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Wednesday, July 2, 2025

Gulafsha sheikh / Dehradun /April 3, 2025

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने बुधवार को नागपुर में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि संघ का कार्य व्यक्ति-आधारित नहीं है, बल्कि यह सिद्धांतों और विचारों पर चलता है। उन्होंने कहा कि लोग आते-जाते रहते हैं, लेकिन संघ का कार्य निरंतर जारी रहता है। भागवत ने यह भी बताया कि पौराणिक काल में भगवान हनुमान और आधुनिक युग में छत्रपति शिवाजी महाराज संघ के आदर्श हैं। यह बयान 'युगांधर शिवराय' पुस्तक के विमोचन के अवसर पर आया, जिसे स्वर्गीय लेखक सुमंत टेकाडे ने लिखा था।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत | Photo Source : X
देश / मोहन भागवत ने कहा- संघ का कार्य व्यक्ति-आधारित नहीं, हनुमान और शिवाजी महाराज हैं हमारे आदर्श

संघ का कार्य सिद्धांतों पर आधारित:
नागपुर में आयोजित इस कार्यक्रम में मोहन भागवत ने संघ की कार्यप्रणाली पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, "डॉ. हेडगेवार, गोलवलकर गुरुजी और बाला साहेब देवरस जी ने अलग-अलग समय पर कहा था कि संघ का कार्य सिद्धांतों पर आधारित है, यह व्यक्ति-आधारित नहीं है। लोग आते हैं, जाते हैं, लेकिन संघ का कार्य निरंतर चलता रहता है।" भागवत ने जोर देकर कहा कि संघ व्यक्तिवाद में विश्वास नहीं करता, बल्कि यह समाज और राष्ट्र के लिए समर्पित एक विचारधारा है।
उन्होंने आगे कहा, "निरगुण उपासना करना कठिन है। इसलिए यदि कोई ठोस आदर्श चाहिए, तो पौराणिक काल में हमारे लिए हनुमान जी और आधुनिक युग में छत्रपति शिवाजी महाराज हमारे आदर्श हैं। 250 साल बाद भी शिवाजी महाराज हमारे लिए प्रेरणा हैं।" भागवत ने शिवाजी महाराज को भारतवर्ष की शाश्वत विजय का प्रेरणास्रोत बताते हुए उनके चरित्र और कार्यों की प्रशंसा की।

शिवाजी महाराज: आधुनिक युग के प्रतीक
मोहन भागवत ने छत्रपति शिवाजी महाराज को आधुनिक युग का सबसे बड़ा प्रतीक बताया। उन्होंने कहा, "शिवाजी महाराज ने विदेशी आक्रमणों के खिलाफ हिंदवी स्वराज की स्थापना की। उनका जीवन और कार्य आज भी हमें प्रेरित करते हैं। उनके ऋणानुबंध से जुड़कर हम उनके दिखाए मार्ग पर चल सकते हैं।" भागवत ने यह भी कहा कि संघ का लक्ष्य समाज को संगठित करना और भारत को विश्व गुरु के रूप में स्थापित करना है।
कार्यक्रम में मौजूद लोगों ने भागवत के इस बयान का स्वागत किया। 'युगांधर शिवराय' पुस्तक के विमोचन के साथ ही शिवाजी महाराज के जीवन और उनके योगदान पर चर्चा हुई, जिसमें उनके नेतृत्व और राष्ट्रभक्ति को याद किया गया।

संघ की विचारधारा और दृष्टिकोण:
आरएसएस प्रमुख ने यह भी स्पष्ट किया कि संघ स्वयंसेवकों का उद्देश्य व्यक्तिगत लाभ नहीं, बल्कि समाज और देश की सेवा है। उन्होंने कहा, "संघ की शाखाओं में स्वयंसेवक देश की सेवा के लिए आते हैं। यह विचार उन्हें सक्षम और उच्च लक्ष्यों की ओर ले जाता है।" भागवत ने हनुमान जी के गुणों को अपनाने की सलाह दी और कहा कि इन गुणों से प्रेरित होकर ही भारत विश्व गुरु बन सकता है।
उन्होंने पहले के एक बयान का जिक्र करते हुए कहा, "संघ की दर्शनशास्त्र में हम एक घंटा आत्म-विकास के लिए और 23 घंटे समाज के विकास के लिए देते हैं।" यह बयान संघ की कार्यशैली और उसके दीर्घकालिक लक्ष्यों को दर्शाता है।

समाज में प्रतिक्रिया:
मोहन भागवत के इस बयान ने सोशल मीडिया और समाचार माध्यमों में चर्चा छेड़ दी है। कई लोगों ने इसे संघ की विचारधारा का स्पष्ट प्रतिबिंब माना, जबकि कुछ ने शिवाजी महाराज और हनुमान को आदर्श बताने पर सहमति जताई। X पर एक यूजर ने लिखा, "शिवाजी महाराज हमेशा भारत के लिए प्रेरणा रहे हैं। भागवत जी का यह बयान संघ के मूल्यों को दर्शाता है।"
इसके अलावा, यह भी चर्चा हो रही है कि संघ अपने 100 साल पूरे करने की ओर बढ़ रहा है और इस दौरान वह अपनी विचारधारा को और मजबूत करने की दिशा में काम कर रहा है।

आगे की राह:
मोहन भागवत का यह बयान संघ के स्वयंसेवकों और समर्थकों के लिए एक मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में देखा जा रहा है। हनुमान और शिवाजी महाराज जैसे प्रतीकों के जरिए संघ अपनी सांस्कृतिक और राष्ट्रीय पहचान को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है। क्या यह दृष्टिकोण समाज को एकजुट करने में सफल होगा? यह आने वाला समय बताएगा।

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