समिति के मुताबिक, यह नया सिस्टम उन दावों पर लागू होगा जिनकी राशि:
_भौतिक प्रतिभूतियों के लिए 5 लाख रुपये तक,
_डीमैट प्रतिभूतियों के लिए 15 लाख रुपये तक,
_और लाभांश मूल्य 10,000 रुपये तक होगी।
क्या है बदलाव का उद्देश्य?
IEPFA द्वारा इस कदम का मकसद दस्तावेज़ प्रक्रिया को आसान बनाकर दावों के निपटारे में लगने वाले समय को घटाना, पारदर्शिता बढ़ाना, और निवेशकों को बेहतर सेवाएं प्रदान करना है। इससे छोटे निवेशकों को समय पर उनका पैसा वापस मिल सकेगा और प्रक्रिया पहले से कहीं ज्यादा सरल और भरोसेमंद होगी।
कौन-कौन शामिल रहा समिति में?
इस समिति में देश की नामी संस्थाओं के प्रतिनिधि शामिल थे, जैसे:
* कॉर्पोरेट मामलों का मंत्रालय (MCA)
* भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI)
* आईसीएआई (CA संस्थान), आईसीएमएआई, आईसीएसआई
* FICCI, PHDCCI, CII, और
* भारतीय रजिस्ट्रार संघ (RAIN)
इन सभी विशेषज्ञों ने मौजूदा प्रक्रिया का गहन विश्लेषण कर IEPFA को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।
IEPFA क्या करता है?
IEPFA, यानी Investor Education and Protection Fund Authority, की स्थापना 7 सितंबर 2016 को की गई थी। यह प्राधिकरण ऐसे निवेशकों के हितों की रक्षा करता है जिनके शेयर, लाभांश, परिपक्व जमा या ऋणपत्र बिना दावा किए रह जाते हैं। IEPFA का मकसद है:
* निवेशकों को उनकी संपत्ति वापस दिलाना,
* पारदर्शिता सुनिश्चित करना,
* और पूरे देश में वित्तीय जागरूकता फैलाना।