इस अहम सत्र की अध्यक्षता केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने की। उनके साथ मंच पर कौशल विकास एवं उद्यमिता राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा शिक्षा राज्य मंत्री श्री जयंत चौधरी, और शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुकांत मजूमदार मौजूद रहे।
शिक्षा और कौशल: आत्मनिर्भर भारत के दो स्तंभ
अपने संबोधन में श्री धर्मेंद्र प्रधान ने स्पष्ट शब्दों में कहा,
“शिक्षा और कौशल एक-दूसरे की पूरक शक्तियां हैं। आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में इन दोनों का समन्वय अत्यंत आवश्यक है।”
उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है जब स्कूल और कॉलेज न केवल शिक्षण संस्थान रहें, बल्कि ‘स्वदेशी’ के वाहक बनें, जहां छात्र आत्मनिर्भरता, नवाचार और सांस्कृतिक गौरव के दूत बनें।
वैश्विक मंच पर भारत की भूमिका: जयंत चौधरी का दृष्टिकोण
श्री जयंत चौधरी ने कहा कि भारत को अब केवल वैश्विक परिवर्तन पर प्रतिक्रिया देने वाला देश नहीं, बल्कि उसे आकार देने वाला राष्ट्र बनना होगा।
“हमारे युवाओं को ऐसे कौशल से लैस करना होगा जिससे वे तकनीक, डिज़ाइन और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में अग्रणी बन सकें। भारत को दुनिया की स्किल कैपिटल और इनोवेशन हब के रूप में स्थापित करना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।”
उन्होंने इसे "बड़ा बदलाव लाने का क्षण" बताया और इस मिशन में साहसी विचारों और सामूहिक प्रयासों की ज़रूरत पर बल दिया।
उच्च शिक्षा और स्किलिंग: बदलाव के वाहक
राज्य मंत्री डॉ. सुकांत मजूमदार ने कहा कि देश के विश्वविद्यालय, कॉलेज और स्किलिंग संस्थान ज्ञान केंद्रों की भूमिका निभाएं।
“हमारी शिक्षा में नवाचार, अनुसंधान और क्रिटिकल थिंकिंग का समावेश होना चाहिए, ताकि भारत को विश्व की कौशल राजधानी बनाने का सपना साकार हो सके।”
मिशन स्वदेशी: ज़मीनी स्तर तक पहुंच
इस संवाद में ज़ोर दिया गया कि ‘मिशन स्वदेशी’ को स्कूली स्तर से ही मजबूत किया जाए। शैक्षणिक परियोजनाएं, सांस्कृतिक प्रदर्शनियां, वाद-विवाद, और स्थानीय उद्यमिता आधारित अभियानों के ज़रिए छात्रों में आत्मनिर्भरता की भावना रोपित की जाए।
सभी प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों—NCERT, SCERT, DIET, ITI, IIT, IIM और सेक्टर स्किल काउंसिल्स—से आग्रह किया गया कि वे अपने पाठ्यक्रमों और गतिविधियों को ‘मिशन स्वदेशी’ के अनुरूप पुनर्गठित करें।
डिजिटल माध्यमों और समुदाय की भूमिका
डिजिटल कंटेंट, पॉडकास्ट, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और सामुदायिक अभियानों के माध्यम से युवाओं को भारत की विरासत, हस्तशिल्प और नवाचार से जोड़ने की रणनीतियों पर भी चर्चा हुई। विशेष रूप से ITI प्रशिक्षुओं को स्थानीय आर्थिक सशक्तिकरण में भागीदार बनाने पर बल दिया गया।
2047 तक का रोडमैप
बैठक के अंत में तीनों विभागों के सचिवों द्वारा कार्यान्वयन योग्य सुझाव प्रस्तुत किए गए। सरकार ने एक बार फिर दोहराया कि 2047 तक समृद्ध, आत्मनिर्भर और विकसित भारत के लक्ष्य में शिक्षा और कौशल को केन्द्रीय भूमिका में रखा जाएगा।