बैठक में देशभर के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पर्यटन मंत्री एवं वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए। 14-15 अक्टूबर को आयोजित इस विमर्श में पर्यटन क्षेत्र के परिवर्तन के लिए समन्वित दृष्टिकोण और साझा रणनीतियों पर विस्तार से चर्चा की गई।
बैठक का उद्घाटन पर्यटन सचिव श्रीमती वी. विद्यावती के स्वागत भाषण से हुआ, जिसके बाद केंद्रीय पर्यटन और संस्कृति मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने संबोधित किया। उन्होंने कहा,
“यह बैठक भारतीय पर्यटन की दिशा में एक निर्णायक मोड़ है। यह समय है कि हम भारत की विविधता को ऐसे अनुभवात्मक गंतव्यों में बदलें जो वैश्विक प्रतिस्पर्धा में टिक सकें।”
श्री शेखावत ने केंद्र, राज्य एवं निजी क्षेत्र के बीच सहयोगात्मक संघवाद की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि इस साझेदारी से देश के पर्यटन ढांचे में ठोस सुधार आएगा।
मुख्य बिंदु जो बैठक में उभरे:
_50 वैश्विक मानकों वाले पर्यटन स्थलों का विकास:
इन स्थलों को निजी निवेश द्वारा विकसित किया जाएगा, जिसमें राज्य सरकारें रणनीतिक सहयोगी होंगी।
_प्रदर्शन आधारित प्रोत्साहन (PLI) मॉडल की शुरुआत:
गुणवत्ता प्रबंधन और स्थिरता सुनिश्चित करने हेतु पर्यटन स्थलों के लिए PLI आधारित डेस्टिनेशन मैच्योरिटी मॉडल लागू किया जाएगा।
_राज्यों की प्रस्तुतियां:
हर राज्य/केंद्र शासित प्रदेश ने एक संभावित पर्यटन स्थल का चयन कर उसे वैश्विक मानकों पर विकसित करने की योजना प्रस्तुत की।
दूसरे दिन ‘एकीकृत पर्यटन संवर्धन योजना’ के मसौदे पर विशेष परामर्श सत्र हुआ, जिसमें भारत को घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में एक समग्र पर्यटन गंतव्य के रूप में स्थापित करने की रणनीतियों पर मंथन किया गया।
बैठक के समापन अवसर पर अपर सचिव एवं पर्यटन महानिदेशक श्री सुमन बिल्ला ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि प्राप्त सुझावों को नीतियों के अंतिम स्वरूप में शामिल किया जाएगा, जिससे क्रियान्वयन में अधिक प्रभावशीलता लाई जा सके।