सम्मेलन के तीसरे दिन का मुख्य आकर्षण रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह का संबोधन रहा। इससे पहले 'सुधारों का वर्ष' पर एक संक्षिप्त प्रस्तुति दी गई थी। रक्षा मंत्री ने भारतीय सेना के विश्वास, समर्पण और राष्ट्र निर्माण में योगदान की सराहना करते हुए कहा कि भारतीय सेना देश का सबसे भरोसेमंद और प्रेरक संगठन है।
भारतीय सेना के योगदान की रक्षा मंत्री ने की सराहना
रक्षा मंत्री ने भारतीय सेना की सीमाओं की सुरक्षा, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई और नागरिक प्रशासन को सहायता प्रदान करने में निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना सुरक्षा, आपदा राहत (HADR), चिकित्सा सहायता और आंतरिक स्थिरता सुनिश्चित करने में हमेशा तत्पर रहती है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि भारतीय सेना का राष्ट्र निर्माण और राष्ट्रीय विकास में योगदान अतुलनीय है। उन्होंने अत्याधुनिक तकनीक को अपनाने में सेना की दूरदर्शिता और नवाचार के प्रति प्रतिबद्धता की भी प्रशंसा की।
वैश्विक सुरक्षा स्थिति और नई चुनौतियों पर जोर
रक्षा मंत्री ने वर्तमान भू-राजनीतिक चुनौतियों और वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य का उल्लेख करते हुए कहा कि दुनिया आपस में गहराई से जुड़ी हुई है। किसी भी क्षेत्र में होने वाली घटना का प्रभाव अन्य देशों पर भी पड़ता है।
उन्होंने कहा कि हाइब्रिड युद्ध, साइबर हमले, सूचना युद्ध, व्यापार और वित्तीय दबाव जैसे असममित युद्ध आधुनिक युद्धों का हिस्सा बनते जा रहे हैं। ऐसे में भारतीय सशस्त्र बलों को नई चुनौतियों के अनुरूप रणनीति और योजना बनानी होगी।
रक्षा मंत्री ने कहा कि आधुनिक तकनीकों और सैन्य खुफिया तंत्र का प्रभावी उपयोग अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने दीर्घकालिक और अल्पकालिक सुरक्षा चुनौतियों का समाधान करने के लिए गतिशील योजना की आवश्यकता पर बल दिया।
सीमाओं की सुरक्षा और सेना की तत्परता पर भरोसा
1. उत्तरी सीमा:
रक्षा मंत्री ने उत्तरी सीमाओं पर सैनिकों की सतर्कता और दृढ़ता की सराहना करते हुए कहा कि भारतीय सेना किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह सक्षम है।
उन्होंने कहा कि बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (BRO) के प्रयासों से पश्चिमी और उत्तरी दोनों सीमाओं पर सड़क संपर्क में भारी सुधार हुआ है, जिससे रणनीतिक गतिशीलता बढ़ी है।
2. पश्चिमी सीमा:
रक्षा मंत्री ने पश्चिमी सीमा पर आतंकवाद के खिलाफ भारतीय सेना के सख्त रुख की सराहना की। उन्होंने कहा,
"मैं जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खतरे से निपटने में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों (CAPF), पुलिस और सेना के बीच बेहतरीन समन्वय की प्रशंसा करता हूं। यह तालमेल क्षेत्र में स्थिरता लाने में मदद कर रहा है और इसे आगे भी जारी रखा जाना चाहिए।"
भारतीय सेना की कूटनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों की प्रशंसा
रक्षा मंत्री ने कहा कि भारतीय सेना की मजबूत सैन्य कूटनीति और विदेशी सेनाओं के साथ सहयोग हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा हितों को मजबूत करता है। उन्होंने रक्षा अताशे की भूमिका को और अधिक प्रभावी बनाने पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि सेना को आधुनिक युद्ध रणनीतियों के अनुरूप अपनी नीतियों का पुनर्निर्देशन करना चाहिए।
'आत्मनिर्भर भारत' और सैन्य आधुनिकीकरण पर जोर
रक्षा मंत्री ने स्वदेशीकरण के माध्यम से सैन्य आधुनिकीकरण की दिशा में सेना के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि सेना को देश के प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों और निजी रक्षा उद्योगों के साथ मिलकर आधुनिक तकनीक विकसित करने पर ध्यान देना चाहिए।
उन्होंने 'विकसित भारत' के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए नीति आयोग और सेना के बीच चल रही चर्चाओं की सराहना की।
रक्षा मंत्री ने कहा,
"सरकार पूर्व सैनिकों और युद्ध में हताहत हुए जवानों के परिवारों की भलाई के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। राष्ट्र उनके बलिदानों का ऋणी है।"
भविष्य के लिए सशस्त्र बलों की तैयारी पर बल
रक्षा मंत्री ने रक्षा कूटनीति, स्वदेशीकरण, सूचना युद्ध, रक्षा ढांचे और सैन्य आधुनिकीकरण जैसे मुद्दों पर गहन विचार-विमर्श की आवश्यकता पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि सशस्त्र बलों को भविष्य की जरूरतों के अनुसार खुद को ढालना होगा और जहां आवश्यक हो, वहां संरचनात्मक सुधार करने होंगे।
उन्होंने कमांडर्स कॉन्फ्रेंस में वरिष्ठ सैन्य नेतृत्व द्वारा दिए गए सुझावों पर चर्चा करने और रणनीतिक निर्णय लेने पर बल दिया।
रक्षा मंत्री का संदेश:
"राष्ट्र को अपनी सेना पर गर्व है। सरकार सेना के आधुनिकीकरण और सशक्तिकरण के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।"
निष्कर्ष
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारतीय सेना के जज्बे, प्रतिबद्धता और रणनीतिक दृष्टिकोण की जमकर सराहना की। उन्होंने तकनीकी उन्नति, सैन्य आधुनिकीकरण और सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए नई योजनाओं और रणनीतियों पर जोर दिया।
देश को अपनी सेना पर गर्व है, और सरकार भारतीय सेना को सशक्त बनाने के लिए हर संभव कदम उठाने के लिए संकल्पबद्ध है।