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Tuesday, October 14, 2025

24JT News Desk / New Delhi /May 15, 2025

मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार में जनजातीय कार्य मंत्री और आठ बार के विधायक विजय शाह एक बार फिर अपनी विवादित टिप्पणी के कारण सुर्खियों में हैं। इस बार उन्होंने भारतीय सेना की सजायाफ्ता अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी पर आपत्तिजनक बयान दिया, जिसके बाद मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने उनके खिलाफ प्राथमिकी (FIR) दर्ज करने का आदेश दिया था। इस आदेश को चुनौती देने के लिए शाह ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, जहां गुरुवार, 15 मई 2025 को सुनवाई के दौरान भारत के नव-नियुक्त मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने उन्हें कड़ी फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए शुक्रवार, 16 मई 2025 की तारीख तय की है।

पॉलिटिक्स / सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह को लगाई कड़ी फटकार, कर्नल सोफिया कुरैशी पर विवादित टिप्पणी मामले में शुक्रवार को होगी सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी: “हर शब्द जिम्मेदारी से बोलें”


15 मई 2025 को सुप्रीम कोर्ट में विजय शाह की याचिका पर सुनवाई हुई, जिसमें उन्होंने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के 14 मई के उस आदेश पर रोक लगाने की मांग की, जिसमें उनके खिलाफ FIR दर्ज करने का निर्देश दिया गया था। यह मामला CJI बीआर गवई की पीठ के समक्ष पेश हुआ, जिन्होंने एक दिन पहले ही भारत के मुख्य न्यायाधीश का कार्यभार संभाला था।

सुनवाई के दौरान CJI गवई ने शाह के बयान पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा:


“आप किस तरह का बयान दे रहे हैं? संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति से एक निश्चित स्तर की मर्यादा की अपेक्षा की जाती है। जब देश इतनी गंभीर स्थिति से गुजर रहा है, तब हर शब्द जिम्मेदारी के साथ बोला जाना चाहिए।”

CJI की यह टिप्पणी न केवल शाह की टिप्पणी की गंभीरता को रेखांकित करती है, बल्कि यह भी स्पष्ट करती है कि सार्वजनिक पदों पर बैठे व्यक्तियों को अपने शब्दों और व्यवहार में संयम और जवाबदेही बरतनी चाहिए। कोर्ट ने शाह के बयान को राष्ट्रीय भावनाओं और सेना के सम्मान के खिलाफ माना, जिसके चलते उनकी याचिका पर तत्काल राहत देने से इनकार कर दिया गया।

शाह के वकील का तर्क: “हाई कोर्ट ने अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन किया”


विजय शाह की ओर से पेश वकील ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर उनके खिलाफ FIR दर्ज करने का आदेश दिया है। वकील ने तर्क दिया कि हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए बिना शाह को सुनवाई का उचित अवसर दिए यह फैसला सुनाया, जो प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है।
उन्होंने कोर्ट से अनुरोध किया कि जब तक शाह को अपना पक्ष रखने का मौका नहीं मिलता, तब तक FIR पर कोई और कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए। वकील ने यह भी कहा कि शाह ने अपनी टिप्पणी के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांग ली है, जिसे कोर्ट को ध्यान में लेना चाहिए।
CJI गवई ने शुरू में शाह के वकील को सुझाव दिया कि वे अपनी याचिका मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में दायर करें, क्योंकि मामला अभी प्रारंभिक चरण में है। हालांकि, मामले की गंभीरता और सार्वजनिक महत्व को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार, 16 मई 2025 को विस्तृत सुनवाई के लिए सहमति जताई।

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