के.सी. जैन के अनुसार पार्किंसन रोग के लक्षण दो प्रकार के होते हैं: शारीरिक (मोटर) और गैर-शारीरिक (नॉन-मोटर)
1. शारीरिक लक्षण:
- कंपन (Tremors):
हाथों, पैरों या जबड़े में अनचाहा कांपना, जो अक्सर आराम की स्थिति में शुरू होता है।
- धीमी गति (Bradykinesia):
गतिविधियाँ शुरू करने या करने में देरी, जैसे चलना, उठना या कपड़े पहनना।
- मांसपेशियों में अकड़न:
मांसपेशियों में जकड़न और दर्द, जिससे गति सीमित हो जाती है।
- संतुलन की समस्या: चलते समय लडख़ड़ाना या गिरने का खतरा बढ़ना।
2. गैर-शारीरिक लक्षण:
- याददाश्त और सोचने की समस्या:
ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई, याददाश्त में कमी और कुछ मामलों में डिमेंशिया।
- मानसिक स्वास्थ्य:
तनाव, चिंता और अवसाद, जो मस्तिष्क में रासायनिक असंतुलन के कारण होते हैं।
- नींद की गड़बड़ी:
बार-बार नींद टूटना, बुरे सपने, या सपनों में अनियंत्रित हरकतें।
- शारीरिक समस्याएँ:
कब्ज, रक्तचाप का उतार-चढ़ाव, ज्यादा पसीना, या मूत्र संबंधी दिक्कतें।
के.सी. जैन, निदेशक, अध्यात्म साधना केंद्र, का कहना है कि
प्राकृतिक चिकित्सा (नैचुरोपैथी) रासायनिक दवाइयों पर निर्भरता कम करते हुए शरीर की प्राकृतिक रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है। यह न केवल लक्षणों को कम करती है, बल्कि रोग के मूल कारणों पर भी काम करती है। यह एक समग्र दृष्टिकोण है, जो शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को संतुलित करता है। प्राकृतिक चिकित्सा मस्तिष्क की कोशिकाओं को पोषण देती है, सूजन को कम करती है और रोगी के जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाती है।
प्राकृतिक चिकित्सा कैसे मदद करती है?
के.सी. जैन, निदेशक, अध्यात्म साधना केंद्र, बताते हैं कि प्राकृतिक चिकित्सा कई तरह से पार्किंसन रोग के प्रबंधन में सहायक है:
1. स्नायु तंत्र को मजबूत करना:
योग, ध्यान और विश्राम तकनीकों से मस्तिष्क और स्नायु तंत्र को मजबूती मिलती है, जिससे डोपामिन का उत्पादन बढ़ सकता है।
2. मस्तिष्क में रासायनिक संतुलन:
विश्राम, डिटॉक्स और मानसिक प्रशिक्षण से डोपामिन जैसे न्यूरोट्रांसमीटर का स्राव बेहतर होता है।
3. सूजन कम करना:
एंटी-इंफ्लेमेटरी आहार, औषधीय जड़ी-बूटियाँ, मिट्टी चिकित्सा और जल चिकित्सा मस्तिष्क की कोशिकाओं को नुकसान से बचाते हैं।
4. जीवनशैली में सुधार:
संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, तनाव प्रबंधन और स्वस्थ आदतें लंबे समय तक स्वास्थ्य को बनाए रखती हैं।
अध्यात्म साधना केंद्र, छतरपुर, दिल्ली में उपचार:
के.सी. जैन, निदेशक, अध्यात्म साधना केंद्र, के मार्गदर्शन में यहाँ 30 दिन का विशेष आवासीय शिविर आयोजित किया जाता है। इस शिविर में प्राकृतिक चिकित्सा, योग, ध्यान और विशेष आहार का समन्वय किया जाता है। यहाँ के उपचारों ने कई रोगियों को दवाइयों पर निर्भरता कम करने और उनके स्वास्थ्य में उल्लेखनीय सुधार लाने में मदद की है। यह शिविर रोगियों को शारीरिक और मानसिक रूप से सशक्त बनाने पर केंद्रित है।
मुख्य उपचार विधियाँ :
के.सी. जैन, निदेशक, अध्यात्म साधना केंद्र, के अनुसार शिविर में निम्नलिखित उपचार विधियों का उपयोग किया जाता है:
1. योग और ध्यान:
- रोज़ाना योगासन, प्राणायाम और गहन विश्राम (कायोत्सर्ग) से मस्तिष्क में ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ती है।
- यह डोपामिन स्राव को प्रोत्साहित करता है और स्नायु तंत्र को संतुलित करता है।
2. शिरोधारा और नस्यम चिकित्सा:
- ब्राह्मी और क्षीरबल तेल से शिरोधारा: स्नायु तंत्र को शांत करती है, नींद में सुधार लाती है और कंपन को कम करती है।
- नस्यम: नाक के रास्ते मस्तिष्क तक प्राण ऊर्जा पहुँचाने में मदद करता है।
3. मालिश और पोटली चिकित्सा:
- हर्बल तेल मालिश और पोटली से मांसपेशियों की जकड़न दूर होती है और रक्तसंचार बेहतर होता है।
- जोड़ों के दर्द के लिए जानू बस्ती और अन्य विशेष उपचार।
4. मिट्टी और जल चिकित्सा:
- मिट्टी पट्टी, जल चिकित्सा और एनीमा से शरीर का डिटॉक्स होता है, पाचन सुधरता है और चयापचय (मेटाबॉलिज्म) बेहतर होता है।
5. औषधीय जड़ी-बूटियाँ:
- ब्राह्मी (Bacopa Monnieri): याददाश्त और दिमागी क्षमता को बढ़ाती है।
- अश्वगंधा: तनाव कम करने और मांसपेशियों को मजबूत करने में उपयोगी।
- हल्दी: सूजन कम करने में प्रभावी।
- चंद्रप्रभा वटी: मूत्र संबंधी समस्याओं और समग्र स्वास्थ्य के लिए लाभकारी।
6. आहार योजना:
- प्रोटीन से भरपूर, आसानी से पचने वाला और सूजन कम करने वाला आहार।
- पर्याप्त पानी और पौष्टिक भोजन से ताकत बढ़ती है और स्वास्थ्य में सुधार होता है।
परिणाम और अनुभव:
के.सी. जैन के अनुभव के आधार पर शिविर में शामिल रोगियों ने कई सकारात्मक बदलाव देखे हैं। इनमें कंपन में कमी, बेहतर गतिशीलता, पाचन में सुधार, नींद की गुणवत्ता में वृद्धि और मानसिक स्थिरता शामिल हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कई रोगियों ने रासायनिक दवाइयों पर अपनी निर्भरता को काफी हद तक कम किया है। यह उपचार रोगियों को न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से भी सशक्त बनाता है।
आवासीय शिविर का अवसर:
के.सी. जैन की सलाह है कि यदि आप या आपके कोई परिचित पार्किंसन रोग से जूझ रहे हैं, तो अध्यात्म साधना केंद्र, छतरपुर, दिल्ली के इस 30-दिवसीय रियायती आवासीय शिविर का लाभ अवश्य उठाएँ। यह शिविर आपको स्वस्थ और सक्रिय जीवन की ओर ले जाने में मदद करेगा।
परामर्श और संपर्क:
के.सी. जैन बताते हैं कि
अध्यात्म साधना केंद्र, छतरपुर, दिल्ली पार्किंसन रोग से संबंधित परामर्श, जानकारी और उपचार के लिए हमेशा उपलब्ध हैं।
संपर्क: 9643300652