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Wednesday, July 2, 2025

24JT News Desk / New Delhi /June 29, 2025

ओडिशा के पुरी में विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान रविवार (29 जून 2025) तड़के करीब 4:30 बजे श्री गुंडीचा मंदिर के पास भगवान जगन्नाथ के नंदीघोष रथ के सामने भारी भीड़ के कारण भगदड़ मच गई। इस दुखद हादसे में तीन श्रद्धालुओं की मौत हो गई, जबकि 50 से अधिक लोग घायल हो गए। घायलों में से छह की हालत गंभीर बताई जा रही है। मृतकों की पहचान बसंती साहू (36 वर्ष), प्रेमकांत महंती (78 वर्ष), और प्रभाती दास के रूप में हुई है, जो सभी खुरदा जिले के निवासी थे। इस घटना ने प्रशासन की भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

Photo Source : YouTube Screen Shot Lallantop
देश / पुरी में जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान भगदड़, तीन श्रद्धालुओं की मौत, प्रशासन पर उठे सवाल

घटना का विवरण


जगन्नाथ रथ यात्रा, जो हर साल लाखों श्रद्धालुओं को पुरी की ओर आकर्षित करती है, इस वर्ष भी भारी भीड़ के साथ शुरू हुई। शुक्रवार (27 जून 2025) को शाम 4:00 बजे रथ यात्रा की शुरुआत हुई, जिसमें भगवान जगन्नाथ, बलभद्र, और देवी सुभद्रा के रथों को श्री जगन्नाथ मंदिर से गुंडीचा मंदिर तक ले जाया गया। शनिवार को तीनों रथ गुंडीचा मंदिर के पास सराधाबली पहुंचे, जहां रात 12:30 बजे 'पहुड़ा' (दर्शन बंद) अनुष्ठान के बाद सुबह 3:45 बजे दर्शन फिर से शुरू हुए।
सुबह 4:00 से 5:00 बजे के बीच, जब हजारों श्रद्धालु भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए जमा हुए, भीड़ अचानक अनियंत्रित हो गई। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, दो ट्रक, जो 'चरमाला' (पवित्र लकड़ी) ले जा रहे थे, उस भीड़भाड़ वाले क्षेत्र में प्रवेश कर गए, जिससे घबराहट फैली और भगदड़ मच गई। कुछ श्रद्धालु गिर गए, और भीड़ में दबने से तीन लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। घायलों को तुरंत पुरी जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया, जहां छह लोगों की हालत गंभीर बनी हुई है।

प्रत्यक्षदर्शियों के आरोप


स्थानीय निवासी स्वाधीन कुमार पांडा ने बताया कि रात 2-3 बजे तक मंदिर के पास भीड़ प्रबंधन की स्थिति खराब थी। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन ने वीआईपी प्रवेश के लिए अलग रास्ता बनाया था, जिसके कारण सामान्य श्रद्धालुओं के लिए निकास मार्ग अवरुद्ध हो गया। लोग उसी प्रवेश मार्ग से बाहर निकलने लगे, जिससे भीड़ और बढ़ गई। उन्होंने कहा, "रात में एक भी पुलिसकर्मी या प्रशासनिक अधिकारी मौजूद नहीं था। सभी वीआईपी की सेवा में लगे थे, जिसके कारण यह हादसा हुआ।"

एक अन्य प्रत्यक्षदर्शी, जिनकी पत्नी इस हादसे में मृत्यु का शिकार हुईं, ने बताया कि घटना के समय कोई एम्बुलेंस, अग्निशमन दल, या अस्पताल कर्मी मौके पर नहीं थे। उन्होंने इसे "दयनीय स्थिति" करार दिया।

प्रशासन और सरकार की प्रतिक्रिया


ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने इस हादसे पर गहरा दुख व्यक्त किया और इसे "क्षमा न करने योग्य लापरवाही" करार देते हुए त्वरित जांच के आदेश दिए। उन्होंने मृतकों के परिजनों के लिए 25 लाख रुपये की अनुग्रह राशि की घोषणा की और घायलों को सर्वोत्तम चिकित्सा सुविधा प्रदान करने का आश्वासन दिया।

हादसे के बाद त्वरित कार्रवाई करते हुए, पुरी के डीसीपी विष्णु चरण पति और पुलिस कमांडेंट अजय पधी को निलंबित कर दिया गया, जबकि पुरी कलेक्टर सिद्धार्थ शंकर स्वैन और एसपी बिनीत अग्रवाल का तबादला कर दिया गया। ओडिशा के डीजीपी वाई.बी. खुरानिया ने घटनास्थल का दौरा किया और भीड़ प्रबंधन के लिए बेहतर व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर लिखा, "महाप्रभु के दर्शन की तीव्र इच्छा के कारण भीड़ में धक्कामुक्की और अराजकता के परिणामस्वरूप यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटी। मैं और मेरी सरकार सभी जगन्नाथ भक्तों से क्षमा मांगते हैं।"

