इस ऐतिहासिक अवसर की अगुवाई पूर्वी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, वाइस एडमिरल राजेश पेंढारकर करेंगे।
स्वदेशी तकनीक की चमक:
‘आन्द्रोत’ को कोलकाता के गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (GRSE) ने तैयार किया है और इसमें 80 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी उपकरणों का उपयोग किया गया है। यह ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ की सोच का एक बेहतरीन उदाहरण है।
जहाज का निर्माण नौवहन महानिदेशालय के दिशानिर्देशों और कोलकाता स्थित युद्धपोत निरीक्षण दल की कड़ी निगरानी में हुआ है। इस श्रृंखला का पहला पोत 13 सितंबर 2025 को भारतीय नौसेना को सौंपा गया था।
नाम में छिपा है समर्पण का प्रतीक:
इस पोत को लक्षद्वीप द्वीप समूह के ‘आन्द्रोत’ द्वीप के नाम पर नामित किया गया है — यह नाम भारतीय समुद्री क्षेत्र की रक्षा और सुरक्षा के प्रति हमारे राष्ट्र के संकल्प का प्रतीक है।
गौरतलब है कि इससे पहले भी ‘INS आन्द्रोत (P69)’ नामक पोत भारतीय नौसेना की सेवा में 27 वर्षों तक रहा है। नया आन्द्रोत, अपने पूर्ववर्ती की गौरवगाथा को आगे बढ़ाएगा।
तकनीकी खूबियों से लैस:
‘आन्द्रोत’ पोत अत्याधुनिक हथियार, सेंसर सूट, आधुनिक संचार प्रणाली और वॉटरजेट प्रणोदन प्रणाली से सुसज्जित है। यह दुश्मन की पनडुब्बियों को खोजने, ट्रैक करने और उन्हें नष्ट करने की पूरी क्षमता रखता है।
इसके अलावा, यह पोत समुद्री निगरानी, खोज एवं बचाव कार्य, और तटीय सुरक्षा अभियानों में भी अहम भूमिका निभा सकेगा।
नौसेना की ताकत में इजाफा:
यह कमीशन भारतीय नौसेना की ताकत को और मजबूत बनाएगा और देश की समुद्री सीमाओं को और अधिक सुरक्षित बनाने में मील का पत्थर साबित होगा।