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Monday, October 13, 2025

24JT NEWS DESK / Udaipur /September 16, 2025

चीन और अमेरिका के बीच विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में चल रही प्रतिस्पर्धा पूरी दुनिया का ध्यान खींच रही है। संजय सक्सेना, वरिष्ठ विश्लेषक और विचारक के अनुसार, इन दोनों देशों ने पिछले कुछ दशकों में अनुसंधान और विकास (R&D) में भारी निवेश किया है, जिससे वे वैश्विक तकनीकी और वैज्ञानिक शक्ति बन गए हैं। भारत को भी अब इस दौड़ में शामिल होने और वैश्विक शक्ति बनने के लिए अपनी रणनीतियों को मजबूत करना होगा। इस लेख में हम चीन, अमेरिका और भारत के अनुसंधान और विकास के क्षेत्रों की तुलना करेंगे, साथ ही यह देखेंगे कि भारत ने अब तक किन गलतियों को किया और उसे किन सुधारों की जरूरत है।

अन्तर्राष्ट्रीय / भारत की वैश्विक शक्ति बनने की दिशा: चीन और अमेरिका के संदर्भ में - संजय सक्सेना, वरिष्ठ विश्लेषक और विचारक

चीन और अमेरिका के प्रमुख नवाचार


चीन के प्रमुख नवाचार

संजय सक्सेना बताते हैं कि चीन ने कई क्षेत्रों में नवाचार के मामले में दुनिया में अग्रणी स्थान बनाया है।
1. कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI):
चीन ने AI के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है। यह क्षेत्र चीनी सरकार और कंपनियों की प्राथमिकता है। चीन का लक्ष्य 2030 तक दुनिया का सबसे बड़ा AI केंद्र बनना है। AI ने राष्ट्रीय सुरक्षा, स्वास्थ्य और औद्योगिक उत्पादकता में अहम योगदान दिया है।
2. 5G तकनीक:
हुवावे जैसी कंपनियों के नेतृत्व में चीन ने 5G तकनीक में दुनिया का नेतृत्व किया। चीन ने सबसे पहले 5G नेटवर्क शुरू किया, जो डेटा की गति बढ़ाने के साथ-साथ उद्योगों को स्मार्ट बनाता है।
3. अंतरिक्ष तकनीक:
चीन ने चंद्र मिशन 'चांग'ए' और मंगल रोवर के साथ अंतरिक्ष में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज की है।
4. क्वांटम कंप्यूटिंग:
चीन ने क्वांटम संचार और कंप्यूटिंग में कई विश्व रिकॉर्ड बनाए हैं।
5. नवीकरणीय ऊर्जा:
सौर और पवन ऊर्जा में भारी निवेश के साथ चीन स्वच्छ ऊर्जा में अग्रणी बन रहा है।

अमेरिका के प्रमुख नवाचार

संजय सक्सेना के अनुसार अमेरिका भी तकनीकी नवाचार में अग्रणी है।
1. कृत्रिम बुद्धिमत्ता और रोबोटिक्स:
Google, Tesla और IBM जैसी कंपनियां AI और रोबोटिक्स में अग्रणी हैं। OpenAI और DeepMind ने AI के विकास को और तेज किया है।
2. 5G तकनीक:
अमेरिका ने 5G में प्रगति की है, हालांकि वह चीन से पीछे है। Qualcomm और Verizon जैसी कंपनियां 5G नेटवर्क के विस्तार में जुटी हैं।
3. अंतरिक्ष तकनीक:
नासा और SpaceX ने चंद्र और मंगल मिशनों को आगे बढ़ाया है।
4. नवीकरणीय ऊर्जा:
Tesla और NextEra Energy सौर और पवन ऊर्जा में तेजी से काम कर रही हैं।
5. बायोटेक्नोलॉजी:
कोविड-19 के दौरान mRNA वैक्सीन और जीन संपादन तकनीकों में अमेरिका ने महत्वपूर्ण योगदान दिया।

भारत की वर्तमान स्थिति


संजय सक्सेना का कहना है कि भारत ने विज्ञान और तकनीक में कई कदम उठाए हैं, लेकिन वह अभी भी चीन और अमेरिका से पीछे है।
1. चंद्र मिशन (चंद्रयान-3):
चंद्रयान-3 भारत की बड़ी उपलब्धि है, जो कम बजट में उच्च तकनीकी सफलता का उदाहरण है। लेकिन अंतरिक्ष अन्वेषण में और निवेश की जरूरत है।
2. 5G और टेलीकोम तकनीक:
भारत ने 5G पर काम शुरू किया है, लेकिन चीन से पीछे है। Reliance Jio और Bharti Airtel 5G नेटवर्क पर काम कर रहे हैं, लेकिन वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए और निवेश जरूरी है।
3. कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI):
भारत में AI के क्षेत्र में कुछ प्रयास हो रहे हैं, लेकिन निवेश और अनुसंधान में कमी है।
4. रक्षा और सुरक्षा तकनीक:
DRDO ने ब्रह्मोस मिसाइल जैसे क्षेत्रों में प्रगति की है, लेकिन वैश्विक स्तर पर भारत को और मजबूत होना होगा।
5. नवीकरणीय ऊर्जा:
भारत ने सौर ऊर्जा में प्रगति की है, लेकिन चीन और अमेरिका से पीछे है।

भारत में नवाचार की कमी के कारण


संजय सक्सेना के अनुसार भारत में प्रतिभा और संसाधन हैं, लेकिन कुछ कारणों से नवाचार में कमी है:
1. R&D में कम निवेश:
भारत का R&D बजट 11.6 बिलियन डॉलर है, जबकि चीन और अमेरिका का बजट 500 और 580 बिलियन डॉलर के आसपास है।
2. शिक्षा और कौशल की कमी:
AI, बायोटेक्नोलॉजी और क्वांटम कंप्यूटिंग जैसे क्षेत्रों में उच्च गुणवत्ता की शिक्षा की कमी है।
3. सरकारी नीतियों में अस्पष्टता:
अस्पष्ट नीतियां निजी क्षेत्र और वैश्विक सहयोग में बाधा डालती हैं।
4. निजी क्षेत्र की कम भागीदारी:
भारत में निजी क्षेत्र को R&D में और सक्रिय होने की जरूरत है।

भारत को वैश्विक शक्ति बनने के लिए क्या करना चाहिए?


संजय सक्सेना सुझाव देते हैं कि भारत को निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए:
1. R&D में निवेश बढ़ाएं:
अनुसंधान और विकास पर खर्च को बढ़ाना होगा।
2. शिक्षा और कौशल विकास पर ध्यान:
AI, डेटा साइंस और बायोटेक्नोलॉजी में शिक्षा को बढ़ावा देना जरूरी है।
3. सरकारी नीतियों में सुधार:
अनुसंधान को प्रोत्साहित करने के लिए स्पष्ट नीतियां बनानी होंगी।
4. निजी क्षेत्र की भागीदारी:
निजी कंपनियों को R&D में निवेश के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।

संजय सक्सेना का मानना है कि भारत में वैश्विक शक्ति बनने की अपार संभावनाएं हैं। इसके लिए R&D में निवेश, शिक्षा में सुधार, निजी क्षेत्र की सक्रिय भागीदारी और प्रभावी सरकारी नीतियों की जरूरत है। यदि भारत इन कदमों को गंभीरता से उठाए, तो वह भविष्य में तकनीकी और वैज्ञानिक क्षेत्र में वैश्विक शक्ति बन सकता है।

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