मिशन अमृत सरोवर का दूसरा चरण: जनभागीदारी और तकनीकी नवाचार का संगम
मिशन के दूसरे चरण में अब ध्यान सिर्फ तालाब निर्माण तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि जनसहभागिता और तकनीकी साधनों की मदद से जल संरचनाओं की दीर्घकालिक निगरानी और संरक्षण पर जोर दिया जा रहा है। कार्यशाला के दौरान बताया गया कि मिशन के तहत अब तक देशभर में 68,000 से अधिक अमृत सरोवरों का निर्माण किया जा चुका है, जो अपने आप में एक उल्लेखनीय उपलब्धि है।
तकनीक के संग तालाबों की निगरानी
कार्यशाला का मुख्य आकर्षण था — "आयतन माप" पर विशेष तकनीकी प्रशिक्षण, जो तालाबों की जलधारण क्षमता को मापने के लिए बेहद अहम माना जा रहा है। आईआईटी दिल्ली के विशेषज्ञों ने SONAR, DGPS, फोटोग्रामेट्री, फ्लैगस्टाफ और LIDAR जैसी उन्नत तकनीकों की मदद से अमृत सरोवरों का सटीक मूल्यांकन करने की कार्यप्रणाली प्रस्तुत की। इसके पश्चात पूसा स्थित अमृत सरोवर पर एक प्रैक्टिकल प्रशिक्षण सत्र आयोजित किया गया, जिसमें अधिकारियों को जमीनी हकीकत से रूबरू करवाया गया।
डिजिटल मॉनिटरिंग की नई राह
बीआईएसएजी-एन द्वारा विकसित अमृत सरोवर पोर्टल और एप्लिकेशन का एक डिजिटल पूर्वाभ्यास भी प्रस्तुत किया गया। यह टूल मिशन के अंतर्गत बनने वाले तालाबों की पारदर्शी निगरानी और परिणाम आधारित आकलन में क्रांतिकारी भूमिका निभा रहे हैं।
लाभकारी मॉडल और वित्तीय अभिसरण की चर्चा
इस कार्यशाला के माध्यम से राज्यों को आपसी सीख और सहयोग का मंच भी मिला। विभिन्न राज्यों ने सफल आजीविका मॉडल और वित्तीय अभिसरण योजनाओं की प्रस्तुति दी, जो अमृत सरोवरों के निर्माण और उनके पुनर्जीवन में आर्थिक रूप से सहायक सिद्ध हो रही हैं।
जल न्याय, सामाजिक समरसता और पर्यावरणीय संतुलन की ओर एक कदम
कार्यशाला ने यह स्पष्ट किया कि यह मिशन सिर्फ एक जल परियोजना नहीं, बल्कि सामाजिक और पारिस्थितिक न्याय की दिशा में एक परिवर्तनकारी पहल है।