लोकसभा में वक्फ बिल पर गरमाई बहस:
लोकसभा में बुधवार, 02 अप्रैल को वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 को पेश किया गया। 12 घंटे की लंबी चर्चा के बाद इसे 288 सांसदों के समर्थन से पारित कर दिया गया, जबकि 232 सांसदों ने इसका विरोध किया। आज, 03 अप्रैल को यह बिल राज्यसभा में पेश किया गया, जहां विपक्ष ने इसका कड़ा विरोध जारी रखा। गृह मंत्री अमित शाह ने चर्चा के दौरान कहा, "एक सदस्य ने कहा कि अल्पसंख्यक इस कानून को स्वीकार नहीं करेंगे। यह क्या धमकी है? यह संसद का कानून है, भारत सरकार का कानून है, इसे हर किसी को मानना होगा।"
शाह ने आगे कहा, "वक्फ बिल चोरी रोकने और गरीबों के लिए काम करने के लिए लाया गया है। वक्फ की आय से अल्पसंख्यकों का विकास होना चाहिए, लेकिन यह पैसा चोरी हो रहा है। इस बिल से पारदर्शिता आएगी और वक्फ संपत्तियों का सही इस्तेमाल होगा।" उन्होंने विपक्ष पर वोट बैंक की राजनीति करने का आरोप लगाया और कहा कि अल्पसंख्यकों को डराने की कोशिश की जा रही है।
बिल के प्रमुख प्रावधान:
वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 में 1995 के वक्फ अधिनियम में 44 बदलाव प्रस्तावित हैं। संयुक्त संसदीय समिति (JPC) ने इसमें 14 संशोधनों को मंजूरी दी थी, जिन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भी स्वीकार कर लिया। प्रमुख बदलावों में शामिल हैं:
वक्फ संपत्तियों का डिजिटलीकरण: बेहतर प्रबंधन और पारदर्शिता के लिए।
ऑडिट में सुधार: वित्तीय जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए।
गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति: राज्य वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में दो गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करना। महिला प्रतिनिधित्व: बोर्ड में कम से कम दो मुस्लिम महिलाओं की नियुक्ति अनिवार्य।
संपत्ति सत्यापन: वक्फ बोर्ड की अनियंत्रित शक्तियों को सीमित कर संपत्ति घोषणा से पहले सत्यापन जरूरी।
शाह ने कहा, "इस बिल में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि वक्फ में गैर-मुस्लिम आएंगे। यह गलत धारणा फैलाई जा रही है। हमारा मकसद वक्फ की संपत्तियों को बेचने वालों और पट्टे पर देने वालों को रोकना है।"
विपक्ष का विरोध:
विपक्षी दलों ने इस बिल को अल्पसंख्यक विरोधी करार दिया। AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, "यह बिल मुसलमानों को अपमानित करने के लिए लाया गया है।" उन्होंने चर्चा के दौरान बिल की प्रति फाड़ दी और सदन से वॉकआउट कर गए। कांग्रेस सांसद सैयद नसीर हुसैन ने JPC पर आरोप लगाया कि उनकी असहमति को बिना अनुमति संपादित किया गया। गौरव गोगोई ने कहा, "यह बिल संविधान और अल्पसंख्यकों के खिलाफ है। इससे देश में अशांति फैलेगी।"
वहीं, सरकार के सहयोगी दलों TDP, JDU और LJP ने बिल का समर्थन किया। अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, "कांग्रेस ने 2014 में वोट बैंक के लिए 123 प्राइम प्रॉपर्टी दिल्ली वक्फ बोर्ड को दी थीं। हमारा मकसद तुष्टिकरण नहीं, सुधार है।"
बिल का उद्देश्य:
सरकार का दावा है कि यह बिल वक्फ संपत्तियों के कुप्रबंधन को रोकने और उनकी आय को गरीबों के कल्याण में लगाने के लिए है। भारत में 8.7 लाख से अधिक पंजीकृत वक्फ संपत्तियां हैं, जिनकी अनुमानित कीमत 1.2 लाख करोड़ रुपये है। शाह ने कहा, "यह बिल संविधान के दायरे में है। कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए पुराना कानून बनाया था, हम इसे सुधार रहे हैं।"
आगे की राह:
लोकसभा से पारित होने के बाद बिल अब राज्यसभा में है। राज्यसभा में बीजेपी के 98 सांसद हैं, और बहुमत के लिए 119 वोट चाहिए। एनडीए सहयोगियों के समर्थन से इसे पास कराने की कोशिश होगी। अगर यह पारित हो जाता है, तो यह वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में बड़ा बदलाव लाएगा।
क्या यह बिल अल्पसंख्यकों के लिए फायदेमंद होगा या विवाद बढ़ाएगा? यह आने वाला समय बताएगा।