विपक्ष का हमला


विपक्षी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने इस घटना को सरकार की "घोर अक्षमता" का परिणाम बताया। उन्होंने अपने एक्स हैंडल पर लिखा, "यह भगदड़, जो रथ यात्रा के दौरान भीड़ प्रबंधन की विफलता के एक दिन बाद हुई, सरकार की अक्षमता को उजागर करती है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, इस भयावह त्रासदी का प्रारंभिक जवाब श्रद्धालुओं के रिश्तेदारों से आया, न कि सरकारी तंत्र से।" उन्होंने नंदीघोष रथ की देरी को "महाप्रभु की इच्छा" बताने को प्रशासन की जिम्मेदारी से भागने का "चौंकाने वाला बहाना" करार दिया।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने भी इस घटना पर दुख जताया। राहुल गांधी ने इसे "गंभीर चेतावनी" बताते हुए बड़े आयोजनों में सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन की समीक्षा की आवश्यकता पर बल दिया।

सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल


यह पहली बार नहीं है जब पुरी रथ यात्रा के दौरान ऐसी त्रासदी हुई हो। 2024 में 7-8 जुलाई को रथ यात्रा के पहले दिन 10 लाख से अधिक श्रद्धालुओं की भीड़ के कारण भगदड़ की स्थिति बनी थी, जिसमें दो लोगों की मौत हुई थी। 2008 में भी 4 जुलाई को सिंहद्वार के सामने भगदड़ में छह श्रद्धालुओं की जान गई थी।

इस वर्ष, रथ यात्रा के लिए लगभग 10,000 पुलिस और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की आठ कंपनियों को तैनात किया गया था। इसके बावजूद, भीड़ की भारी संख्या और रात में अपर्याप्त पुलिस उपस्थिति ने स्थिति को बिगड़ने दिया। प्रत्यक्षदर्शी चिन्मय पात्रा ने बताया कि रथों के पास बिखरे हुए ताड़ के लट्ठों और संकरे रास्तों ने खतरनाक स्थिति पैदा की।

पहले की घटनाएं


रथ यात्रा के पहले दिन (27 जून 2025) को भी भीड़ के दबाव और गर्मी के कारण 625 से अधिक श्रद्धालुओं की तबीयत बिगड़ी थी, जिनमें से 70 को अस्पताल में भर्ती करना पड़ा था। नौ लोगों की हालत गंभीर थी। शनिवार को भी एक श्रद्धालु की तबीयत बिगड़ने की खबर आई थी।

आगे की राह


इस त्रासदी ने धार्मिक आयोजनों में भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा व्यवस्था की खामियों को उजागर किया है। पुरी के गजपति महाराज दिव्यसिंह देब ने इस घटना पर शोक व्यक्त करते हुए सरकार से त्वरित और व्यापक जांच की मांग की है। श्री जगन्नाथ मंदिर के वरिष्ठ दैतापति सेवायत रामकृष्ण दास महापात्रा ने भी प्रशासन से बेहतर व्यवस्था सुनिश्चित करने की अपील की।

सरकार ने आगामी रथ यात्रा के अनुष्ठानों, जैसे अदापा बीजे, बहुड़ा यात्रा, और सुन बेशा, के लिए बेहतर भीड़ प्रबंधन का आश्वासन दिया है। हालांकि, स्थानीय लोग और विपक्षी दल यह सवाल उठा रहे हैं कि जब लाखों श्रद्धालु इस पवित्र उत्सव में शामिल होने आते हैं, तो प्रशासन पहले से तैयारी क्यों नहीं करता?

पुरी की जगन्नाथ रथ यात्रा, जो भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत का प्रतीक है, इस वर्ष एक दुखद घटना की छाया में आ गई। यह हादसा हमें यह सिखाता है कि धार्मिक उत्सवों की भव्यता को बनाए रखने के लिए आधुनिक भीड़ प्रबंधन तकनीकों और सुरक्षा उपायों को अपनाना आवश्यक है। सरकार और प्रशासन को यह सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न दोहराई जाएं, ताकि श्रद्धालु सुरक्षित और शांतिपूर्ण ढंग से अपने आस्था के इस उत्सव में भाग ले सकें।

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