Tranding
Tuesday, October 14, 2025

24JT News Desk / New Delhi /September 12, 2025

अमेरिकी संसद के ऊपरी सदन (सीनेट) में हाल ही में एक महत्वपूर्ण बिल पेश किया गया है, जिसे HIRE (Halting International Relocation of Employment) बिल के नाम से जाना जा रहा है। संजय सक्सेना के अनुसार, इस बिल के तहत अगर कोई अमेरिकी कंपनी विदेशी कंपनी को ऐसी सेवाओं के लिए भुगतान करती है, जो अमेरिका में उपयोग होती हैं, तो उस पर 25% अतिरिक्त टैक्स लगेगा। यह बिल खास तौर पर भारत की आईटी कंपनियों के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है, क्योंकि भारतीय कंपनियां अपनी आय का बड़ा हिस्सा अमेरिकी बाजार से कमाती हैं। संजय सक्सेना बताते हैं कि यह बिल भारतीय आईटी उद्योग के लिए न केवल आर्थिक दबाव ला सकता है, बल्कि दीर्घकालिक रणनीतियों पर भी असर डाल सकता है। इस लेख में संजय सक्सेना इस बिल के प्रावधानों, भारतीय आईटी इंडस्ट्री पर इसके प्रभाव और संभावित अवसरों को विस्तार से समझा रहे हैं।

अन्तर्राष्ट्रीय / यूएस हायर बिल: भारतीय आईटी कंपनियों के लिए चुनौतियां और अवसर - संजय सक्सेना

HIRE BILL के मुख्य प्रावधान:


संजय सक्सेना के विश्लेषण के अनुसार, HIRE BILL का मुख्य उद्देश्य अमेरिका में स्थानीय नौकरियों को बढ़ावा देना और विदेशी सेवाओं पर निर्भरता कम करना है। इस बिल के तहत, अगर कोई अमेरिकी कंपनी विदेशी सेवा प्रदाता से सेवाएं लेती है और उनका उपयोग अमेरिका में करती है, तो उसे 25% अतिरिक्त टैक्स देना होगा। संजय सक्सेना बताते हैं कि यह टैक्स उन भुगतानों पर लागू होगा, जो विदेशी कंपनियों, खासकर भारतीय आईटी फर्मों को किए जाते हैं। इसका मकसद अमेरिकी कंपनियों को स्थानीय सेवा प्रदाताओं की ओर प्रोत्साहित करना है। संजय सक्सेना के अनुसार, यह बिल उन कंपनियों को भी प्रभावित करेगा जो लागत बचाने के लिए विदेशी कंपनियों से सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट, डेटा एनालिसिस और कस्टमर सपोर्ट जैसी सेवाएं लेती हैं।

भारतीय आईटी कंपनियों पर प्रभाव:


संजय सक्सेना - भारत का आईटी उद्योग, जो लगभग 280 अरब डॉलर का है, अमेरिकी बाजार पर बहुत हद तक निर्भर है। TCS, Infosys, Wipro, HCL Technologies और Tech Mahindra जैसी कंपनियों की आय का 50-65% हिस्सा अमेरिका से आता है। संजय सक्सेना बताते हैं कि अगर HIRE BILL लागू होता है, तो इसके कई गंभीर प्रभाव हो सकते हैं:

1. आर्थिक दबाव:
संजय सक्सेना के विश्लेषण में, 25% अतिरिक्त टैक्स के कारण भारतीय कंपनियों का मुनाफा कम हो सकता है। इससे उनकी सेवाओं की लागत बढ़ेगी, जिससे अमेरिकी कंपनियों के लिए भारतीय सेवाएं महंगी हो सकती हैं। संजय सक्सेना के अनुसार, पहले से ही वैश्विक प्रतिस्पर्धा का सामना कर रही भारतीय कंपनियों के लिए यह एक बड़ा झटका होगा।

2. नए अनुबंधों में कमी:
संजय सक्सेना चेतावनी देते हैं कि अतिरिक्त टैक्स के कारण अमेरिकी कंपनियां भारतीय कंपनियों से नए अनुबंध करने में हिचकिचा सकती हैं। पहले से ही भारतीय कंपनियों को अमेरिका से कम ऑर्डर मिल रहे हैं, और यह बिल इस प्रवृत्ति को और तेज कर सकता है। उदाहरण के लिए, सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट और क्लाउड सेवाओं जैसे क्षेत्रों में नए प्रोजेक्ट्स में कमी आ सकती है।

3. आउटसोर्सिंग रणनीति में बदलाव:
संजय सक्सेना बताते हैं कि टैक्स की वजह से अमेरिकी कंपनियां स्थानीय या कम लागत वाले विकल्पों की ओर रुख कर सकती हैं। इससे भारतीय कंपनियों की प्रतिस्पर्धा कमजोर हो सकती है। अमेरिकी कंपनियां अपने आउटसोर्सिंग मॉडल को बदलकर स्थानीय स्टार्टअप्स या अन्य देशों की कंपनियों के साथ साझेदारी कर सकती हैं।

