सम्मेलन की अध्यक्षता राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री जयंत चौधरी ने की, जिसमें उत्तर भारत के 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधियों, सांसदों और वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। इसमें बिहार, दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और चंडीगढ़ के प्रतिनिधि शामिल रहे।
यह महज़ सम्मेलन नहीं, एक ‘जन-आंदोलन’ है: जयंत चौधरी
श्री जयंत चौधरी ने अपने संबोधन में ‘कौशल मंथन’ को केवल एक संवाद नहीं, बल्कि विकसित भारत@2047 के लिए कौशल विकास को आकांक्षापूर्ण व प्रभावशाली बनाने का सामूहिक आह्वान बताया। उन्होंने स्पष्ट कहा—
"भारत की आकांक्षा, दुनिया की स्किल कैपिटल बनने की है। यह तभी संभव है जब केंद्र और राज्य मिलकर सच्चे अभिसरण के साथ काम करें।"
उन्होंने कहा कि हर राज्य की अपनी विशिष्टता है, लेकिन सभी को संसाधन और रणनीतियाँ साझा कर आईटीआई के कायाकल्प और युवाओं के सशक्तिकरण के लिए आगे आना होगा।
60,000 करोड़ की योजना और नया युग
सम्मेलन में हाल ही में स्वीकृत ₹60,000 करोड़ की राष्ट्रीय योजना को प्रमुखता से प्रस्तुत किया गया, जिसका उद्देश्य 1,000 सरकारी ITI को विश्वस्तरीय उत्कृष्टता केंद्रों में बदलना है। यह कार्य हब एंड स्पोक मॉडल और उद्योग-नेतृत्व वाली विशेष प्रयोजन कंपनियों के माध्यम से किया जाएगा।
इसके साथ ही PMKVY 4.0, NAPS, जन शिक्षण संस्थान और स्किल इंडिया डिजिटल हब जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म की भूमिका पर भी चर्चा हुई।
राज्यों की पेशकश: किसने क्या दिखाया
* पंजाब ने नवाचार आधारित ITI सुधारों और उत्कृष्टता केंद्रों की योजनाएं साझा कीं।
* हरियाणा ने ड्रोन दीदी, ड्यूल ट्रेनिंग सिस्टम और भारत के पहले स्किल यूनिवर्सिटी की जानकारी दी।
* बिहार ने उद्योग 4.0 के साथ सहयोग और कर्पूरी ठाकुर स्किल यूनिवर्सिटी के प्रयासों पर प्रकाश डाला।
* उत्तराखंड ने टाटा टेक्नोलॉजीज़ और हीरो मोटोकॉर्प के साथ साझेदारी से उत्कृष्टता केंद्रों की रूपरेखा साझा की।
* जम्मू-कश्मीर की मिशन यूथ योजना ने चार लाख रोजगार के अवसरों का रोडमैप प्रस्तुत किया।
‘भाषा’ और ‘खेल’ को भी मान्यता देने की जरूरत
श्री चौधरी ने एक अहम बात पर ध्यान दिलाया कि अब वक्त है जब भाषा और खेल को भी कौशल के रूप में देखा जाए।
"कल का कार्यबल केवल निर्माण या सेवा क्षेत्र तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि भाषा व खेल जैसे क्षेत्र भी अर्थव्यवस्था को दिशा देंगे।"
उद्योग, सरकार और छात्र—सभी की ज़िम्मेदारी
सम्मेलन में स्पष्ट रूप से कहा गया कि कौशल विकास केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि उद्योग जगत को भी समान भागीदार बनना होगा, और छात्रों को भी आगे आकर उपलब्ध अवसरों का लाभ उठाना होगा।
सम्मेलन का समापन: साझा दृष्टिकोण, ठोस रणनीति
‘कौशल मंथन’ का समापन सभी राज्यों द्वारा एकजुट होकर राज्य-स्तरीय योजनाएं तैयार करने, उद्योग सहभागिता बढ़ाने, और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म का व्यापक उपयोग सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता के साथ हुआ।
इस सम्मेलन ने एक समन्वित कौशल ढांचे की आधारशिला रखी, जो आकांक्षी, भविष्य-उन्मुख और वैश्विक दृष्टिकोण वाला होगा — ऐसा कार्यबल जो भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में निर्णायक भूमिका निभाएगा।