासकर पश्चिम बंगाल के कुछ इलाकों में हिंसक घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया। इन प्रदर्शनों के बीच रिजिजू ने कहा कि यह कानून वक्फ संपत्तियों में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने के लिए बनाया गया है, न कि किसी समुदाय के अधिकारों को छीनने के लिए। उन्होंने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वह इस मुद्दे पर लोगों को गुमराह कर रहा है।
रिजिजू ने यह भी कहा कि पुराने वक्फ कानून में कई खामियां थीं, जिनके कारण मनमाने ढंग से संपत्तियों को वक्फ की संपत्ति घोषित किया जाता था। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि पहले संसद भवन जैसी महत्वपूर्ण इमारतों पर भी वक्फ बोर्ड ने दावा किया था, जिसे बाद में रद्द करना पड़ा। इस संशोधन के जरिए ऐसी अनियमितताओं को रोकने की कोशिश की गई है।
सुप्रीम कोर्ट में बुधवार (16 अप्रैल) को इस मामले पर सुनवाई होनी है। केंद्र सरकार ने भी कोर्ट में अपनी बात रखने की तैयारी कर ली है और इस मामले में कोई भी फैसला लेने से पहले उसका पक्ष सुने जाने की मांग की है। दूसरी ओर, विपक्षी दलों और कुछ मुस्लिम संगठनों का कहना है कि यह कानून अल्पसंख्यक समुदाय के हितों के खिलाफ है।
यह मुद्दा न केवल कानूनी, बल्कि राजनीतिक और सामाजिक रूप से भी संवेदनशील हो गया है। रिजिजू ने सभी पक्षों से अपील की है कि वे इस मामले पर तथ्यों के आधार पर चर्चा करें और समाज में तनाव पैदा करने वाली अफवाहों से बचें। उन्होंने कहा कि सरकार का मकसद वक्फ संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन और आम मुसलमानों के हितों की रक्षा करना है।
आने वाले दिनों में सुप्रीम कोर्ट का रुख और इस कानून का भविष्य देश की राजनीति और सामाजिक माहौल पर गहरा प्रभाव डाल सकता है।