इस गौरवपूर्ण समारोह में भारतीय नौसेना की भागीदारी सिर्फ कूटनीतिक मित्रता का संकेत नहीं, बल्कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत की बढ़ती समुद्री रणनीतिक गहराई को भी दर्शाती है।
आईएनएस कदमत्त को 01 सितंबर को औपचारिक रूप से ‘ऑफिसर कमांडिंग द शिप्स’ (OCS) की ज़िम्मेदारी सौंपी गई, जिसके बाद युद्धपोतों के संचालन और युद्धाभ्यास की सटीकता सुनिश्चित करने के लिए समस्त सहयोगी जहाजों को विस्तार से ब्रीफ किया गया। बेड़े में शामिल अन्य प्रमुख जहाजों में एफएनएस ऑगस्टे बेनेबिग (फ्रांस), एचएमपीएनजीएस गिल्बर्ट टोरोपो, टेड डिरो, रोचस लोकिनाप (पापुआ न्यू गिनी), वीओईए नकाहाऊ कोउला (टोंगा) और एचएमएएस चाइल्डर्स (ऑस्ट्रेलिया) शामिल रहे।
विशेष रूप से तैयार बंदरगाह से रवाना होते समय सभी सातों युद्धपोत एक सीध में, आपसी दूरी को 600 गज रखते हुए निकले और पूर्व निर्धारित समय पर अपने-अपने सलामी बिंदुओं पर पहुंचे। यह पूरी परेड अत्यंत अनुशासन और तालमेल का प्रतीक रही।
इस अवसर पर भारतीय नौसेना ने एक बार फिर यह सिद्ध किया कि वह न केवल तकनीकी रूप से सक्षम है, बल्कि बहुराष्ट्रीय मंचों पर नेतृत्व करने में भी पूरी तरह से सक्षम है। इस आयोजन ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समान विचारधारा वाले देशों के साथ भारत की मजबूत होती समुद्री साझेदारी और 'पसंदीदा सुरक्षा भागीदार' के रूप में भारतीय नौसेना की प्रतिष्ठा को और सशक्त किया है।