अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने सभी पुरस्कार विजेताओं को हार्दिक बधाई देते हुए कहा कि इन कलाकारों की रचनाएं देशभर के अन्य कलाकारों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेंगी। उन्होंने कहा, "भारतीय परंपरा में कला को न केवल सौंदर्य की अभिव्यक्ति, बल्कि एक आध्यात्मिक साधना के रूप में देखा गया है। यह हमारी सांस्कृतिक विरासत को जीवंत रखने और एक अधिक संवेदनशील समाज के निर्माण में सहायक है।"
राष्ट्रपति मुर्मू ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि आज के कलाकार अपनी सोच, दृष्टिकोण और कल्पनाओं के माध्यम से "नए भारत" की एक समृद्ध और विविध छवि प्रस्तुत कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि कलाकार अपनी कला के लिए समय, ऊर्जा और संसाधनों का समर्पण करते हैं, और उनकी कृतियों का सही मूल्यांकन न केवल उन्हें प्रोत्साहित करेगा, बल्कि उन लोगों को भी मार्गदर्शन देगा जो कला को पेशे के रूप में अपनाना चाहते हैं।
राष्ट्रपति ने ललित कला अकादमी की इस पहल की सराहना की कि वह कलाकारों की कलाकृतियों की बिक्री को बढ़ावा दे रही है। उन्होंने इसे रचनात्मक अर्थव्यवस्था को सशक्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।
उन्होंने कला प्रेमियों से अपील की कि वे केवल कलाकृतियों की सराहना तक सीमित न रहें, बल्कि उन्हें खरीदकर अपने जीवन और घरों का हिस्सा बनाएं। अंत में उन्होंने कहा, "हमें मिलकर भारत को एक सांस्कृतिक और आर्थिक शक्ति के रूप में आगे बढ़ाना है। कला इसमें एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।"