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Monday, October 13, 2025

24JT News Desk / News Delhi /September 23, 2025

शिक्षक कभी साधारण नहीं होता। प्रलय और निर्माण दोनों ही उसकी गोद में पलते हैं। आचार्य चाणक्य के यह शब्द आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने तक्षशिला के समय थे। इतिहास गवाह है कि किस तरह आचार्य चाणक्य ने अपनी शिक्षा और ज्ञान से पूरे भारत की दिशा बदल दी थी।

कला-साहित्य / साहित्यिक शिक्षक: राष्ट्रनिर्माण के असली शिल्पी - डॉ. चंद्रदत्त शर्मा चंद्रकवि

श्रेष्ठ साहित्य हमेशा किसी ज्ञानवान की ही कृति होता है। भारत के प्राचीन ग्रंथों में आचार्य सुश्रुत से लेकर महर्षि वाल्मीकि तक के अमूल्य योगदान आज भी मानवता को दिशा दे रहे हैं। विश्व के अधिकांश ग्रंथों और पुस्तकों में किसी न किसी अध्यापक का योगदान अवश्य मिलता है। अध्यापक की यही जिज्ञासा और ज्ञान-पिपासा उसे लिखने और समाज को प्रेरित करने की शक्ति देती है।

अध्यापक केवल बच्चों का भविष्य ही नहीं गढ़ता बल्कि राष्ट्र का भी निर्माता होता है। देश की असली संपत्ति बैंकों के खजाने में नहीं, बल्कि स्कूलों में होती है। जब कोई गुरु अपने शिष्य को सफलता की ऊँचाइयों पर देखता है तो उसका मन गर्व और संतोष से भर उठता है। यही कारण है कि हमारे धर्मग्रंथों और साहित्य में गुरु को अत्यंत ऊँचा स्थान दिया गया है।
कहा भी गया है— “गुरु ही ब्रह्मा है, गुरु ही विष्णु है और गुरु ही महेश्वर है।”
कबीरदास जी ने गुरु की महिमा का वर्णन करते हुए कहा था:
“गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूं पाय।
बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो बताय॥”


शिक्षक समाज का वह वर्ग है जो बालकों को पौध की तरह सींचकर ऐसे वृक्ष बनाता है, जो आने वाली पीढ़ियों को फल, फूल और सुगंध प्रदान करते हैं। जब शिक्षक स्वयं साहित्यकार भी हो तो उसका योगदान और व्यापक हो जाता है। उसका लेखन पूरे समाज का मार्गदर्शन करता है।

शिक्षक यदि साहित्यकार हो तो वह न केवल अपने विद्यार्थियों, बल्कि पूरे राष्ट्र के भाग्य का निर्माता बन जाता है। जैसे सूर्य से सारे नक्षत्र अपनी आभा पाते हैं, वैसे ही साहित्यिक शिक्षक समाज के हर वर्ग और समुदाय के लिए प्रेरणा-स्रोत बनते हैं।

हमारे देश में अनेक ऐसे शिक्षक हैं जो साहित्य-सृजन के माध्यम से भी राष्ट्र की सेवा कर रहे हैं। उनकी रचनाएँ विभिन्न मंचों से समाज को नई दिशा देती रहती हैं।

ऐसे ही कुछ प्रतिष्ठित शिक्षक-साहित्यकारों में शामिल हैं—
डॉ. चंद्रदत्त शर्मा (रोहतक), डॉ. रामअवतार कौशिक, सीमा शर्मा (रोहतक), अनिल खरब (सोनीपत), चंद्रावती दीक्षित (घरौंडा), सुदेश कुमारी (खांडा), डॉ. गौरी अरोड़ा, डॉ. पुष्पा कुमारी, परीक्षित वत्स, डॉ. आशुतोष (रोहतक), डॉ. कपिल कौशिक (रोहतक), डॉ. मीनाक्षी कौशिक (रोहतक), डॉ. सीमा वत्स (रोहतक), डॉ. राजकुमार जमदग्नि, डॉ. रेणुका खंडिया (रोहतक), डॉ. मंजीत भारतीय (रोहतक), डॉ. मंजीत खान मजीद (भावड़िया, सोनीपत), डॉ. जोगेंद्र, पवन गहलोत (रोहतक), आलोक अजनबी (रोहतक), जय सिंह जीत (झज्जर), डॉ. निधि राठी (रोहतक), मनीष भारद्वाज द्विज (सोनीपत), कमलेश पालीवाल, श्रीनिवास एन, दिलीप कुमार शर्मा, डॉ. प्रतिभा स्मृति, डॉ. फूल कुमार राठी (रोहतक), मास्टर जयभगवान यादव (हिसार), दयाराम शास्त्री, डॉ. विपिन गुप्ता (रोहतक), डॉ. अंजना गर्ग, डॉ. राजल गुप्ता (रोहतक), डॉ. वेदप्रकाश श्योराण (रोहतक), श्री खेमचंद सहगल (झज्जर), राजीव पाराशर (गोहाना), कृष्ण कुमार निर्माण, डॉ. रमाकांता (रोहतक), प्रो. शामलाल कौशल (रोहतक), डॉ. मधुकांत (रोहतक), बृजेश कुमार शर्मा (सहारनपुर), स्नेह विशेष (रोहतक), दिनेश चंद्र पाठक, डॉ. गीतू धवन, प्रो. सुचेता यादव, मास्टर भूताराम (राजस्थान), नरेश शर्मा, नरेश कुमार नरवाल, प्रो. ज्योति राज, शिशिर देसाई, राजबीर खोरड़ा, रामधारी खटकड़, सीमा यादव (पटौदी), डॉ. आशा कुमारी, पुष्पलता आर्या, रश्मि, श्री पुरुषोत्तम, श्रीनिवास शर्मा (रोहतक), डॉ. संदीप, डॉ. जशभाई पटेल (गांधीनगर), डॉ. इला जायसवाल, रोशनी बलूनी, महेंद्र सिंह सागर (भिवानी), प्रवीन पारीक, कमलेश गोयत, बलबीर सिंह वर्मा वागीश, विनोद सिल्ला (टोहाना), श्रीभगवान बव्वा, ममता शर्मा, डॉ. कविता शर्मा (रोहतक), डॉ. राजेंद्र कुमार अवस्थी।

ये सभी शिक्षक-साहित्यकार अपने विद्यार्थियों में साहित्य और मानवता के बीज बोकर राष्ट्रनिर्माण का कार्य कर रहे हैं।

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