डॉ. रामगुलाम ने 9 से 16 सितंबर तक चले अपने राजकीय दौरे के दौरान मुंबई, वाराणसी, अयोध्या और तिरुपति जैसे महत्वपूर्ण धार्मिक एवं सांस्कृतिक स्थलों का दौरा किया। यह यात्रा भारत और मॉरीशस के बीच गहरे और बहुआयामी संबंधों को और सुदृढ़ करने की दिशा में एक अहम कड़ी मानी जा रही है।
राष्ट्रपति भवन में प्रधानमंत्री रामगुलाम और उनके प्रतिनिधिमंडल का गर्मजोशी से स्वागत करते हुए राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि भारत की ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति, ‘महासागर विजन’ और ‘ग्लोबल साउथ’ के प्रति हमारी प्रतिबद्धता में मॉरीशस की विशेष भूमिका है।
राष्ट्रपति ने दोनों देशों के बीच लगातार प्रगाढ़ हो रहे द्विपक्षीय संबंधों पर संतोष व्यक्त किया और कहा कि भारत-मॉरीशस की साझेदारी अब ‘उन्नत रणनीतिक साझेदारी’ के स्तर पर पहुंच चुकी है। उन्होंने यह भी कहा कि मॉरीशस सरकार की विकास प्राथमिकताओं में भारत सक्रिय सहयोग दे रहा है, और हाल ही में घोषित विशेष आर्थिक पैकेज से स्थानीय जरूरतों को मजबूती मिलेगी।
राष्ट्रपति मुर्मु ने इस बात पर विशेष रूप से जोर दिया कि अस्पतालों, सड़कों, बंदरगाहों, रक्षा खरीद और संयुक्त समुद्री निगरानी जैसी परियोजनाएं दोनों देशों के बीच बुनियादी ढांचे को मजबूती देने के साथ ही आम नागरिकों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाएंगी। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि द्विपक्षीय सहयोग अब डिजिटल तकनीक और अंतरिक्ष विज्ञान जैसे नए क्षेत्रों में भी विस्तार पा रहा है।
बैठक के दौरान दोनों नेताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि भारत और मॉरीशस के संबंध ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, भाषाई और सभ्यतागत मूल्यों पर आधारित हैं — जो इन्हें विशिष्ट बनाते हैं।
राष्ट्रपति ने विश्वास जताया कि प्रधानमंत्री डॉ. रामगुलाम के अनुभवपूर्ण नेतृत्व में भारत-मॉरीशस के संबंध आने वाले वर्षों में और भी प्रगाढ़ होंगे।