4. छोटी कंपनियों पर खतरा:
संजय सक्सेना के अनुसार, छोटी और मध्यम आकार की भारतीय आईटी कंपनियां, जो अमेरिकी बाजार में अवसर तलाशती हैं, इस टैक्स के कारण भारी दबाव में आ सकती हैं। संजय सक्सेना बताते हैं कि ऐसी कंपनियां लागत बढ़ने के कारण अमेरिकी बाजार में अपनी उपस्थिति बनाए रखने में असमर्थ हो सकती हैं और कुछ मामलों में बाजार से बाहर भी हो सकती हैं।

अन्य चुनौतियां:


HIRE BILL के अलावा भी भारतीय आईटी कंपनियां कई अन्य चुनौतियों का सामना कर रही हैं:

1. H-1B वीजा नियमों में सख्ती:
अमेरिका ने H-1B वीजा नियमों को पहले ही सख्त कर दिया है, जिससे भारतीय कंपनियों को अपने कर्मचारियों को अमेरिका भेजने में मुश्किल हो रही है। अगर HIRE बिल लागू होता है, तो कंपनियों को अधिक खर्च और कम कर्मचारियों के साथ काम करना पड़ सकता है, जिससे उनकी परिचालन लागत और बढ़ेगी।

2. एआई और ऑटोमेशन का प्रभाव:
संजय सक्सेना के विश्लेषण में, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और ऑटोमेशन के बढ़ते उपयोग से नौकरियों और आउटसोर्सिंग में कमी आ रही है। ये तकनीकें कार्यक्षमता तो बढ़ा रही हैं, लेकिन निचले स्तर की सेवाओं की मांग को कम कर रही हैं, जो भारतीय कंपनियों के लिए एक बड़ी चुनौती है।

3. वैश्विक व्यापारिक तनाव:
अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध, यूक्रेन संकट और अन्य वैश्विक तनावों के कारण अमेरिकी कंपनियां अपने खर्चों और आउटसोर्सिंग रणनीतियों पर पुनर्विचार कर रही हैं। संजय सक्सेना बताते हैं कि इन तनावों ने पहले ही भारतीय कंपनियों के लिए अमेरिकी बाजार में अपनी स्थिति बनाए रखना मुश्किल कर दिया है।

क्या HIRE बिल पास होगा?


संजय सक्सेना - विशेषज्ञों का मानना है कि HIRE बिल के जल्दी पास होने की संभावना कम है, क्योंकि अमेरिकी कंपनियां और सरकार के कुछ हिस्से इसका विरोध कर सकते हैं। संजय सक्सेना उद्धृत करते हैं कि EY इंडिया के पार्टनर अरिंदम सेन ने कहा है कि यह बिल भले ही पास न हो, लेकिन यह भारतीय कंपनियों के लिए एक चेतावनी है। यह बिल भारतीय कंपनियों को अपनी रणनीतियों में बदलाव करने और वैकल्पिक बाजारों की तलाश करने के लिए प्रेरित कर सकता है।

संजय सक्सेना के विश्लेषण में, HIRE BILL चुनौतियों के साथ-साथ कुछ अवसर भी ला सकता है:


1. नए बाजारों की तलाश:
भारतीय कंपनियां अब केवल अमेरिका पर निर्भर न रहकर यूरोप, एशिया, और लैटिन अमेरिका जैसे बाजारों में अवसर तलाश सकती हैं। इन क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धा कम है और कंपनियां अच्छा मुनाफा कमा सकती हैं। उदाहरण के लिए, यूरोपीय देशों में डेटा प्राइवेसी और साइबर सिक्योरिटी सेवाओं की मांग बढ़ रही है।

2. नई तकनीकों में निवेश:
भारतीय कंपनियों को **एआई, ब्लॉकचेन, और क्लाउड टेक्नोलॉजी** में निवेश बढ़ाना चाहिए। संजय सक्सेना बताते हैं कि इससे न केवल वे वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनेंगी, बल्कि ग्राहकों को नई और उन्नत सेवाएं भी दे सकेंगी।

3. डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन में साझेदारी:
भारतीय कंपनियां अमेरिकी कंपनियों के साथ डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन की दिशा में साझेदारी कर सकती हैं। यह कम टैक्स और प्रभावी रणनीतियों के साथ नए अवसर खोल सकता है, जैसे डिजिटल सॉल्यूशंस, डेटा एनालिटिक्स और साइबर सिक्योरिटी में सहयोग।

संजय सक्सेना - HIRE BILL अभी केवल एक प्रस्ताव है, लेकिन यह भारतीय **आईटी कंपनियों** के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है। कंपनियों को अब अपनी रणनीतियों में बदलाव करके अमेरिका पर निर्भरता कम करनी होगी और वैश्विक बाजारों में नए अवसर तलाशने होंगे। यह समय भारतीय आईटी उद्योग के लिए बदलाव और नवाचार का है। क्या यह भारतीय कंपनियों के लिए एक नए युग की शुरुआत होगी? संजय सक्सेना का मानना है कि सही रणनीतियों और तकनीकी नवाचार के साथ भारतीय कंपनियां इस चुनौती को अवसर में बदल सकती हैं।

Subscribe

Trending

24 Jobraa Times

भारतीय लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ को बनाये रखने व लोकतंत्र को जिंदा रखने के लिए सवंत्रता, समानता, बन्धुत्व व न्याय की निष्पक्ष पत्रकारिता l

Subscribe to Stay Connected

2025 © 24 JOBRAA - TIMES MEDIA & COMMUNICATION PVT. LTD. All Rights Reserved.