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Wednesday, July 2, 2025

Pawan Kumar / New Delhi /May 7, 2025

व्रत तिथि और पारण का समय
मोहिनी एकादशी व्रत : 8 मई 2025, गुरुवार
पारण तिथि (व्रत समाप्ति) : 9 मई 2025, शुक्रवार, प्रातःकाल
यह व्रत वैशाख शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है, जो हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष की अत्यंत पुण्यदायक तिथियों में से एक है।

मोहिनी_एकादशी_व्रत
धर्म / मोहिनी एकादशी व्रत 2025 : जब विष्णु ने मोहिनी रूप में अमृत बचाया, एकादशी व्रत का वही पुण्यदायी दिन - आचार्य अनुज

धार्मिक व ऐतिहासिक महत्त्व

आचार्य अनुज बताते हैं कि मोहिनी एकादशी वह दिव्य तिथि है जब भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर समुद्र मंथन से निकले अमृत कलश को राक्षसों के हाथों में जाने से रोका और देवताओं को अमृत प्रदान किया।

पौराणिक पृष्ठभूमि:

समुद्र मंथन के दौरान अमृत को लेकर जब देवताओं और असुरों में विवाद हुआ, तब भगवान विष्णु ने एक सुंदर स्त्री ‘मोहिनी’ का रूप धारण कर छलपूर्वक अमृत देवताओं को पिला दिया। इस रूप में भगवान ने मोह का उपयोग धर्म की रक्षा के लिए किया।

व्रत के लाभ:

व्यक्ति को अमृत तुल्य पुण्य की प्राप्ति होती है।

सभी पापों का क्षय होता है।

मृत्युपरांत वैकुण्ठ धाम की प्राप्ति संभव होती है।

मन, वचन और कर्म की शुद्धि होती है।

यह व्रत विशेष रूप से काम, क्रोध, मोह आदि दोषों को नष्ट करता है।

व्रत विधि — संपूर्ण विवरण

आचार्य अनुज के अनुसार, यदि व्रत को विधिपूर्वक किया जाए, तो यह साधक के जीवन में अत्यंत शुभ परिणाम देता है।

दशमी (7 मई) की तैयारी:

व्रत से एक दिन पूर्व शाम को सात्विक भोजन ग्रहण करें।

प्याज, लहसुन, मांसाहार, तामसिक भोजन से पूरी तरह परहेज़ करें।

मानसिक रूप से व्रत का संकल्प करें — “मैं मोहिनी एकादशी का व्रत विधिपूर्वक करूंगा/करूंगी।”

???? एकादशी (8 मई) के दिन:
ब्रह्म मुहूर्त में उठें और पवित्र स्नान करें।

घर के पूजा स्थल में भगवान विष्णु की पीले पुष्पों, तुलसी दल, धूप-दीप आदि से विधिपूर्वक पूजा करें।

दिन भर अन्न-त्याग कर फल, दूध, मखाने, सूखे मेवे आदि का फलाहार करें।

भगवान विष्णु के नाम “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” का मंत्रजप करें।

श्री विष्णु सहस्त्रनाम, एकादशी व्रत कथा का श्रवण करें।

शाम को दीप प्रज्वलन के बाद भजन-कीर्तन, जागरण करें।

द्वादशी (9 मई) को पारण:

सूर्योदय के बाद शुद्ध जल से स्नान कर भगवान विष्णु की पूजा करें।

व्रत का पारण फल, जल या सात्विक अन्न से करें।

ब्राह्मण को भोजन कराना व दान देना अत्यंत शुभ माना गया है।

संक्षिप्त व्रत कथा : वैश्य चंद्रभानु की मोक्ष-गाथा

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, एक समय दक्षिण भारत में चंद्रभानु नामक एक वैश्य था, जो धनवान होते हुए भी अनाचार में लिप्त था। एक बार वैशाख शुक्ल एकादशी पर उसने अनजाने में उपवास किया। उसी रात्रि को उसे स्वप्न में भगवान विष्णु के दर्शन हुए और उसने अपने पापों से मुक्ति प्राप्त की। अगले जन्म में वह सत्कर्मी, दानी और भक्ति भाव से युक्त हुआ और अंततः वैकुण्ठ धाम गया।

मंत्र-जप और साधना

इस व्रत के दिन निम्न मंत्र का जाप विशेष फलदायक माना गया है:

“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”

कम से कम 108 बार जाप अवश्य करें।

जाप के लिए तुलसी की माला का प्रयोग करें।

मन शांत रखें और प्रभु को पूर्ण श्रद्धा से स्मरण करें।

सामाजिक और आध्यात्मिक सन्देश

यह व्रत हमें आत्मसंयम, धर्म के प्रति आस्था और धार्मिक अनुशासन की प्रेरणा देता है।

मोहिनी रूप का संदेश है कि “धर्म की रक्षा के लिए मोह का भी सदुपयोग किया जा सकता है।”

आज के समय में, जब व्यक्ति बाह्य सुखों में उलझा हुआ है, ऐसे व्रत आंतरिक शांति और आत्मिक बल प्रदान करते हैं।

इस दिन नशा, मांसाहार, द्वेष, अपवित्र विचारों से दूर रहें।

बुजुर्गों और ज़रूरतमंदों की सेवा करें।

बच्चों को व्रत का महत्त्व बताएं, ताकि सनातन परंपरा बनी रहे।

मोहिनी एकादशी व्रत न केवल धर्म का प्रतीक है, बल्कि आध्यात्मिक जागरूकता और चरित्र शुद्धि की ओर एक ठोस कदम भी है। आचार्य अनुज के अनुसार, “यह व्रत हर उस व्यक्ति को करना चाहिए जो जीवन में आत्मिक संतुलन, पुण्य और मोक्ष की आकांक्षा रखता है।”

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