Tranding
Tuesday, October 14, 2025

24JT News Desk / New Delhi /September 4, 2025

आईये जानते है साध्वी शालिनीनंद महाराज के इस लेख के जरिये महाभारत लेखन और गणेश विसर्जन की शुरुआत :
हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार, महाभारत को भगवान गणेश ने महर्षि वेदव्यास के अनुरोध पर लिखा था। मान्यता है कि वेदव्यास जी ने गणेश जी को 10 दिनों तक महाभारत की कथा सुनाई, और गणेश जी ने इसे लगातार लिखा। 10वें दिन जब वेदव्यास जी ने गणेश जी को छुआ, तो उनका शरीर बहुत गर्म हो चुका था। तब वेदव्यास जी उन्हें एक कुंड में ले गए और स्नान कराकर उनके शरीर का तापमान शांत किया। तभी से गणेश स्थापना और विसर्जन की परंपरा शुरू हुई। ऐसा माना जाता है कि विसर्जन से भगवान गणेश को शीतलता मिलती है।

साध्वी शालिनीनंद महाराज
धर्म / गणेश चतुर्थी: भगवान गणेश की पूजा और विसर्जन का महत्व - साध्वी शालिनीनंद महाराज

साध्वी शालिनीनंद बताती है हिंदू धर्म में भगवान गणेश को बुद्धि, विवेक और समृद्धि का देवता माना जाता है। वे बुध ग्रह के स्वामी और देवताओं में प्रथम पूज्य हैं। किसी भी शुभ कार्य या अनुष्ठान की शुरुआत गणेश पूजा के बिना अधूरी मानी जाती है। मान्यता है कि उनकी पूजा से सारे कार्य बिना किसी बाधा के पूरे होते हैं। गणेश जी की सच्चे मन से पूजा करने से जीवन की परेशानियां धीरे-धीरे दूर होती हैं, बुध ग्रह के दोषों से राहत मिलती है और वास्तु दोष भी समाप्त होता है।

गणेश विसर्जन की परंपरा को लेकर अलग-अलग मान्यताएं हैं। कुछ लोग गणेश चतुर्थी के दिन ही शुभ मुहूर्त में विसर्जन कर देते हैं, हालांकि यह कम प्रचलित है। कुछ लोग डेढ़ दिन, तीसरे, पांचवें या सातवें दिन विसर्जन करते हैं। सबसे लोकप्रिय परंपरा अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश विसर्जन की है।

गणेश विसर्जन का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व भी है। यह हमें याद दिलाता है कि यह संसार नश्वर है और एक दिन सभी को प्रकृति में मिल जाना है। विसर्जन से पर्यावरण भी शुद्ध होता है। गणेश प्रतिमा के साथ हल्दी, कुमकुम, दूर्वा, चंदन और फूल पानी में मिलते हैं। हल्दी की एंटीबैक्टीरियल खूबी पानी को स्वच्छ करती है, जबकि दूर्वा, चंदन और फूल पर्यावरण को शुद्ध करते हैं। इससे बारिश के मौसम में नदियों, तालाबों और पोखरों का पानी शुद्ध होता है, जो मछलियों और अन्य जलचरों के लिए लाभकारी है। - साध्वी शालिनीनंद

अंत में साध्वी शालिनीनंद जनता से अपील करती है कि गणेश स्थापना के लिए ऐसी मूर्ति चुननी चाहिए जो पर्यावरण के अनुकूल हो और पानी में आसानी से घुल जाए। मिट्टी की मूर्तियों को प्राकृतिक रंगों, जैसे चावल या फूलों के रंगों से सजाना चाहिए, ताकि विसर्जन से पानी प्रदूषित न हो।

Subscribe

Trending

24 Jobraa Times

भारतीय लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ को बनाये रखने व लोकतंत्र को जिंदा रखने के लिए सवंत्रता, समानता, बन्धुत्व व न्याय की निष्पक्ष पत्रकारिता l

Subscribe to Stay Connected

2025 © 24 JOBRAA - TIMES MEDIA & COMMUNICATION PVT. LTD. All Rights Reserved.