कार्यक्रम का मुख्य विषय रहा — "जलवायु अनुकूल कृषि और स्वच्छ ऊर्जा के लिए संस्थान-उद्योग संपर्क", जिसके तहत भारत के प्रमुख शोध संस्थानों और अग्रणी औद्योगिक घरानों को एक मंच पर लाकर नवाचारों को प्रयोगशाला से बाजार तक पहुँचाने के रास्तों पर विचार-विमर्श हुआ।
इस आयोजन में राष्ट्रीय कृषि खाद्य जैव प्रौद्योगिकी संस्थान (NABI), मोहाली, राष्ट्रीय पादप जीनोम शोध संस्थान (NIPGR), नयी दिल्ली, राष्ट्रीय पशु जैव प्रौद्योगिकी संस्थान (NIAB), हैदराबाद, कीटनाशक निर्माण प्रौद्योगिकी संस्थान (IPFT), गुरुग्राम, और क्षेत्रीय जैव प्रौद्योगिकी केंद्र (RCB), फरीदाबाद जैसे संस्थानों ने सहयोग किया।
उद्योग और विज्ञान का संगम
कार्यक्रम में देश के प्रमुख उद्योग समूहों जैसे — बलराम चिन्नी मिल्स, प्रसाद सीड्स प्रा. लि., नुजिवीडू सीड्स, बायोसीड्स, मैनकाइंड एग्रो, और इंसेक्टिसाइड्स इंडिया लि. ने भागीदारी की। इनकी सहभागिता ने यह संकेत दिया कि वैज्ञानिक शोध और औद्योगिक क्षेत्र के बीच सहयोग भारत की जैव-अर्थव्यवस्था को नई दिशा दे रहा है।
कार्यक्रम दो प्रमुख सत्रों में विभाजित रहा —
प्रथम सत्र में सहयोगी संस्थानों के निदेशकों ने जलवायु परिवर्तन, स्वच्छ ऊर्जा और कृषि तकनीक पर आधारित नवीनतम तकनीकी उपलब्धियों और चल रहे शोध कार्यों को साझा किया।
द्वितीय सत्र में आईसीजीईबी के निदेशक डॉ. रमेश वी. सोंती के संचालन में एक उद्योग पैनल चर्चा आयोजित हुई। इसमें शामिल हुए –
* प्रवीण गुप्ता (बलराम चिन्नी मिल्स)
* अरविंद कुमार (प्रसाद सीड्स)
* डॉ. सीताराम अन्नदान (नुजिवीडू सीड्स)
* डॉ. अजय कुमार (बायोसीड्स)
* डॉ. अनुपम आचार्य (मैनकाइंड एग्रो)
* शेखर बिष्ट (इंसेक्टिसाइड्स इंडिया लि.)
इन विशेषज्ञों ने बायोई3 नीति के अंतर्गत उद्योग और अनुसंधान संस्थानों के सहयोग की आवश्यकता, संभावनाओं और चुनौतियों पर खुलकर विचार रखे।
तकनीकी नवाचारों की झलक
कार्यक्रम के दौरान एक प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया, जिसमें कृषि जैव प्रौद्योगिकी, सतत ऊर्जा समाधान, पशु स्वास्थ्य और कीटनाशकों के क्षेत्र में विकसित की जा रही उन्नत तकनीकों को प्रस्तुत किया गया। इसने उद्योग जगत को भारत की उभरती बायोटेक्नोलॉजी क्षमताओं और निवेश अवसरों से अवगत कराया।
बायोई3 नीति: भारत के सतत विकास की दिशा में मजबूत कदम
भारत सरकार द्वारा 2024 में स्वीकृत बायोई3 नीति (Bioeconomy for Environment, Employment & Economy) का उद्देश्य है — जैव प्रौद्योगिकी के माध्यम से देश को 2070 तक नेट-ज़ीरो कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य की ओर ले जाना। यह नीति स्थिरता, समावेशिता और नवाचार को केंद्र में रखकर आर्थिक विकास, पर्यावरण संरक्षण और रोजगार सृजन के समन्वित विकास की नींव रखती है।
बायोई3@1 आयोजन ने स्पष्ट किया कि विज्ञान और उद्योग के बीच सहयोग, भारत को वैश्विक जैव-अर्थव्यवस्था की अग्रिम पंक्ति में लाने की दिशा में एक निर्णायक भूमिका निभा सकता है।